कातिल हुआ क्रोध, जान दे रहे लोग
जीवित रहने पर ही किसी समस्या का निकाला जा सकता है तोड़
सुसाइड का प्रयास करने वाले तमाम लोग आज जी रहे हैं सक्सेसफुल लाइफPRAYAGRAJ: डांट, दुत्कार और असफलता से घिरे लोगों का मोह जिंदगी से भंग हो रहा है। संघर्ष के साथ जीने के बजाय वह सुसाइड का रास्ता अख्तियार कर रहे हैं। यह स्थित चिंता का विषय बनती जा रही हैं। महीने के 23 दिनों में आठ लोग जान दे चुके हैं। आधा दर्जन से अधिक सुसाइड की कोशिश कर चुके हैं। क्रोध पर काबू पाने की क्षमता ऐसे लोगों में घटती जा रही है। मनोचिकित्सक इसके कदम उठाने की कई वजह बताते हैं। उनकी मानें तो इससे बचने के कई रास्ते हैं। ऐसे भी लोग उनकी लिस्ट में है, जो कोशिश किए पर बच गए और आज सफल जिंदगी बसर कर रहे हैं। ऐसे सक्सेस लोगों से उन्हें सीख लेनी चाहिए जो समस्या से ग्रसित होकर जान देने की सोच रहे हैं।
पूरे कर सकते थे ये सभी सपनेफरवरी महीने में अब तक आठ लोग सुसाइड कर चुके है। सोमवार को सलोरी में छात्र मौसम यादव ने फांसी लगा लिया। वह वाराणसी जिले के गद्दोपुर हाथी बाजार का रहने वाला था। शिवकुटी के महाबीरपुरी डॉट पुल पर विजय कुमार ने ट्रेन से कटकर सुसाइड कर लिया। वह कटरा में किराए के रूम में रहकर पढ़ाई करता था। मूल रूप से वे नवाबगंज के सरायफत्ते का रहने वाला था। सोहबतियाबाग में समर मिश्रा ने फांसी लगा लिया। इसके पहले एक फरवरी को कीडगंज में पुल से कूदकर सलीम अहमद ने जान दे दी थी। दो फरवरी को फूलपुर में रंजीत कुमार ने प्वाइजन खा लिया था। चार तारीख को करेली में मो। हमजा रस्सी से लटक गया। इसी तरह सात फरवरी को कर्नलगंज में फैजाबाद की महिला सरोज चौरसिया ने फांसी लगा लिया था। 16 फरवरी को धूमनगंज में रामप्रसाद की जहर खाने से मौत हो गई। इसी तरह करीब दर्जन भर ऐसे लोग थे जो किसी न किसी तरीके से जान देने की कोशिश किए। इनमें कोई परीक्षा में तो कोई कामयाबी में असफल रहा। कुछ ऐसे भी रहे जो किसी बात से गुस्से में आकर जान गंवा बैठे।
सबक-1 कई लोग हैं जिंदगी में सफलमनोचिकित्सक राकेश पासवान कहते हैं कि काउंसिलिंग के लिए उनके पास कोरांव का एक युवक पहुंचा था। वह आईआईटी में असफल होने से नस काट बैठा था। परिवार वाले एडमिट करवाए और काउंसिलिंग शुरू की गई। वह बचने के बाद मेहनत किया आईआईटी प्रवेश परीक्षा पास कर दिल्ली में पढ़ाई कर रहा है।
सबक-3 नैनी का एक शख्स आर्थिक तंगी से परेशान होकर फांसी लगा लिया था। डॉक्टर ने बताया कि रस्सी टूट गई और उसकी जान बच गई। जीवनदान पाने के बाद वह सब्जी का व्यापार शुरू किया। आज वह थोक में सब्जी का व्यापार कर रहा है। काउंसलिंग खत्म हो गई फिर भी वह मिलने आता है। घर वाले भी उसकी मेहनत और लगन व सफलता से गदगद हैं। पूरा परिवार आज भी उनसे मिलने आता है। सबक-2 एक युवती की काउंसलिंग कराने के लिए परिजन उसे लेकर मनोचिकित्सक के पास पहुंचे थे। डॉक्टर कहते हैं कि वह किसी से लव किया करती थी। डांटने पर वह फांसी लगाई ही थी कि घर वाले देख लिए और बचा लिए। धीरे-धीरे काउंसलिंग के बीच ही घर वाले उसकी शादी एक दूसरे लड़के से कर दिए। पहले तो वह राजी नही थी, मगर आज शादी बाद परिवार संग अच्छी खासी जिंदगी जी रही है। ऐसे बचा सकते हैं अपनों की जान सुसाइड जैसा थॉट दिमाग में अचानक नहीं आता और न ही ऐसे व्यक्तियों की समस्या अचानक आती हैंकिसी बात को लेकर वह कई दिनों व महीनों से उलझे होते हैं और इसका साल्यूशन उन्हें नहीं दिखाई देता
इसे लेकर वह काफी तनाव और झुंझलाहट एवं लोगों के बीच से दूर रहने जैसी हरकत करने लगते हैं इन लक्षणों को पहचान कर यदि घर वाले उनकी समस्या दूर करने का वादा करें तो उनमें आत्म विश्वास बढ़ेगा आत्म विश्वास के बढ़ने से उनमें जीने की चाहत पैदा होगी, उन्हें लगेगा कि उनकी समस्या पर सभी साथ खड़े हैं इस बीच मिलने वाले वक्त में डॉक्टर से संपर्क कर काउंसलिंग करवाकर अपनों को सुसाइड से बचा सकते हैं समस्या कितनी भी बड़ी हो जान देना उसका हल कभी नहीं हो सकता। जब जिंदगी रहेगी तभी साल्यूशन भी निकलने की संभावना जिंदा रहेगी। सुसाइड के पहले लोगों में निगेटिव थॉट आते हैं। उसे पहचानकर ऐसे लोगों को सुसाइड से बचाया जा सकता है। डॉ। राकेश पासवान, मनोचिकित्सक