- विज्ञापन संख्या 48 कैंसिल होने के बाद से प्रतियोगियों को असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती का था इंतजार

- शासन ने 3900 पदों का अधियाचन होने के बाद भी कम पदों पर ही निकली भर्ती

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PRAYAGRAJ: कोरोना महामारी ने जहां एक तरफ प्रतियोगियों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। वहीं कई विभागों ने भी प्रतियोगियों के उम्मीदों पर अपनी मनमानी से प्रहार किया। रिक्त पदों के बाद भी प्रतियोगियों को परीक्षाओं के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। अगर परीक्षा संस्था की ओर से भर्ती निकाली भी गई, तो उसमें भी अधियाचन के बाद भी मनमाने ढंग से कम पदों के लिए ही विज्ञापन जारी होता है। जिससे लाखों प्रतियोगियों की उम्मीदें धरी की धरी रह जाती है। ऐसा ही हाल उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग का भी है। जहां हजारों की संख्या में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद खाली होने के बाद भी महज कुछ हजार पदों के लिए ही वैकेंसी का विज्ञापन जारी हुआ। ऐसे में प्रतियोगियों की भी उम्मीदें टूटने के कगार पर पहुंच रही है।

लगातार पदों को कम करके जारी हो रहे विज्ञापन

उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की ओर से ये पहली बार नहीं हुआ है। पहले भी अधियाचन में अधिक पद आने के बाद भी कम पदों के लिए ही विज्ञापन जारी हुआ है। विज्ञापन संख्या 47 में भी ऐसा ही हुआ। जब अधियाचन में कुल 2800 होने के बाद भी विज्ञापन संख्या में 47 में 1500 असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी हुआ। जिससे काफी

प्रतियोगियों की उम्मीदें टूट गई। इसके बाद विज्ञापन संख्या में 48 के अन्तर्गत भी विज्ञापन जारी हुआ।

लेकिन बाद में उसे निरस्त कर दिया गया। उसके बाद से प्रतियोगियों को भी भर्ती का इंतजार था।

नहीं हो सकी भर्ती पूरी

लंबे समय तक इंतजार करने के बाद शासन की ओर से 3900 पदों के लिए अधियाचन हासिल हुए। इसके बाद उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की ओर से पिछले दिनों में विज्ञापन संख्या 50 के अन्तर्गत सिर्फ 2003 पदों के लिए ही विज्ञापन जारी किया गया। हालांकि अभी भर्ती पूरी नहीं हो सकी। ऐसे में प्रतियोगियों का कहना है कि जब रिक्त पदों की संख्या अधिक है। तो आखिर किन कारणों से विभाग की ओर से इतने कम पदों पर ही भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया जाता है। कम पदों के कारण बेरोजगारी का दंश झेल रहे हजारों युवाओं का दिन रात पढ़ाई करने के बाद भी नौकरी पाने का सपना पूरा नहीं हो सका।

10 साल बाद निकली थी प्राचार्य पदों पर भर्ती

उच्चतर शिक्षा आयोग की मनमानी से जहां एक तरफ प्रतियोगी परेशान हैं। वहीं सूबे के एडेड डिग्री कालेजों में प्राचार्य बनने का सपना लिए कई टीचर्स भी रिटायर हो गए। क्योकि उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की ओर से 10 सालों तक प्राचार्य पदों पर भर्ती की प्रक्रिया पूरी ही नहीं की गई। 10 साल के अंतराल के बाद पिछले साल आयोग की ओर से पहली बार लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के जरिए एडेड डिग्री कालेजों में प्राचार्य पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी हुआ और लिखित परीक्षा करायी गई। अभी भी भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। ऐसे में देरी के कारण कई लिखित परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों के भी रिटायर होने का खतरा उनके ऊपर बना हुआ है। साथ ही कई अन्य चीजों को लेकर भी आयोग की ओर से स्थिति स्पष्ट नहीं होने से प्रतियोगियों में खासी नाराजगी है। खासतौर पर महिलाओं के होरिजेंटल आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं होने के कारण कई तरह की दिक्कतों का सामना महिला प्रतियोगियों को हो रहा है।

- अधियाचन में 3900 पद होने के बाद भी विज्ञापन संख्या 50 में 2003 पदों के लिए ही निकली वैकेंसी

- अधियाचन में 2800 पद होने के बाद भी विज्ञापन संख्या 48 में भी 1500 पदों के ही निकली थी वैकेंसी

- असिस्टेंट प्रोफेसर के विज्ञापन में देरी से कई प्रतियोगियों का टूट चुका है सपना

- 10 साल बाद प्राचार्य पदों पर नियुक्ति के लिए चल रही है भर्ती

- भर्ती में देरी से कई एडेड डिग्री कालेज के टीचर्स का प्रचार्य बनने का सपना रह गया अधूरा

- महिला प्रतियोगियों के होरिजेंटल आरक्षण को लेकर आयेाग की ओर से स्थिति स्पष्ट नहीं है। आयोग को न्यूज या विज्ञापन के माध्यम से स्थिति स्पष्ट करें।

कौशल सिंह, अध्यक्ष भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा

पद होने के बावजूद विभाग की ओर से कम पदों पर भर्तियां निकाली जा रही हैं। जिससे प्रतियोगियों में निराशा है। अधियाचन की संख्या के अनुरूप यदि विज्ञापन जारी हो तो अधिक बेरोजगार प्रतियोगियों को अवसर मिलेगा।

रंजीत कुमार मिश्रा, प्रतियोगी

Posted By: Inextlive