गुणों का विकास करता है संगीत
प्रयागराज (ब्यूरो)।ज्वाला देवी सरस्वती शिशु मंदिर सिविल लाइन्स में काशी प्रान्त के तीन दिवसीय संगीत वर्ग का समापन मंगलवार को हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन, पुष्पार्चन एवं वंदना से हुआ। समापन कार्यक्रम के प्रथम सत्र मे भारतीय शिक्षा समिति पूर्वी उप्र एवं पूर्व प्राचार्य हण्डिया पीजी कालेज डॉ रघुराज सिंह ने कहा कि संगीत मनुष्य के अन्दर सहजता, सज्जनता और मानवीय गुणों का विकास करता है। जिस व्यक्ति के अन्दर साहित्य व संगीत के प्रति अनुराग नही वह पूंछ कटे पशु के समान है। अन्तिम सत्र में विद्या भारती के अखिल भारतीय संगीत प्रमुख व भारतीय शिक्षा समिति पूर्वी उत्तर प्रदेश के मंत्री विनोद द्विवेदी ने विद्या भारती द्वारा आधारित संगीत के पाठ्यक्रम के विभिन्न आयामों जैसे दीप मंत्र, संस्कृत एवं हिन्दी वन्दना, ब्रह्मनाद, ध्यान, गायत्री मंत्र, भारत वन्दना, शान्ति पाठ, एकता मंत्र, कल्याण मंत्र, भोजन मंत्र तथा वन्देमातरम् का सस्वर अभ्यास कराते हुए उसका विधिवत प्रक्षिशण प्रदान किया। उन्होंने प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि मानव जीवन की सुकुमार कल्पना ही संगीत है, सीखने की प्रक्रिया जीवित रहने तक चलती रहनी चाहिए । तत्पश्चात प्रान्तीय संगठन मंत्री डॉ राम मनोहर ने सभी प्रतिभागियों को कहा कि शिक्षा की तुलना में संगीत अधिक शक्तिशाली है। संगीत के अभ्यास से भाषा और तार्किक शक्ति का भी विकास होता है। संगीत विज्ञान और औषधि भी है। फलो, फूलो, वृक्षो, पशु पक्षियों पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। कार्यक्रम का समापन भरत द्वारा प्रस्तुत एकल गीत है वही पुरुषार्थी जो धर्म पथ चलता रहे तथा समस्त प्रतिभागियों के द्वारा वन्देमातरम् के सस्वर गायन से हुआ। कार्यक्रम को सकुशल सम्पन्न कराने में सह मीडिया प्रमुख दिनेश चन्द्र गुप्ता, ब्रह्मनारायण तिवारी, श्रद्धानन्द, रवीन्द्र शुक्ल, नरेद्र पाण्डेय, ब्रह्मनारायण शुक्ल, नेहा, स्वाती त्रिपाठी आदि का विशेष योगदान रहा। आभार ज्ञापन प्रान्त संगीत प्रमुख रोली श्रीवास्तव ने एवं कार्यक्रम का संचालन सह प्रान्त प्रमुख रामजी मिश्र ने किया। यह जानकारी संगीताचार्य व मीडिया प्रभारी मनोज कुमार गुप्ता ने दी है।