प्रॉपर्टी डीलिंग संग पशु तस्करी का काकटेल करके दोनों हाथ से बटोरा था नोटअपराध से कमाई गई दौलत से बताई गई साढे 11 करोड़ की सम्पत्ति धूमनगंज पुलिस ने की कुर्क बड़े कास्तकार के बेटे मो. मुजफ्फर के अंदर दौलत की भूख काफी बढ़ गई थी. जिस शख्स के फैसले पर बड़ी-बड़ी पंचायतें टूट जाया करती थी उसका बेटा रातों-रात अकूत दौलत कमाने का सपना देखने लगा था. इस सपने को पूरा करने में वह कब प्रॉपर्टी के काम से अपराध के दलदल में जा पहुंचा उसके पिता को इस बात की भनक तक नहीं लगी. आज से करीब पंद्रह वर्ष पूर्व मुजफ्फर नवाबगंज चफरी गांव से निकल कर शहर में कदम रखा था. यहां धूमनगंज और पूरामुफ्ती इलाके में वह अपना साम्राज्य खड़ा करने का सिलसिला शुरू किया. प्रॉपर्टी की डीलिंग से होने वाली आय उसकी भूख को मिटाने के लिए पर्याप्त नहीं थी. शायद यही वजह रही कि वह प्रॉपर्टी डीलिंग के साथ पशु तस्करी का ऐसा काकटेल तैयार किया कि देखते ही देखते उसकी तिजोरी में दौलत की बरसात होने लगी. अवैध कमाई से प्राप्त दौलत के बूते पशु तस्करी में संगम से लेकर वाराणसी के लंका थाने तक उसके नाम का डंका बजने लगा. मुजफ्फर के खिलाफ दर्ज मुकदमों की फाइल मोटी होती गई और वह गुनाह की कमाई से सम्पत्ति और नोट बटोरता चला गया. उसके द्वारा ऐसे ही अपराध से कमाई गई दौलत से बनाई गई नगर निगम जोन छह लाल बिहारा बेलानगर साई मंदिर कॉलोनी स्थित दो अचल सम्पत्ति को धूमनगंज पुलिस द्वारा शुक्रवार दोपहर कुर्क किया गया. कुर्क की गई इस प्रॉपर्टी की अनुमानित कीमत साढ़े 11 लाख रुपये बताई गई है. हालांकि उसकी सम्पत्तियों के खिलाफ इसके पूर्व भी ऐसी कार्रवाई की जा चुकी है.

प्रयागराज (ब्यूरो)। मो। मुजफ्फर गंगापार इलाके के नवाबगंज थाना क्षेत्र स्थित चफरी गांव निवासी मुख्तार अहमद के यहां हुआ। जानकार बताते हैं कि आठ भाई और एक बहन के बीच जन्म लेने वाले मुजफ्फर की सोच हमेशा से ही हटकर रही है। उसके पिता मुख्तार अहमद इलाके के मानिंद और बड़े काश्तकार थे। करीब सौ से भी ज्यादा बीघे जमीन के मालिक मुख्तार की आम शोहरत सामाजिक और प्रतिष्ठित थी। मुख्तार को गुनाह और गुनहगारों दोनों से सख्त नफरत थी। उस दौर में पंचायतों का बड़ा क्रेज हुआ करता था, किसी भी मसले पर होने वाली पंचायत में मुख्तार की बातों पलड़ा भारी रहता था। पंचायत में बेबाक और निष्पक्ष निर्णय लेने के मामले में उनका कोई जवाब नहीं था। प्रॉपर्टी का बंटवारा हो या मारपीट जैसे अन्य मामले, मुख्तार के फैसले का समाज व पंचायत कभी विरोध नहीं करती था। लोग बताते हैं कि शादी विवाह के बाद मुख्तार का कुनबा आठ खेमों में बंट गया। शादी के बाद बेटी ससुराल रहने लगी। इस बीच मुख्तार की मौत हो गई और उसके आठों बेटे अपने-अपने परिवार को लेकर जीने खाने लगे। परिवार चलाने के लिए करीब पंद्रह वर्ष पूर्व मो। मुजफ्फर शुरुआती दौर में खेती बारी के साथ प्रॉपर्टी डीलिंग के काम में हाथ आजमाने लगा। गांव में इस काम से उसे फायदा नहीं समझ आया। वह गांव से निकला और धूमनगंज व पूरामुफ्ती इलाके को टारगेट किया। इन क्षेत्रों में वह प्रॉपर्टी की डीलिंग शुरू किया मगर, यहां भी उसकी सोच के मुताबिक लाभ नहीं दिखाई दिया। इस बीच यहां वह कुछ पशु तस्करों के नेटवर्क में आया। इसमें मो। मुजफ्फर को ज्यादा कमाई नजर आई और वह पशु तस्करी के इस धंधे में पूरी क्षमता से कूद पड़ा। गो-तस्करी जैसे अपराध से वह देखते ही देखते अकूत दौलत बटोर लिया। इस अपराध के रास्ते से कमाई गई दौलत को लगाकर कई बेशकीमती प्रॉपर्टी अपने व भाई एवं पत्नी के नाम बना लिया। नोट की चाहत में मुजफ्फर गो-तस्करी धूमनगंज, नवाबगंज, थरवई, पूरामुफ्ती, कोखराज, कौशाम्बी के सैनी, फतेहपुर के कल्याणपुर व खागा, भदोही के औराई, चंदौली के सैयदराजा व अलीनगर एवं वाराणसी के लंका थाना क्षेत्र तक उसके गुनाहों का डंका बजने लगा। इन थानों में उसके खिलाफ पशु तस्करी सहित कुल 30 आपराधिक मुकदमें दर्ज हुए। धूमनगंज में गैंगेस्टर के तहत भी कार्रवाई हुई। उसके खिलाफ पहला मुकदमा धूमनगंज थाने में वर्ष 2001 में लिखा गया। इसके बाद उसके मुकदमों की फाइल इतनी मोटी हुई कि प्रेशर से अपराध का घड़ा फूट गया। गैंगेस्टर एक्ट के तहत ही धूमनगंज पुलिस द्वारा शुक्रवार को उसकी साढ़े 11 करोड़ की रुपये की सम्पत्ति कुर्क की गई।

शपथ के अभाव में सपने हुए चूर
गो-तस्कर मो। मुजफ्फर के परिवार का परिवार राजनीति से बहुत दूर रहा। उसके जीजा जलालुद्दीन गांव के प्रधान बने। मौजूदा समय में भी वह प्रधान हैं। लोगों की मानें तो जीजा के कहने पर ही मो। मुजफ्फर 2021 में जेल से सपा के टिकट पर ब्लाक प्रमुख पद का नामांकन किया। खुद जेल में रहा लेकिन उसके अपने इस चुनाव में खुले चुनाव जिताने के लिए लग गए। कहा जाता है कि ब्लाक प्रमुख बनने के लिए अवैध धंधे से कमाई गई दौलत को लुटाने में वह पीछे नहीं रहा। परिणाम वह जेल में होते हुए यह चुनाव जीत गया। मगर, कानूनी दांव पेंच के चलते वह ब्लाक प्रमुख पद का शपथ नहीं ले सका। ऐसी स्थिति में डीएम द्वारा कौंधियारा ब्लाक के कार्यों का संचालन करने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया।


गो-तस्कर मो। मुजफ्फर अपराध के जरिए अर्जित दौलत से अकूत अचल सम्पत्तियां बनाया है। शुक्रवार को गैंगेस्टर के तहत करोड़ों की एक और उसकी सम्पत्ति कुर्क की गई। मुजफ्फर के पिता का नाम बड़े कास्तकारों में रहा है। उसकी आम शोहरत सामाजिक और बेदाग रही है।
राजेश कुमार मौर्य, थाना प्रभारी धूमनगंज

Posted By: Inextlive