अपनी बला टालने के लिए माघ मेला प्रशासन हर सम्प्रदाय के संगठनों को जमीन सौंप रहा है. फिर संगठन के लोग अपनी सुविधा के अनुसार उसका वितरण करते हैं. इससे पुराने लोगों को जमीन मिल रही है लेकिन नए शिविराध्यक्ष परेशान हैं. उन्हें न जमीन मिल रही है न ही सुविधा. अधिकारी भी उनकी बात सुनने को तैयार नहीं हैं. आचार्य नगर में कुछ ऐसा ही हुआ है. मेला प्रशासन ने महात्माओं में सामंजस्य स्थापित करके श्रीरामानुज नगर प्रबंध समिति को सेक्टर चार व पांच में 78 बीघा जमीन आवंटित कर दिया. सारी जमीन को 209 शिविराध्यक्षों ने आपस में बांट लिया क्योंकि हर बार इनका शिविर लगता रहा है.


प्रयागराज (ब्‍यूरो)। लगभग 20 महात्मा ऐसे हैं जो पहली बार माघ मेला आए हैं, परंतु आचार्य नगर में उनकी संस्था को जमीन आवंटित नहीं हुई। जमीन न मिलने से महात्मा परेशान हैं। वो समिति के पदाधिकारी व अधिकारियों का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। श्रीरामानुज नगर प्रबंध समिति के कोषाध्यक्ष जगद्गुरु घनश्यामाचार्य का कहना है कि मेलाधिकारी ने बढ़े हुए महात्माओं को अलग से जमीन मांगी गई है। उन्होंने शीघ्र जमीन मुहैया कराने का भरोसा दिया है। जमीन मिलते ही बचे महात्माओं को उसे दे दिया जाएगा।

नहीं मिल रही सुविधा पर्ची
माघ मेला क्षेत्र में भूमि आवंटन की प्रक्रिया 22 दिसंबर को शुरू हुई है। सबसे पहले दंडी संन्यासियों को शिविर लगाने के लिए जमीन आवंटित की गई। इसके बाद खाकचौक के महात्माओं को जमीन वितरित हुई है। मेला प्रशासन जमीन आवंटित करने के बाद सुविधा पर्ची नहीं दे पा रहा है। इससे दंडी संन्यासी व खाकचौक के महात्माओं को रहने में दिक्कत हो रही है। कुछ ने धर्मशाला में आसरा लिया है, वहीं कुछ संन्यासी शिष्यों के यहां रुके हैं। सुविधा पर्ची के लिए वो मेला प्रशासन कार्यालय का चक्कर काटने को मजबूर हैं। इससे उनके शिविर लगाने का काम भी पिछड़ रहा है। ड्ड

Posted By: Inextlive