असमंजस से बन रहा छात्रों पर मेंटल प्रेशर
12वीं बोर्ड परीक्षा को लेकर स्थिति स्पष्ट न होने का बच्चों की मेंटल हेल्थ पर पड़ रहा असर
पहले पैटर्न में बदलाव के बाद अब परीक्षा निरस्त होने की आशंका में उलझे हैं छात्र prayagraj@inext.co.inअजीब असमंजस की स्थिति है। पता नहीं है कि आगे क्या होने वाला है। समय खिंचते जाने से परीक्षा की तैयारी पर कंसंट्रेट ही नहीं कर पा रहे हैं। एक पैटर्न पर तैयारी कर रहे थे कि अचानक पैटर्न चेंज करने की बात सामने आने लगी। इस पर चर्चा अभी पूरी तरह से थमी भी नहीं कि परीक्षा निरस्त किये जाने की चर्चा शुरू हो गयी। इससे इस साल 12वीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले छात्र अजीब कशमकश में हैं। क्या करें क्या न करें? का असर उन्हें मेंटल टेंशन की ओर लेकर जा रहा है। मनोचिकित्सक भी मानते हैं कि यह स्थिति बच्चों के कॅरियर के लिहाज से भी काफी खतरनाक है। जो भी होना है वह स्पष्ट होना चाहिए ताकि बच्चा एक लाइन पर फोकस हो सके। मल्टीपल डायरेक्शन में वह कंफ्यूज हो सकता है। इसके चलते वह बेहतरीन तैयारी के बाद भी अपेक्षित रिजल्ट से वंचित हो सकता है।
पढ़ाई छोड़ दूसरे कामों में व्यस्तमनोचिकित्सकों की माने तो ऐसी स्थिति बच्चों के पढ़ाई और करियर से भटकाव की स्थिति को बनाती है। मनोचिकित्सक डॉ। अजय मिश्रा ने बताया कि उनके पास पैरेंट्स के लगातार फोन आ रहे है। जिसमें लगभग सभी पैरेंट्स की प्रॉब्लम कामन है। पैरेंट्स का कहना है कि परीक्षा को लेकर जो स्थिति बन रही है। उससे बच्चों का ध्यान अब पढ़ाई की ओर से हटने लगा है। पहले बोर्ड परीक्षा को आसान बनाते हुए पैटर्न में बदलाव की बात हो रही थी। अब परीक्षा ही कैंसिल किए जाने की चर्चा होने लगी है। ऐसे में बच्चों को लग रहा है कि वह बगैर पढ़ाई किए ही प्रमोट हो जाएगे। टॉपर की लिस्ट में शामिल होने के लिए पढ़ाई करने वाले बच्चों में यह स्थिति तनाव देने वाली है। कॉमन मार्किंग उन्हें डिप्रेश कर सकती है। नार्मल स्टूडेंट्स के लिए भी यह स्थिति ठीक नहीं है। वह गोल से भटक सकते हैं। वैसे भी उनका करीब दो साल नुकसान हुआ है। वर्तमान समय में वह पढ़ाई को छोड़कर मोबाइल व इंटरनेट पर अधिक समय दे रहे है। जिससे उनके मोबाइल के एडिक्ट होने का तो खतरा बना ही हुआ है। साथ ही पढ़ाई से भटकाव की स्थिति भी बनी है।
कैसे तय करेंगे कॅरियर का रास्ताइंटरमीडिएट की परीक्षा ही नहीं नीट, जेईई मेन के साथ तमाम प्रोफेशनल कोर्सेज में एडमिशन की प्रक्रिया भी लाइनअप नहीं हुई। ज्यादातर बच्चे रिजल्ट के बेस पर आगे का रास्ता तय करते हैं। रिजल्ट जब तक आएगा पता नहीं क्या स्थिति होगी। यह असमंजस उन्हें नेक्स्ट लेवल की पढ़ाई के लिए कोर्स सेलेक्शन को लेकर भी कंफ्यूज कर रहा है। ये भटकाव उनके करियर पर सीधा असर डालेगा। प्राचार्य मनोविज्ञानशाला डॉ। उषा चन्द्र का कहना है कि बोर्ड परीक्षा को लेकर बच्चों ने साल भर तैयारी की है। ऐसे में परीक्षा की डेट बदलने और परीक्षा को लेकर असमंजस की स्थिति ठीक नहीं है।
पैरेंट्स के फोन आते है। जिसमें बच्चों के पढ़ाई से डायवर्ट होने की शिकायत रहती है। क्योकि परीक्षा को लेकर बनी असमंजस की स्थिति ने बच्चों को भी रिलैक्स मोड में भेज दिया है। ये उनके करियर के लिए गलत है। डॉ। अजय मिश्रा, मनोचिकित्सक एग्जाम को लेकर असमंजस का असर तो पढ़ाई पर पड़ ही रहा है। आगे क्या करना है इसे लेकर मैं क्लीयर हूं लेकिन रिजल्ट से इस पर फर्क पड़ सकता है। इसलिए जो भी होने है उसे जल्द क्लीयर कर दिया जाना चाहिए। ताकि टेंशन खत्म हो। मनस्वी सेवाल, स्टूडेंटइतने दिन तक इंतजार करने से रिदम खराब हो जाता है। पहले मार्च और फिर जुलाई तक परीक्षाओं के होने की बात हो रही थी। बीच में आया कि डेढ़ घंटे में परीक्षा का पैटर्न इंट्रोडयूज किया जाय। अब परीक्षा ही कैंसिल होने की बात होने लगी है। इससे भटकाव की स्थिति बन गयी है।
इशिता जयसवाल, स्टूडेंट 12वीं के बच्चों के लिए यह कॅरियर का टर्निग प्वाइंट है। इस स्थिति में उन्हें बेहद साफ्ट माहौल मिलना चाहिए। वर्तमान स्थिति इसके ठीक उलट है। यह बच्चों को डिप्रेश करने वाली है। उन्हें लगने लगा है कि पूरे साल तैयारी करने का फायदा क्या हुआ जब कॉमन मार्किंग ही होनी है। मेधावी इस बात को लेकर टेंशन में हैं कि बीमारी और पारिवारिक कारणों के चलते उनका प्री बोर्ड और हाफइयरली अच्छा नहीं गया। कॉमन मार्किंग बेहतर तैयारी के बाद भी उनका रिजल्ट प्रभावित कर देगी। इस सोच से मिलने वाले तनाव का असर उनके प्रोफेशनल कोर्सेज के लिए होने वाले इंट्रेंस पर भी पड़ेगा। इसे बेहतर स्थिति तो नहीं कहा सकता। डॉ कमलेश तिवारी मनोचिकित्सक