डाक्टरों के पीजी हॉस्टल में हैं कुल 103 कमरे जरूरतमंद 430पीजी महिला छात्रावास में बाथरूम के दरवाजे तक टूटे

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। एमएलएन मेडिकल कालेज में आकर एमबीबीएस और एसआरएन अस्पताल में क्लीनिकल प्रैक्टिस करने वाले पीजी रेजीडेंट डाक्टरों के लिए हॉस्टल तो है लेकिन यहां की व्यवस्था देखकर न सुरक्षा का बोध होता है और न ही बेहतर एबियांस होने का। हॉस्पिटल कैंपस में बने कुल 103 कमरों में 430 डॉक्टर्स को एडजस्ट होकर रहना है। हॉस्टल में 24 मैरिड रूम (डाक्टर दंपती के लिए) हैं। खास बात यह है कि इन कैंपस की सुरक्षा के लिए न तो अलग से सिक्योरिटी गार्ड तैनात है और न ही सीसीटीवी कैमरा लगा है जिससे बाहर के मूवमेंट को वॉच किया जा सके। डाक्टरों को अंधेरा होने पर ज्यादा खतरा हो जाता है क्योंकि आसपास कुछ अराजक तत्व आते हैं।

सुरक्षा मांग रहे हैं छात्र
कोलकाता में महिला डाक्टर की हत्या के बाद से आंदोलन कर रहे डाक्टरों की मांग केवल इतनी है कि उन्हें सुरक्षा और संरक्षा दी जाए। पीजी छात्रावास ब्वायज और उसके पिछले हिस्से में जूनियर डाक्टरों के तमाम क्वार्टर हैं। इसमें दशकों पहले 103 कमरे बनवाए गए थे वही अब भी हैं। किराए पर रहने वालों के मानदेय में एचआरए (हाउस रेंट अलाउंस) की व्यवस्था नहीं है। पीजी छात्रावास के मुख्य प्रवेश द्वार से भीतर जाते ही बिजली की केबिल लगी हुई है। यह केबिल कई जगह से कटी हुई है। इसकी जमीन से ऊंचाई महज पांच फीट है, डाक्टरों को झुक कर आगे बढऩा पड़ता है। बगल में ही जहां बाइक-स्कूटी आदि पार्क करते हैं वहां भी केबिल कटी हुई है उसमें टेप तक नहीं लगा है। यह केबिल डाक्टरों के लिए हर पल खतरा बनी रहती है।

कोई पूछने वाला नहीं
छात्रावास में कहीं गार्ड नहीं हैं। दोपहर, शाम या रात में जो भी इस परिसर में आए उसके लिए कोई रोक टोक नहीं होते। डाक्टरों के कमरों में कई बार चोरी हो चुकी हैं। बाहर गाड़ी तक असुरक्षित रहती है। हड़ताल पर चल रहे डाक्टरों ने चार दिनों पहले ये मुद्दा कार्यकारी प्राचार्य डा। वत्सला मिश्रा के सामने उठाया था लेकिन आवाज नक्कारखाने में तूती बनकर रह गई।

मलिन बस्ती जैसा फील
अस्पताल का पीजी महिला छात्रावास किसी बूचडख़ाना से कम नहीं। भीतर बाथरूम, वरामदा, नल की टोटियां मलिन बस्ती से भी बदतर है। दरवाजे टूटे हैं। छत के पुराने हो चुके प्लास्टर अक्सर टूट कर गिरते हैं। महिला डाक्टर रात को भी अस्पताल से ड्यूटी खत्म होने पर आती-जाती हैं। इनकी सुरक्षा के नाम पर व्यवस्था शून्य है।

लगता है कैसे कटेगी रात
आंदोलन कर रहे रेजीडेंट डाक्टरों में डा। रवि प्रताप ङ्क्षसह, डा। सचिन कुमार आदि का कहना है कि अस्पताल में असुरक्षित रहते ही हैं, छात्रावास में जाने पर लगता है कि कैसे रात कटेगी। कोई भी आए हमला करके चला जाए। छात्रावास ऐसे स्थान पर है जिसके बाहर मुख्य रास्ता सुनसान है। कहते हैं कि हम सुरक्षित कैसे रहें, यह मेडिकल कालेज प्रशासन बताए।

छात्रावास के बाहर रात के समय पुलिस की गश्त बढ़ाई गई है। एसआरएन में पुलिस चौकी है। 366 कमरों वाले एक नए छात्रावास निर्माण के लिए शासन से स्वीकृति मिलने वाली है। भूतल के साथ सात मंजिला छात्रावास बनना है। पीजी महिला छात्रावास में स्थिति ज्यादा खराब नहीं है।
डा। वत्सला मिश्रा
एक्टिव प्रिंसिपल, एमएलएन मेडिकल कॉलेज

Posted By: Inextlive