500 से अधिक की हो चुकी है मोबाइल एडिक्शन केंद्र में दस्तकबच्चों पर अधिक पड़ रहा है असर ओवर यूज से बढ़ रही है शिकायतलखनऊ में मोबाइल पर गेम खेलने से रोकने पर बच्चे द्वारा अपनी मां को गोली मारने वाली घटना पूरे देश में चर्चा का केंद्र बन गई है. अपने तरह की यह अकेली घटना है जो चौंकाने वाली भी है और एलर्ट करने वाली थी. प्रयागराज में भी तमाम ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें मोबाइल पर गेम खेलने या चैटिंग करने से रोकने पर बच्चों ने पैरेंट्स को दुश्मन मान लिया है. दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने गुरुवार को मोबाइल एडिक्शन केंद्र से डाटा और केस स्टडी ली तो चौंकाने वाले मामले सामने आये.


प्रयागराज (ब्यूरो)। धूमनगंज के रहने वाले आठ साल के प्रिंस के माता पिता दोनों रेलवे में अधिकारी पद पर हैं। दोनों काफी परेशान हैं। क्योंकि, उनका बेटा अब फोन छीनने की कोशिश करने पर मार पीट पर उतर आता है। कई बार उसने मां के हाथ पर दांत से काट लिया है। कौडि़हार की रहने वाली 17 साल की रिंकी पिछले दिनों मोबाइल फोन नही मिलने पर फांसी पर लटक गई। भगवान का शुक्र था कि मौके पर मौजूद परिजनों ने उसे बचा लिया। पूछताछ में बताया कि लड़की का भाई बाहर नौकरी करता है। उसने रक्षाबंधन पर बहन को मोबाइल गिफ्ट किया था। वह दिनभर इस पर गेम खेलती थी। किसान पिता ने मना किया तो उसने जान देने की कोशिश की। मोबाइल एडिक्शन केंद्र में काउंसिलिंग से उसकी स्थिति में काफी सुधार हुआ है।

एग्जाम ही छोड़ दिया
झलवा निवासी 18 साल के रजनीश जेईईई एडवांस की तैयारी कर रहे थे। उनके पिता प्राइवेट स्कूल में प्रिंसिपल हैं। रजनीश ने परिजनों से आई फोन की डिमांड की। जब पिता ने इंकार कर दिया तो रजनीश ने गुस्से में आकर एंट्रेंस एग्जाम नहीं दिया। इससे परिजन काफी नाराज हुए। उसे लेकर मोबाइल एडिक्शन केंद्र लेकर गए जहां उसकी काउंसिलिंग हुई। फिलहाल उसे मोबाइल से दूर रखने को कहा गया है। डॉक्टर्स का कहना है कि मोबाइल, बाइक या किसी भी प्रकार की लत के लिए डोपामीन पाथवे हार्मोन जिम्मेदार होता है। यह मस्तिष्क में रिलीज होता है और इसकी वजह से व्यक्ति अपनी लत को पूरा करने की हर संभव कोशिश करता है। लत पूरी हो जाती है तो इससे व्यक्ति को प्लेजर मिलता है। इसके पीछे डोपामीन ही जिम्मेदार है।

2018 से चल रहा है सेंटर
काल्विन अस्पताल में एनसीडी सेल की ओर से मोबाइल एडिक्शन केंद्र वर्ष 2018 से संचालित हा रहा है।
अब तक इस केंद्र में 500 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। इनमें सभी उम्र के लोग शामिल हैं।
इनमें कुछ काउंसिलिंग से ठीक हो गए तो कुछ मरीजों का इलाज भी चलाया गया।
डॉक्टर्स कहते हैं कि मोबाइल महज डिवाइस ही नही, बल्कि एक बीमारी बनता जा रहा है
खासकर बच्चे, किशोर और युवा की सबसे ज्यादा जद में आ चुके हैं।

आज कल के माहौल में बच्चों को मोबाइल से दूर रख पाना लगभग असंभव है। जिसकी वजह से यह उनकी आदत बनता जा रहा है। भगवान की कृपा से हमारा बच्चा इसे रोग से दूर है।
प्रतीक पांडेय

मोबाइल की लत की वजह से आए दिन कुछ न कुछ होता रहता है। बेटे द्वारा मां की हत्या कर देना वाकई दुखद है। हम लोगों को बच्चों को मोबाइल फोन की लत से बचाकर रखना चाहिए।
विनीत द्विवेदी

इसमें दोष माता पिता का भी है। पहले वह बच्चों को बिजी रखने के लिए मोबाइल फोन थमा देते हैं और जब बच्चे को लत लग जाती है तो उसे सजा देने लगते हैं। जिससे घर का माहौल खराब होने लगता है।
अनिल सिंह

आने वाले दिनों में दूसरी बीमारियों की तरह मोबाइल फोन से होने वाली बीमारियों की भी हर अस्पताल में ओपीडी होगी। क्योंकि इससे दिमाग, आंख सहित शरीर के अन्य अंगों पर भी असर पड़ता है।
अभिषेक यादव

Posted By: Inextlive