इस बच्ची की उम्र सिर्फ नौ साल है. इसका नाम काजल है. इसका हौसला और जज्बा देखकर लोग दांतों तले अंगुलियां दबा लेने पर मजबूर थे. इस बच्ची ने बिना रजिस्ट्रेशन कराए मैराथन में हिस्सा लिया और 42.194 किलोमीटर की दूरी तय की. करीब तीन घंटे से अधिक समय तक लगातार दौड़ लगाती रही. न थकी और न ही मंजिल तक पहुंचने से पहले हौसले का साथ छोड़ा. वह न तो विजेता बन पायी और न ही सांत्वना पुरस्कार पाने की हकदार बनी. लेकिन इससे बड़ा मलाल उसे इस बात का रहा कि वह ऑफिशियली मैराथन का हिस्सा नहीं बन पायी.


प्रयागराज (ब्‍यूरो)। काजल बिंद अपने पिता के साथ पहुंची थी। उसने गुरुवार को भी मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में दस्तक दी थी। अफसरों से मिलकर गुहार लगायी थी कि उसे भी मैराथन का हिस्सा बनने दिया जाय लेकिन प्रशासन और खेल विभाग के अफसरों ने हाथ खड़े कर दिये। कारण उसका नाबालिग होना बताया गया। काजल बेसिकली मेजा एरिया की रहने वाली है। वह कक्षा तीन की छात्रा है। मैराथन पूरा करने के बाद स्टेडियम में मीडियाकर्मियों ने बात करने की कोशिश की तो पिता ने बताया कि काजल को दौडऩे का जुनून है। पांच साल की उम्र से उसने दौड़ लगानी शुरू की। अब वह मैराथन जैसी दौड़ के लिए तैयारी कर रही है। काजल के पिता ने बताया कि वह काजल एक अल्ट्रामैराथन में पार्टिसिपेट कर चुकी है। तक उसने कुल 65 किलोमीटर की दूरी तय की थी। शुक्रवार को जब काजल ने इंदिरा मैराथन में ट्रैक पर दौड़ लगाई तो उसने तमाम धावकों को पीछे छोड़कर सबका दिल जीत लिया। काजल का हौसला देखकर दूसरे धावक जोश से भर गये।

इंडिया के लिए गोल्ड जीतने का सपना
काजल बिंद ने बताया कि वह भारत के लिए मैराथन में गोल्ड जीतना चाहती हैैं। इसके लिए उन्होंने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। अब तो स्थित यह है कि नार्मल डेज में भी एक बाद पैदल निकलती है तो फिर चलती ही जाती है। अपने ज्यादातर काम वह पैदल चलकर ही करती है। उसकी बातों को सुनने के बाद स्टेडियम में मौजूद लोगों ने उसमें जोश भरा और कहा कि वह अपनी कोशिश जारी रखे। आज नहीं तो कल सिस्टम उसके सामने नतमस्तक होगा।

Posted By: Inextlive