छोटा-मोटा एमाउंट बाइक और तेल देकर इन सभी को किया जाता है मोटीवेट

प्रयागराज ब्यूरो । माफिया अतीक अहमद के गैंग में अब तक सामने आए शूटर कौन हैं? इसके बारे में शायद ही किसी को पता हो। अतीक के गैंग से जुड़े सदस्य कहां से आते हैं और उनकी पृष्ठभूमि क्या होती है? यह भी किसी को पता नही होता है। उमेश पाल हत्याकांड के बाद पुुलिस की इनवेस्टिगेशन इसी एंगल पर चल रही है। पुलिस अधिकारी यूनिवर्सिटी और कॉलेज के ऐसे छात्रों की तलाश में लग गए हैं जिनका अपराधिक इतिहास रहा है और यह वर्तमान में किस तरह से अतीक गैंग व अन्य गैंग से जुड़े हुए हैं।

इनका था यूनिवर्सिटी से कनेक्शन
उमेश हत्याकांड के शूटर सदाकत अली, अरमान और गुलाम का कहीं न कहीं से इलाहाबाद विवि समेत दूसरी यूनिवर्सिटीज से संबंध रहा है। इनमें से सदाकत अली मुस्लिम बोर्डिंग हास्टल में रह रहा था और यहीं पर उमेश पाल हत्याकांड की साजिश को अंजाम दिया गया था। वह लंबे समय से अतीक गैंग से जुड़ा था और इस समय पुलिस की हिरासत में है। इसे अतीक का बेटा असद अली फाइनेंस कर रहा था। इसके सारे शौक भी असद ही पूरा करता था। इसी तरह गुलाम भी यूनिवर्सिटी का छात्र था। अरमान भी किसी कॉलेज से जुड़ा था और अपने उग्र तेवर के चलते अतीक के गैंग से जुड़ गया। गुलाम पर जिले के अंदर कई थानों पर आगजनी, मारपीट, हत्या का प्रयास व हत्या जैसे मुकदमे दर्ज हैं। इसके साथ रहने वालों तक का अपराधिक इतिहास रहा है। उसके बारे में भी पुलिस पता लगा रही है।

क्रिमिनल माइंड होने का फायदा
आशंका जतायी जा रही है कि गुलाम का अपराधिक इतिहास देखकर ही उसे अतीक ने अपने गैंग में जगह दी थी। प्रयागराज में उसने दस साल पहले एक ठेकेदार की गोली मारकर हत्या कर दी थी। उस समय इसकी एज काफी कम थी। इसी तरह अरमान और सदाकत अली का भी इतिहास रहा है। छात्र आंदोलन की आड़ में इन्होंने अक्सर अपने उग्र तेवर से अपराधियों और पुलिस का ध्यान अपनी ओर खीचा है। अरमान ने तो अपने गांव में ही दहशत फैलाई थी। लोग उसके नाम से आज भी थर्राते हैं। इसका फायदा उसे अतीक के करीबी होने के जरिए मिला। पुलिस प्रशासन को गुमराह करने के लिए छोटा-मोटा व्यापार डाल देते है। बाकि उनका काम भाई के लिए करना होता है।

रोज पार्टी कर चिन्हित करते हैं लड़के
सूत्रों की माने तो इलाहाबाद विश्वविद्यालय से जुड़े जितने भी हॉस्टल है। उनपर अतीक गैंग की विशेष नजर रहती थी। क्योंकि इनको पता होता है कि अचानक से लड़कों की भीड़ चाहिए तो यहीं से मिल सकता है। इसलिए यह लोग कुछ हॉस्टलों में अपना दबदबा जमा रखे हैं। यह ही नहीं इन हॉस्टलों में रोजाना रात्रि की पार्टी तक ऑर्गेनाइज करते हैं ताकि रात्रि में जब भीड़ लड़कों व छात्रों की भीड़ एकत्रित हो तो बातचीत में निकल कर सामने आ सके। आखिर कौन उग्र तेवर का है। किसने पूर्व में बड़ा कारनामा कर रखा है। इसका पता भी वह इसी पार्टी के जरिए पता लगाते है। उसके बाद धीरे से नाम सामने आने पर उनको इनडायरेक्ट वे से फाइनेंस किया जाता है। जब उसकी इच्छाएं आसमान छूने लगता है तो उसको धीरे से भाई के लोगों से मिलाया जाता है। उसके बाद फिर वह गैंग में शामिल हो जाता है।

बड़े-बड़े नेता तक होते है शामिल
दिन-दो अक्टूबर, सन-2017. इस दिन बाहुबली विजय मिश्रा के खिलाफ चुनाव लडऩे वाले बीएसपी नेता राजेश यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के तारा चंद हॉस्टल में अपराधियों ने उन्हें गोली मारी दी थी। वह भी रात्रि में एक पार्टी में शामिल होने गए थे। इनको गोली भी उग्र तेवर वाले छात्रों ने वारदात को अंजाम दिया था। जिसमें प्रतापगढ़ के अंतेश प्रताप सिंह, आशुतोष, सुल्तानपुर के आकाश सिंह, अभिनव और उत्कर्ष शामिल थे। सूत्रों का दावा है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय से जुड़े कुछ हॉस्टलों में बेरोजगार उग्र तेवर वाले छात्रों को हायर करने का काम भी रात्रि में ही तय होता था। इसमें हर पार्टी का नेता अपने हिसाब से पार्टी ऑर्गेनाइज कराते हैं। इस पार्टी में पूर्व छात्र नेता ज्यादा शामिल होते थे। जिनका कॅरियर अपराधिक मुकदमो के चलते खराब हो गया।

सबका बंटा हुआ होता है काम
सूत्र की मानें तो हर छात्र किसी न किसी काम के लिए जाना है। कोई बम चलाने में एक्सपर्ट है तो कोई बिना सोचे समझ फौरन मारपीट व गोली चला देता है। ऐसे लड़कों को चिन्हित कर उनका एक ग्रुप बनाया जाता है। उसके बाद वह गु्रप के जरिए छोटा-मोटा काम दिया करते हैं। जब वह छोटे-मोटे काम को अच्छे से कर लेते थे तो उनकी एंट्री भाई के गैंग में हो जाती थी। पुलिस जो लिस्ट तैयार कर रही है उसमें सौ से अधिक लड़के शामिल है। जिस पर नजर रखने के साथ मौजूदा कंडीशन दिखा जा रहा है कि आखिर वह किस गैंग से जुड़ा है व संपर्क में है। उनके जरिए भी पुलिस टीम को काफी पहलू पर वर्कआउट के लिए फायदा मिलेगा। यही सोच कर पुलिस पूर्व व वर्तमान छात्रों पर वर्क कर रही है।

Posted By: Inextlive