राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने डीएम प्रयागराज पर लगाया 20 हजार हर्जाना
प्रयागराज ब्यूरो । प्रयागराज में नालों का पानी शोधित किये बिना नदियों में न पहुंचने देने के आदेश का पालन नहीं हो रहा है। इससे नदियां प्रदूषित हो रही हैं। इसका दुष्प्रभाव सामने आ रहा है। इसका साल्यूशन वर्कआउट करने के साथ ही प्लान शेयर करने को लेकर भी अफसर गंभीर नहीं हैं। अब अब पर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। स्टेटस रिपोर्ट समय पर पेश करने पर एनजीटी ने डीएम प्रयागराज पर 20 हजार रुपये का हर्जाना लगा दिया है। कोर्ट ने हर्जाना की राशि जमा करने के साथ ही दो सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट सब्मिट करने का समय एनजीटी ने डीएम को दिया है।
एक जुलाई को होगी सुनवाई सिटी एरिया में गंगा और यमुना नदी के किनारे माघ और कुंभ मेले का आयोजन होता है। दोनो नदियों के संगम तट पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए विभिन्न त्योहारों के मौके पर हजारों लोग यहां जुटते हैं। इन नदियों में शहर के नालों का पानी बिना साफ हुए न पहुंचे इसके लिए क्या प्रयास किये जा रहे हैं? जो प्रस्ताव तैयार हैं उस पर अमल कितना हो रहा है? इसे लेकर कमलेश सिंह ने एनजीटी में याचिका दायर कर रखी है। इस पर 21 मई को प्राधिकरण चेयरमैन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, जस्टिस अरुण कुमार त्यागी (सदस्य न्यायिक) और जस्टिस सेंथिल वेल (सदस्य विशेषज्ञ) ने सुनवाई की। इस दौरान डीएम से मांगी गई रिपोर्ट भी प्रजेंट नहीं की गयी। डीएम का पक्ष रखने के लिए पेश हुए अधिवक्ता ने दो सप्ताह का समय मांगा तो बेंच ने हर्जाना लगाते हुए दो सप्ताह का समय दे दिया और सुनवाई की तिथि एक जुलाई मुकर्रर कर दी. फरवरी में गठित कर दी थी समिति ट्रिब्यूनल ने सात फरवरी, 2024 को पारित आदेश में, नोडल एजेंसी के रूप में जिलाधिकारी के साथ पांच सदस्यीय संयुक्त समिति का गठन किया था। इसमें सदस्य सचिव (सीपीसीबी), आरओ एमओईएफ एंड सीसी (लखनऊ), आरओ यूपीपीसीबी (प्रयागराज), मुख्य अभियंता, उप्र जल निगम के प्रतिनिधि शामिल किए गए थे। समिति से कहा गया था वह गंगा और यमुना में मिलने वाले सभी नालों और उन सभी एसटीपी का निरीक्षण करें जिससे दोनों नदियों में पानी छोड़ा जा रहा है। अगली सुनवाई की तारीख यानी 13 मार्च को कोई रिपोर्ट नहीं दी गई। हालांकि जिलाधिकारी के प्रत्युत्तर को ध्यान में देते हुए ट्रिब्यूनल ने रिपोर्ट दाखिल करने के लिए छह सप्ताह का समय और दे दिया। यह भी कहा था कि रिपोर्ट नहीं दे पाने की दशा में जिलाधिकारी खुद उपस्थित होंगे। बीते सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान कोरम को बताया गया कि छह सप्ताह की विस्तारित अवधि के दौरान भी कोई रिपोर्ट नहीं दी गई। ट्रिब्यूनल ने कहा, प्रयागराज मेला प्राधिकरण के अनुसार सीवेज ले जाने वाले 37 नालों को टैप किया गया है और 10 एसटीपी में डायवर्ट हैं। पर्यावरण मंत्रालय द्वारा अधिसूचित मानकों के अनुपालन के अनुसार उपचारित सीवेज को गंगा-यमुना में छोड़ा जाता है। फिलहाल 41 नालों को एसटीपी से नहीं जोड़ा गया है.