दिल के मामले में लापरवाही अच्छी नहीं है मित्र
प्रयागराज (ब्यूरो)।गंभीर बीमारियां साइलेंट एनिमी की तरह होती हैं। यह धीरे-धीरे पनपती हैं, जिससे इनके प्रारंभिक लक्षण नजर नही आते हैं। यह बात प्रसिद्ध हार्ट स्पेशलिस्ट पदमश्री डॉ। नरेश त्रेहान ने कही। वह शनिवार को सिविल लाइंस के निजी होटल में पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारी से होशियार रहने की जरूरत है। खून को ले जाने वाली धमनियोंं में ब्लाकेज होते रहते हैं लेकिन हमें पता नहीं चलता है। जब यह अचानक ब्लास्ट करती हैं तो मरीज की जान पर बन आती है।
लक्षण का वेट मत करें, खुद कराएं जांच
उन्होंने कहा कि गंभीर बीमारियों का एज क्राइटेरिया कम हो रहा है। पहले पचास साल था लेकिन अब 40 साल की उम्र पार होते ही सतर्क हो जाना चाहिए। अगर आप इस एज में शुगर, बीपी या मोटापे से परेशान हैं तो देर मत करिए। अगर पारिवारिक पृष्ठभूमि में यह बीमारी रही है तो भी सतर्क हो कर तत्काल अपनी जांच कराएं। इसके लिए किसी लक्षण या सलाह का इंतजार मत करिए। उन्होंने इस मौके पर हृदय रोग, कैंसर व लीवर की गंभीर बीमारियों के इलाज में बेहतर चिकित्सा सुविधा देने की संभावना तलाशने की बात भी कही। टालने वाला नहीं सीने का दर्द
पत्रकारों से बातचीत में डॉ। त्रेहान ने कहा कि सीने में हल्का दर्द भी हो तो इसे एसिडिटी कतई मत मानें। अस्पताल में जाकर ईसीजी, सीटी स्कैन या कोरोनरी एंजियोग्राफी अवश्य करा लें तो असलियत सामने आ जाएगी। कहा कि अब नई तकनीक में लिक्विड बायोप्सी होने लगी है जिसमें खून की जांच से ही यह पता चल जाता है कि आपके शरीर में कैंसर के कितने सेल मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि मानसिक तनाव, धूम्रपान आदि की वजह से युवाओं में हार्ट अटैक केमामलों मे बढ़ोतरी हो रही है। यही कारण है कि इस बीमारी के मरीजों का एज ग्रुप घटता जा रहा है। इस दौरान वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डा। रजनीश कपूर, डा। मनीष बंसल, डा। दिलीप दुबे ने भी बीमारी और इलाज की नई-नई तकनीक पर अपने विचार व्यक्त किए। यह भी बताया गया कि मेदांता लखनऊ 950 बेड का अस्पताल है। प्रयागराज में इसकी सेटेलाइट शाखा यानी करीब 300 बेड की क्षमता वाला अत्याधुनिक मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल खोलने की तैयारी है। इसके लिए यहां संभावनाओं पर विचार चल रहा है। बता दें कि प्रयागराज में हार्ट के मरीजों के इलाज की बेहतर सुविधा फिलहाल उपलब्ध नही है। सरकारी और प्राइवेट सेक्टर दोनों में मरीज को बेहतर इलाज नही मिलने पर अक्सर लखनऊ या दिल्ली रेफर कर दिया जाता है।