31 दिसंबर तक लागू रहेगी स्वकर निर्धारण व्यवस्थाजलमूल्य के नाम पर नियम विरुद्ध कई गुना लोगों से वसूला जा रहा वाटर टैक्स

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। नगर निगम कार्यकारिणी समिति की बैठक में बुधवार को हाउस व वाटर टैक्स का मुद्दा काफी गर्म रहा। करीब आधे घंटे तक इस पर हुई चर्चा बेनतीजा रही। जल मूल्य के नाम पर पब्लिक से कई गुना अधिक वाटर टैक्स लिए जाने का मामला सामने आया। सदस्यों के जरिए जलकल विभाग पर मानक से अधिक वाटर टैक्स लिए जाने का मुद्दा उठाया गया। इस पर विभाग के मौजूद अफसर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। मेयर उमेश चंद्र गणेश केसरवानी के द्वारा स्वकर निर्धारण की डेड लाइन को बढ़ाते हुए 31 दिसंबर किया गया है। अब भवन मालिक 31 दिसंबर तक स्वकर निर्धारण प्रणाली का लाभ ले सकेंगे।

वाटर टैक्स पर घिरा जलकल विभाग
महापौर की अध्यक्षता में हुई कार्यकारिणी की बैठक में सदस्य व भारद्वाजपुरम के पार्षद शिवसेवक सिंह द्वारा हाउस व वाटर टैक्स का मुद्दा उठाया गया। इन दोनों विषयों पर चर्चा का लिखित प्रस्ताव वह पहले ही पेश कर चुके थे। उन्होंने कहा कि सदन के निर्णय के बावजूद नगर निगम अधिनियम 1995 की धारा 173 उपखण्ड दो का जलकल विभाग उल्लंघन कर रहा है। नियम कहता है कि विभाग पब्लिक से 12.50 प्रतिशत से अधिक वाटर टैक्स नहीं ले सकता। इसके बावजूद विभाग लोगों से 48, 50 व 60 तक वाटर टैक्स वसूल रहा है। इस प्रकरण पर चर्चा शुरू होते ही सभी सदस्यों का रुख तख्ल हो गया। एक समान वाटर टैक्स व्यवस्था की सदस्य मांग करने लगे। डिमांड थी कि समान वाटर टैक्स व्यवस्था लागू करने के लिए प्रस्ताव पारित कर शासन को भेजा जाय। अफसरों का कहना था कि यह व्यवस्था शासन स्तर से डिसाइड है वहीं से चेंज हो सकती है। इस पर महापौर के द्वारा बाद में चर्चा करने की बात कही गई है।

ऐस बेनतीजा रही हाउस टैक्स पर चर्चा
सदस्यों ने कहा कि नगर निगम सदन के द्वारा तय किया गया था कि जीआईएस सर्वे पर आपत्ति के तीन दिन के अंदर डिमांड बिल जेनरेट करने का प्रस्ताव पास हुआ था।
हफ्तों बाद भी डिमांड बिल जेनरेट नहीं हो रही और पब्लिक परेशान है। नगर आयुक्त तीन दिन के अंदर डिमांड बिल जेनरेट करवाएं।
हाउस टैक्स में ब्याज की रकम माफ करते हुए मूल हाउस टैक्स जमा करने की व्यवस्था लागू कराया जाय।
कामर्शियल व सेमी कामर्शियल भवनों का फिर गृह मूल्यांकन स्वकर प्रणाली लागू करने की मांग चर्चा में की गई।
मुख्य कर निर्धारण अधिकारी पीके द्विवेदी द्वारा ऐसा करने पर नगर निगम को करोड़ों रुपये के नुकसान की बात कही।
उन्होंने कार्यकारिणी को बताया कि यदि हाउस टैक्स में ओटीएस स्कीम लागू की गई तो अच्छी वसूली पर शासन से मिलने वाली करोड़ों की प्रोत्साहन राशि से नगर निगम वंचित हो जाएगा।
प्रकरण को लेकर चल रही चर्चा के बीच महापौर को हस्तक्षेप करना पड़ा।
उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर विषय है इस पर विस्तृत चर्चा के बाद आगे का कदम उठाया जाएगा।

Posted By: Inextlive