नाथ दसानन यह गति कीन्हीं, तेहि खल जनकसुता हरि लीन्हीं
प्रयागराज (ब्यूरो)।रामलीला में आगे लीला का मंचन होता है। जिसमें रावण अत्यंत क्रोधित होकर माता सीता का हरण करने साधु के भेष में पहुंचता है। साधु भेष में रावण सीता का हरण करके पुष्पक विमान से लंका पहुंचता है। लीला के इस प्रसंग को बड़ी खूबसूरती के साथ प्रस्तुत किया गया। इस दौरान आकाश मार्ग में जटायु और रावण के युद्ध और जटायु के घायल होकर जमीन पर गिरने की लीला का मंचन हुआ। आगे राम और जटायु का मिलन, श्रीराम और लक्ष्मण का माता शबरी के आश्रम पहुंचने, सुग्रीव के दरबार में राम की मित्रता, हनुमान जी को लंका भेजने की लीला का मंचन किया गया। जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया।
विरह व्यथा से व्यथित हुए रघुनाथ
श्रीपथरचट्टी रामलीला कमेटी की ओर से मंचित हो रही रामलीला में मंगलवार को लीला की शुरुआत शूर्पणखा के रावण दरबार में प्रवेश से होता है। जहां शूर्पणखा पूरे प्रसंग का वर्णन करके रावण को उकसाती है। दूसरी तरफ पंचवटी की लीला का मंचन शुरू होता है। जिसमें स्वर्ण मृग को देखकर माता सीता द्वारा उसकी कामना करना और भगवान को मृग के पीछे जाने, लक्ष्मण का उनके पीछे जाने और उसके बाद रावण का पंचवटी पहुंचना, सीता हरण की लीला का मंचन बेहद खूबसूरत अंदाज में प्रस्तुत किया जाता है। कलाकारों की प्रस्तुति देखकर दर्शक भी तालियां बजाकर उनका उत्साह बढ़ाते है। इसके बाद जटायु और रावण के बीच युद्ध की लीला के बाद भगवान श्रीराम का माता सीता को खोजते हुए वन-वन भटकने, राम का शबरी के आश्रम पहुंचने, सुग्रीव से मित्रता, बाली वध, सुग्रीव का राज्याभिषेक की लीला का मंचन शानदार तरीके से किया गया।
पजावा में लंका दहन की लीला का मंचन
श्री महंत बाबा हाथी राम पजावा रामलीला कमेटी के रामलीला में नवरात्र के सप्तमी पर लीला के मंचन की शुरुआत भगवान श्रीराम और हनुमान जी के मिलने से होती है। इसके बाद राम और सुग्रीव की मित्रता, बाली वध, को शानदार तरीके से प्रस्तुत किया गया। दर्शकों के लिए सबसे खास आकर्षण का केन्द्र हनुमान जी द्वारा वायु मार्ग से माता सीता की खोज करते हुए लंका पहुंचने की लीला रही। दर्शकों ने भी हनुमान जी के हवा में उड़कर लंका जाने के प्रसंग की मंच पर प्रस्तुति को देखकर खूब उत्साहित हुए। तालियां बजाकर दर्शकों ने कलाकारों का उत्साह बढ़ाया। इसके बाद लाइट और साउंड इफेक्ट से लंका दहन की लीला का मंचन किया गया। इस दौरान कमेटी के मोहन जी टंडन (टंडन भैया )अमिताभ टंडन, राजेश मल्होत्रा, सचिन कुमार गुप्ता, अशोक मालवीय, गिरी शंकर सागर पांडे, रवि गुप्ता, प्रभाकर आदि मौजूद रहे।
राजा राज शाह जू दल रामलीला कमेटी कोटवा प्रयागराज की ओर से 116 साल पुरानी रामलीला में शिवधनुष टूटने और सीता स्वयंवर की लीला का मंचन किया गया। राजा जनक की सभा में सीता स्वयंवर से लीला की शुरुआत होती है। जहां धनुष तोडऩे में हर कोई विफल होता है। इसके बाद गुरु की आज्ञा पाकर भगवान राम धनुष उठाने के लिए बढ़ते है और प्रत्यचा चढ़ाते ही धनुष के टूटने, परशुराम और लक्ष्मण के संवाद, सीता विवाह की लीला का मंचन हुआ। इस मौके पर वरिष्ठ समाजसेवी मनु प्रताप सिंह, विमल सिंह, त्रिभुवन उपाध्याय, सुरेंद्र नाथ पांडे, त्रिभुवन पांडे, भूपेंद्र सिंह, जितेंद्र सिंह, महेंद्र नाथ पांडे और सुजीत मालवीय के नेतृत्व में मंचन हो रहा है। ओम नम: शिवाय के पूज्य गुरुदेव प्रभु जी ने कहां रामलीला 116 वर्षों से आयोजित हो रही है।