दिन में फिर पहुंचे पुलिस आयुक्त और डीएम छात्रों से की बात नहीं बनी बातअफसर बोले अकेले में नहीं करेंगे करेंगे कोई बात मांग स्वीकार होगी तभी हटेंगेआयोग के गेट पर लिखा 'लूट सेवा आयोग' निकाली आयोग के अध्यक्ष की सांकेतिक 'अर्थी

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। प्रतियोगी छात्रों का आंदोलन समाप्त कराने के लिए जितना प्रयास पुलिस कमिश्नरेट और जिलाधिकारी की तरफ से किया जा रहा है, उस तरह का प्रयास मंगलवार को भी उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की तरफ से नहीं दिखा। सोमवार की आधी रात को छात्रों से मिलने के लिए पहुंचे दोनों अफसर, मंगलवार को दिन में पहुंचे। छात्रों से आग्रह किया कि वे 10 से 20 सदस्यों का एक डेलीगेशन बना लें और बैठकर बात करें। सिर्फ धरना देने से तो बात बनेगी नहीं। पुलिस आयुक्त और डीएम के बात करने के समय आयोग की तरफ से कोई भी मौजूद नहीं था। इस स्थिति में छात्रों ने कोई भी बात करने से इंकार कर दिया। उधर, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने भी छात्रों की मांगों पर विचार करने का आह्वान उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से किया है। छात्रों के सोशल मीडिया पर बने ग्रुपों में यह मैसेज भी घूमता रहा कि सोमवार की रात पुलिस ने आंदोलन में शामिल कुछ छात्रों के घर तक पुलिस पहुंच गयी है। इसका जमकर विरोध किया गया। समाचार लिखे जाने के समय तक कोई हल नहीं निकला था और छात्रों का आंदोलन यथावत जारी था।

बदल दिया आयोग का नाम
पीसीएस-2024 (प्रारंभिक) और आरओ/एआरओ-2023 (प्रारंभिक) परीक्षा दो दिवसों में कराने के यूपीपीएससी के फैसले के विरोध में करीब 36 घंटे बाद भी कोई समाधान न मिलने पर छात्रों का तेवर बदलता जा रहा है। उन्होंने कानून अपने हाथ में लेने की कोशिश नहीं की लेकिन विरोध का तरीका लगातार बदलते रहे। रात में वे ड्रम उठा ले आये और रात भर उसे बजाते हुए साथियों को जागते रहो का संदेश देते रहे। इसमें छात्रों के साथ छात्राएं भी शामिल थीं। दिन में छात्रों ने आयोग से कोई सुनवाई न होने पर मंदाकिनी गेट पर 'लूट सेवा आयोगÓ लिख दिया। दोपहर बाद अध्यक्ष की सांकेतिक अर्थी निकाली। सिर के बल खड़े होकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन करने वाले छात्रों ने नार्मलाइजेशन के परिणामों के जरिए भर्ती में संभावित भ्रष्टाचार के तमाम स्लोगन बना डाले और उसे दिखाकर पूरे दिन प्रदर्शन करते रहे। पूरे दिन नगाड़ों की आवाज गूंजती रही।

जन गण मन से शुरुआत
सोमवार की रात आयोग के सामने मौजूद रहे छात्रों ने जैसे तैसे रात काटी। सुबह छह बजे सभी प्रदर्शन स्थल पर खड़े हो गये। सावधान की मुद्रा में खड़े होकर राष्ट्रगान गाया और फिर वंदे मातरम का पाठ करते हुए आंदोलन को अंजाम तक पहुंचाने का संकल्प दोहराया। मंगलवार को दिन में एक बार फिर पुलिस आयुक्त तरुण गाबा और डीएम रवींद्र कुमार मांर्दण्ड छात्रों से बातचीत के लिए पहुंचे। उन्होंने छात्रों से प्रदर्शन खत्म करने की अपील की। पुलिस की माइक से डीएम ने कहा कि लोकतंत्र की खूबसूरती यही है कि बैठकर बातचीत की जाय और समस्या का समाधान खोजा जाय। डीएम ने छात्रों को बोलने का मौका सेम माइक पर दिया तो छात्र ने 15 अक्टूबर की पूरी कहानी बयां कर दी। कहा कि आयोग के नोटिफिकेशन के पहले ही हमने ज्ञापन सौंप दिया था और नार्मलाइजेशन को खारिज कर दिया था। एक ही दिन में परीक्षा कराने को लेकर ज्ञापन सौंपना था। इसके लिए भी हमें पांच घंटे एक गेट से दूसरे गेट के बीच संघर्ष करना पड़ा। सुबह से शाम हो गयी तो किसी तरह से ज्ञापन लिया गया। भरोसा दिलाया गया था कि छात्रों की बात पर गंभीरता से विचार करके फैसला लिया जायेगा लेकिन नोटिफिकेशन जारी करते हुए आयोग ने उनकी मांगों को सिरे से खारिज कर दिया। छात्र ने कहा कि इस स्थिति के चलते उनका भरोसा आयोग से उठ गया है। अब जो भी बात होगी आमने सामने होगी और परीक्षा एक दिन में ही कराने का फैसला लिखित में चाहिए होगा। इसके बाद बातचीत का यह रास्ता बंद हो गया।

लगाया लापता का पोस्टर
दिन में आयोग के अध्यक्ष संजय श्रीनेत की सांकेतिक अर्थी निकालने वाले छात्रों ने शाम को आयोग के बार उनके गुमशुदा होने का पोस्टर भी चिपका दिया। इसमें छात्रों की तरफ से आयोग के अध्यक्ष का पता बताने वाले को इनाम देने की भी घोषणा की गयी है। बता दें कि प्रयागराज में चल रहे आंदोलन के समर्थन में मंगलवार को सेम मांगों को लेकर प्रतियोगी छात्रों ने प्रदर्शन किया।

छात्र नेता का क्राइम रिकॉर्ड
प्रतियोगी छात्रों के आंदोलन में शामिल एक युवक को अपराधी किस्म का बताया गया है। सोशल मीडिया पर मंगलवार को (दैनिक जागरण आई नेक्स्ट इसकी पुष्टि नहीं करता) एक मैसेज ऐसा भी घूमता रहा जिसमें इस युवक की क्राइम हिस्ट्री बतायी गयी है। यह छात्र पहले दिन के आंदोलन में अगली कतार में भी दिखा था। बताया जाता है कि यह समाजवादी पार्टी का कार्यकर्ता है और कुछ दिन पहले ही जेल से छूटकर आया है। वैसे सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रतियोगी छात्रों का खुलकर साथ दिया है।

ङ्ग पर समर्थन और विरोध
छात्रों की मांगों पर संवेदनशीलता दिखायी जानी चाहिए। सरकार निष्पक्ष और पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया के लिए कृतसंकल्प है।
केशव प्रसाद मौर्य
डिप्टी सीएम, यूपी

भाजपा चुनाव एक दिन में करा सकती है, पर परीक्षा नहीं। भाजपा के राज में युवाओं को केवल तनाव मिला है।
अखिलेश यादव
राष्ट्रीय अध्यक्ष सपा

क्या यूपी के पास एक समय में परीक्षा कराने की बुनियादी सुविधाओं का इतना अभाव है कि पीसीएस आदि जैसी विशिष्ट परीक्षा दो दिन में करानी पड़ रही है। छात्रों के प्रति पूरी सहानुभूति है और हर संभव सहयोग देंगे।
मायावती
बसपा सुप्रीमो

नार्मलाइजेशन का विरोध क्यों
आयोग ने तर्क दिया है कि अलग-अलग दिनों और शिफ्टों में आयोजित परीक्षा के लिए नार्मलाइजेशन एक आवश्यक और पारदर्शी प्रक्रिया है।
आयोग ने इसके समर्थन में नीट परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित राधाकृष्णन कमेटी की अनुशंसाओं का हवाला दिया है
आयोग का कहना है कि देश के विभिन्न प्रतिष्ठित आयोगों में भी इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है।
आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि न्यूनतम मानव हस्तक्षेप सुनिश्चित करते हुए प्रणाली को पारदर्शी बनाने के लिए तकनीकी आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा।
छात्र नार्मलाइजेशन के इस कदम को निष्पक्षता में बाधा मानते हैं।
छात्रों का कहना है कि इस प्रक्रिया के माध्यम से विभिन्न शिफ्टों में आए प्रश्नपत्रों में असमानता के कारण परिणामों में भेदभाव हो सकता है।
प्रत्येक शिफ्ट में सवालों की कठिनाई में अंतर हुआ, तो नार्मलाइजेशन सही परिणाम नहीं दे पाएगा।
छात्रों को यह भी आशंका है कि विवादास्पद प्रश्नों के चलते यह मामला कोर्ट में उलझ सकता है और उनकी मेहनत का वास्तविक मूल्यांकन नहीं हो पाएगा।

विद्यार्थी परिषद भी आया साथ
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री अंकित शुक्ला ने कहा कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित पीसीएस एवं आरओ एआरओ परीक्षाओं में निर्धारित नियमावली से अभ्यर्थियों के मन में कुछ आशंकाएं व्याप्त हैं। जिसे लेकर अभ्यर्थी लगातार कई स्तरों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। अभाविप उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से यह मांग करती है की अभ्यर्थियों की समस्त चिंताओं का जल्द से जल्द निराकारण आयोग को करना चाहिए.अभाविप का यह स्पष्ट मत है की परीक्षाओं की शुचिता एवं पारदर्शिता से किसी भी प्रकार का समझौता स्वीकार्य नहीं है एवं केंद्र निर्धारण एवं मानकीकरण को ले कर अभ्यर्थियों की समस्त चिंताओं का गंभीरतापूर्वक निराकरण होना चाहिए। परिषद के काशी प्रांत के प्रांत मंत्री अभय प्रताप सिंह ने कहा की, संगठन पीसीएस प्री और आरओ-एआरओ प्री के शुचितापूर्ण आयोजन को लेकर छात्रों की शंकाओं का समाधान आयोग को करना चाहिए।

हम प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों पर हुए लाठीचार्ज की निंदा करते हैं। हमारा यह स्पष्ट मत है की समस्त चिंताओं के निराकरण का माध्यम सतत संवाद ही होना चाहिए।
अभिनव मिश्र
प्रदेश मीडिया संयोजक, एबीवीपी

दबाव बनाने के लिए दबिश
मंगलवार की सुबह प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय ने मंगलवार की शाम एक वीडियो जारी किया और बताया कि एलआईयू की तरफ से उन्हें लगातार कॉल किया जा रहा है और दबाव बनाया जा रहा है। उनके पैतृक गांव तक लोकल पुलिस पहुंच गयी थी। उनके पिता और परिवार के सदस्यों का नंबर मांगा जा रहा था। उन्होंने इसे प्रेशर गेम बताया और कहा कि वह खुद इस आंदोलन को नैतिक समर्थन प्रदान कर रहे हैं लेकिन प्रदर्शन में शामिल नहीं हैं। उन्होंने वीडियो में कहा है कि यह मानवाधिकार के हनन का मामला है और वह दबाव में झुकने वाले नहीं हैं। उन्होंने इसमें फिर कहा है कि प्रतियोगी छात्रों की मांग जायज है और वे इसका समर्थन करते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से प्रकरण का संज्ञान लेने की अपील की है।

Posted By: Inextlive