घबराने की नहीं, अलर्ट रहने की जरूरत
कोरोना की पहली लहर में बुजुर्ग, दूसरी लहर में युवा वर्ग और अब माना जा रहा है कि तीसरी लहर में यह वायरस बच्चों पर अधिक अटैक कर सकता है। देश के वैज्ञानिक ऐसा ही कयास लगा रहे हैं। जिसको देखते हुए अभी से तैयारियां शुरू की जा रही हैं। अस्पतालों में बच्चों के लिए बेड और वार्ड बनवाए जा रहे हैं। डॉक्टर्स को एलर्ट रहने को कहा गया है। अस्पतालों में बच्चों की ऑन स्पाट टेस्टिंग के आदेश जारी किए गए हैं। सरकार की क्या हैं तैयारियां और ऐसे माहौल में बच्चों को कैसे वायरस से बचाकर रखें। इस बारे में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के एचओडी डॉ मुकेश वीर सिंह से बात की।
सवाल- कोरोना की तीसरी लहर के कब तक आने की उम्मीद है। इस लहर में बच्चों पर कितना असर हो सकता है।जवाब- अभी केवल कयास लगाए जा रहे हैं। पहली लहर में सबसे ज्यादा बुजुर्गो को नुकसान पहुंचा था। दूसरी लहर में 30 से 45 साल के युवा सबसे ज्यादा संक्रमित हुए। ऐसा माना जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर अक्टूबर-नवंबर तक आ सकती है। जिसमें सबसे ज्यादा बच्चे संक्रमित हो सकते हैं। यही कारण है कि सरकार और अस्पताल दोनों एलर्ट मोड पर आ गए हैं।
सवाल- किस तरह की तैयारियां की जा रही हैं। क्या बच्चों को इलाज के लिए भर्ती होना पडे़गा। जवाब- अभी तक आई दोनों लहर में बच्चों के संक्रमण के मामले अधिक नहीं आए हैं। उम्मीद है कि तीसरी लहर में भी यही स्थिति बनी रहेगी। फिर भी प्रशासन के आदेश पर बेली अस्पताल और एसआरएन में पीडियाट्रिक आइसोलेशन वार्ड की व्यवस्था की जा रही है। यहां पर आक्सीजन की सुविधा भी उपलब्ध रहेगी। चिल्डेन अस्पताल में ऑन स्पाट बच्चो की कोरोना जांच भी की जाएगी। अस्पतालों की ओर से वार्ड बनाने के लिए प्रशासन ने प्रपोजल की मांग की है। सवाल- संभावित खतरे से बच्चों को कैसे बचाया जा सकता है। बच्चों का टीकाकरण कारगर साबित हो सकता है क्या। जवाब- बिल्कुल। बच्चों की वैक्सीन जल्द ही आने वाली है। वैक्सीन ही एक मात्र रास्ता है। फाइजर कंपनी ने 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों की वैक्सीन लांच करने की बात कही है तो को वैक्सीन का दो साल से अधिक उम्र के बच्चों की वैक्सीन का ट्रायल शुरू हो गया है। यह वैक्सीन जल्द ही बच्चों को लगाई जा सकती है। सवाल- बच्चों को कोरोना संक्रमण से कैसे बचाकर रखा जा सकता है।जवाब- बच्चों को घर के भीतर सुरक्षित रखना है। वैक्सीन लांच होती है तो उनको वैक्सीनेट कराना है। उनको पौष्टिक भोजन देना है और अगर कोई व्यक्ति संक्रमित है तो उससे दूर रखना है। भीड़ भाड़ वाली जगहों पर बच्चों को नहीं ले जाना है। उनको सर्दी, जुकाम या बुखार जैसे लक्षण आते हैं तो डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।
सवाल- वर्तमान में कोरोना पॉजिटिव बच्चों के इलाज की क्या व्यवस्था है। जवाब-एसआरएन अस्पताल में अलग से वार्ड बनाया गया है। हमारे यहां जो बच्चा ओपीडी में आता है उसमें कोविड के लक्षण दिखते हैं तो जांच और इलाज के लिए एसआरएन भेज दिया जाता है। हमारी ओर से इन बच्चों के इलाज के लिए 14 दिन के लिए डाक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की टीम भी भेजी जाती है। दूसरी लहर में बच्चों की रिकवरी रेट बहुत अच्छी रही है।