चुनाव जीत कर भी हारा हुआ है मुजफ्फर
प्रयागराज (ब्यूरो)। नवाबगंज के चफरी गांव निवासी मो। मुजफ्फर दूध के कारोबार से जिंदगी की शुरुआत किया था। इस कारोबार में उसे मेहनत ज्यादा और इनकम नहीं के बराबर दिखाई दी। वह रातों-रात अमीर बन बनना चाहता था। बताते हें कि अपने इस सपने को पूरा करने के लिए वह कुछ भी करने तैयार था। बस उसका यही जुनून उसे पशु तस्करों की दुनिया में धकेल दिया। गुनाह के दलदल में कदम रखा तो धंसा ही चला गया। दौलत के साथ उस पर मुकदमों का बोझ भी बढ़ता गया। दौलत से तिजोरी भरी तो उसके सामाजिक दायरे में भी चेंज आने लगा। उसके कदम सियासत की धीरे-धीरे मुडऩे लगे। 2021 में मुजफ्फर कौंधियारा ब्लाक प्रमुख पद के चुनावी मैदान में सपा से उतर पड़ा। चुनावी फील्डिंग सजा ही रहा था कि 2002 के किसी मुकदमें पुलिस पीछे पड़ गई। यह देखकर वह आत्मसमर्पण किया और जेल चला गया। जेल में रहकर वह चुनाव लड़ा वोटरों का पूरा सपोर्ट मिला और वह ब्लाक पद का चुनाव जीत लिया। जेल से चुनाव तो वह जीत गया पर शपथ आज तक नहीं ले सका। ब्लाक का कामकाज प्रभावित नहीं हो इसके लिए एक कमेटी का गठन किया गया है।