कचरे में निकलने वाले खतरनाक प्लास्टिक से अब प्रदूषण फैलने का खतरा नहीं ोगा. नगर निगम की ओर से शहर में दो एमआरएफ मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर की शुरुआत हो गई है. इस सेंटर में प्लास्टिक के साथ कागज और कपड़े की रि साइकिलिंग की जाएगी. इससे कच्चा माल तैयार किया जाएगा और फिर इसे फैक्ट्रियों को बेचा जाएगा. जिससे इनका दोबारा यूज किया जा सकेगा.बढ़ाई जाएगी कैपिसिटी


प्रयागराज (ब्यूरो)। दोनों सेंटर नैनी और झूुंसी में बनाए गए हैं और इनकी कैपिसिटी दस-दस टन की रखी गई है। यहां दो तरह का कचरा आर्गेनिक और इन आर्गेनिक रिसाइकिल किया जाता है। जानकारी के मुताबिक अभी इन दोनेां एमआरएफ सेंटर की कैपिसिटी बढ़ाई जाएगी। आर्गेनिक कचरे में गीला और इन आर्गेनिक में सूखा कचरा आता है। सूखे कचरे में प्लास्टिक, कागज और कपड़ा शामिल है। इनको रोजाना एकत्र कर इनसे दाना, गट्टा आदि रॉ मटेरियल तैयार किया जाता है। बाद में इसे रि यूज के लिए प्लास्टिक, कागज और कपड़े की फैक्ट्री को बेच दिया जाता है। जो कचरा रि साइकिल नही होता है, उससे रि शेड्यूल फ्यूल बनाया जा रहा ह। जिसे जलाने के काम में लाया जाएगा।लगी हाइटेक कचरा बीनने वाली


ऐसे तो तमाम कचरा एकत्र करने वाली जगहों पर बीनने वाले मिल जाएंगे। लेकिन इन दोनों में आने वाले कचरे में से रि साइकिल वाली चीजों को बीनने के लिए 60 महिलाओं को लगाया गया है। स्वयं सहायता समूह बनाकर इनको प्रशिक्षित किया गया है। इनकी आईडी बनाने के साथ बैंक में इनका खाता भी खुलवाया गया है। यह सुरक्षित तरीके से प्लांट में कचरा एकत्र करेंगी और इसे रिसाइकिल के लिए देंगी। इन सभी महिलाओं को सभी सेफ्टी उपकरण भी दिए गए हैं। बताया गया कि सेंटर्स की कैपिसिटी बढऩे पर कचरा बीनने वाली महिलाओं की संख्या में भी इजाफा किया जाएगा।आईआईटी इंदौर की है फर्मस्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शुरू किए गए दोनों एमआरएफ सेंटर्स को आईआईटी इंदौर की स्वाहा रिसोर्स मैनेजमेंट प्रालि ने तैयार किया है। इस फर्म को सालिड वेस्ट मैनेजमेंट स्टार्ट अप का अवार्ड भी दिया जा चुका है। नगर निगम द्वारा निकाले गए टेंडर में सेलेक्ट होने के बाद स्वाहा टीम ने काम शुरू किया है। प्रयागराज आई स्वच्छता सर्वेक्षण टीम ने भी दोनों सेंटर का निरीक्षण किया और यहां की प्रॉसेस को गौर से देखा। टीम ने यहां की वर्किंग पर संतुष्टि भी जाहिर की है। दो तरह के होंगे फायदेस्वाहा टीम ने बताया कि एमआरएफ सेंटर से दो फायदे हैं। एक तो शहर में खतरनाक सूखा कचरा एकत्र नही हो सकेगा। इसे सेंटर्स के लिए रिसाइकिल किया जाएगा। जिससे इसे दोबारा उपयोग में लाया जा सकेगा और इससे बनने वाले रॉ मटेरियल को इंडस्ट्री को बेचकर आमदनी भी हो सकेगी। इसी उददेश्य के साथ दोनों सेंटर्स की शुरुआत की गई थी।

सूखे और गीले कचरे से तमाम आइटम तैयार किए जा रहे हैं। प्लास्टिक जैसे घातक मटेरियल की रि साइकिलिंग की जा रही है। इस प्रोजेक्ट को सालिड वेस्ट मैेनजमेंट का स्टार्ट अप अवार्ड भी दिया जा चुका है। यह अन्य शहरों में भी सक्सेज है।समीर शर्मा, डायरेक्टर, स्वाहा रिसोर्स मैनेजमेंट प्रालि इंदौर

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