'मन' को शेयर करें सीक्रेट
आई एक्सक्लूसिव
टीन जसर्ज के लिए कॉल्विन हॉस्पिटल में खुलने जा रहा है मन कक्ष एक छत के नीचे बैठेंगे आठ काउंसलर्स, करेंगे छात्रों की काउंसिलिंग vineet.tiwari@inext.co.in ALLAHABAD: टीनएजर्स के जीवन में भटकाव बड़ी समस्या बनता जा रहा है। मन के सवालों का जवाब नही मिल पाने से वह डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। कई बार यह उधेड़बुन उन्हे सुसाइड की राह पर लेकर चली जाती है। इस सच्चाई को भांपते हुए केंद्र सरकार 'मन कक्ष' प्रोजेक्ट लांच करने जा रही है। इसमें एक छत के नीचे तमाम विधाओं के काउंसलर मौजूद रहेंगे। यह पीडि़त से बातचीत कर उनकी समस्याओं का निदान करेंगे या जरूरत होगी तो उसे भर्ती कर भी इलाज किया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट में इलाहाबादमन कक्ष की थीम केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश से ली है। वहां टीनएजर्स में बढ़ते अवसाद और सुसाइड टेंडेंसी को रोकने में यह सुविधा मील का पत्थर साबित हुई। अब सरकार इसे मेंटल हेल्थ केयर प्रोग्राम के तहत देश भर में खोलने जा रही है। यूपी में इलाहाबाद को पायलट प्रोजेक्ट के तहत शामिल किया गया है। काल्विन हॉस्पिटल में अगले एक माह में मन कक्ष शुरू हो जाएगा।
अपनी ओर खीचेगी यह थीममन कक्ष की थीम 'कहने से व्यथा कम हो जाती है। लेकिन, कहें किससे यह हम जान नही पाते.' रखी गई है। ऐसे में किशोर अब यहां पर आकर एक छत के नीचे मौजूद अलग-अलग विधाओं के आठ काउंसलर्स के सामने अपनी समस्या रख सकते हैं। उनकी सूचना को पूरी तरह सीक्रेट रखा जाएगा। यहां पर तंबाकू नियंत्रण, वैदानिक, किशोरावस्था, यौन समस्याएं, नशा मुक्ति, बाल कम्युनिकेशन, बाल अपराध जैसे विषयों के अलग-अलग काउंसलर्स मौजूद होंगे।
दस बेड के वार्ड में होंगे भर्ती काल्विन में दस बेड का एक वार्ड भी बनाया जा रहा है। जिसमें अधिक गंभीर मानसिक रोग के मरीजों को भर्ती किया जाएगा। उनको घर जैसा माहौल देने के लिए टीवी, एलईडी, प्रोजेक्टर, एसी, फ्रिज आदि लगाया जाएगा। उनके मनोरंजन का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा। महीने में एक आशा ज्योति केंद्र, बाल संप्रेषण गृह आदि के काउंसलर भी यहां अपनी सेवाएं देंगे। किशोर अवस्था ऐसी उम्र है जब उन्हें सही गाइड नही मिले तो वह भटक सकते हैं। ऐसे में यह सरकार बेहतर कदम है और इससे उनको लाभ मिलेगा। रितेश अग्रवाल देखा जाए तो किसी न किसी वजह से किशोर और युवाओं की टेंडेंसी सुसाइड बढ़ रही है। इस पर लगाम लगाने के लिए उनको सही रास्ता दिखाना जरूरी है। ओमप्रकाशएक छत के नीचे सभी तरह के काउंसलर्स रहना बेहतर है। एक मरीज को अगर दो तरह की समस्याएं है तो उनकी समस्या का निदान एक साथ हो जाएगा।
राधेश्याम दुबे कई ऐसी बात होती हैं जिन्हें युवा कह नही पाते हैं। अगर किसी मंच पर उनकी समस्या सुनी जाएगी तो निश्चित तौर पर वह भटकने के बजाय सही दिशा में बढ़ेंगे। सिमरन ऐसा प्रोजेक्ट अभी तक यूपी में लांच नहीं हुआ। किसी को यौन समस्या है या वह नशे का शिकार है तो दोनों काउंसलर उसे वही मिल जाएंगे। सुसाइड टेंडेंसी है तो भर्ती कर लिया जाएगा। उसे घरेलू माहौल देकर एक जिम्मेदार नागरिक बनाने की पहल की जाएगी। -डॉ। राकेश पासवान, इंचार्ज, मेंटल हेल्थ केयर प्रोग्राम, इलाहाबाद