44 साल की एजग्रुप के पुरुषों ने सबसे ज्यादा किया सुसाइडगवाही दे रहे हैं आंकड़े कई तरह के दबाव का सामना करने के दौरान हो जाते हैं अवसाद के शिकारपरिवारिक सहयोग की होती है दरकार नहीं मिलता अपनापन तो उठा लेते हैं कदम

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। परिवार और कॅरियर की जिम्मेदारी उठाने वाले पुरुषों का धैर्य जवाब देने लगा है। वह आत्महत्या के मामलों में महिलाओं से आगे निकलते जा रहे हैं। अस्पतालों में पहुंचने वाले मामले इसके गवाह हैं। एक्सपट्र्स भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि तमाम मोर्चों पर अत्यधिक दबाव का शिकार होने के चलते वह ऐसा कदम उठाते हैं। इससे बचाव के लिए उन्हे परिवारिक और सामाजिक अपनेपन और सहायता की दरकार होती है।

70 और 30 का अनुपात
इस मामले की पुष्टि करते हुए एसआरएन हॉस्पिटल के मनोचिकित्सक प्रो। अभिनव टंडन कहते हैं कि एक साल में उन्होंने 500 ऐसे मामले देखे हैं जिनमें सुसाइड अटेम्प्ट करने के बाद लोग बच गए। उनकी काउंसिलिंग की गई। इन मामलों में 30 फीसदी महिलाएं और 70 फीसदी पुरुष थे। इनमें शामिल पुरुष सभी एजग्रुप के थे। इसी तरह काल्विन अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग के डॉ। राकेश पासवान कहते हैं कि क्लीनिक में हर साल 300 से 400 ऐसे मामले आते हैं। यहां भी ऐसा ही अनुपात होता है। क्योंकि महिलाओं से अधिक पुरुष सुसाइड अटेम्प्ट करते हैं। जो बच जाते हैँ उनकी काउंसिलिंग और इलाज किया जाता है।

कारण जो निकलकर सामने आए
पढ़ाई का दबाव
मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानी
अकेलापन
धन का अभाव
साइबर बुलिंग
नशे की लत
सबंधों में तनाव

बोले, कोई नहीं समझता जज्बात
इस मामले में डॉक्टरों ने काउंसिलिंग के दौरान सुसाइड अटेम्प्ट करने वाले पुरुषों से बात की तो उन्होंने मन की बात बताई। उनका कहना था कि घर से लेकर नौकरी तक, सभी जगह जबरदस्त प्रेशर का सामना करना पड़ता है। कमाई पूरी नही होती है। पत्नी और बच्चे धनाभाव में ताने मारते हैं। इतना ही नही, कोविड के दौरान कई लोगों की नौकरी चली जाने के बाद सुसाइड के मामलों में अचानक तेजी आई है। छात्रों में पढ़ाई, किशोरों में प्रेम प्रसंग और युवकों में करियर को लेकर अधिक आत्महत्या के मामले सामने आते हैं। तमाम केसेज को देखते के बाद एक्सपर्ट बताते हैं कि सबसे ज्यादा सुसाइड के मामले 44 साल की एजग्रुप के पुरुषों के सामने आए हैं।

सुसाइड के चर्चित मामले
1
महाराष्ट्र के रहने वाले एक इंजीनियरिंग के 19 वर्षीय छात्र ने पढ़ाई के दबाव और परिवारिक सहयोग नही मिलने पर आत्महत्या का प्रयास किया था। उसने ब्रिज से यमुना नदी में छलांग लगाई थी। एक मछुआरे ने उसकी जान बचाई थी। बाद में छात्र का लंबा इलाज चला। काउंसिलिंग के बाद वह किसी तरह नार्मल हो सका।
2
तीस साल के ईएनटी के डॉक्टर को शराब की लत थी। अधिक लत होने पर वह तीन से चार सप्ताह के लिए शराब छोड़ देता था और अचानक शुरू कर देता था। एक दिन सड़क किनारे वह बेसुध हालत में पड़ा मिला। पुलिस ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया। उसने बताया कि वह एमएस की पढ़ाई पूरी कर चुका है और सफल होने के दबाव में उसने सुसाइड की कोशिश की है। उसने एक साथ नींद की सौ गोलियां खा ली थीं।
3
एक मामला ऐसा भी आया था जिसमें लड़का-लड़की दोनों ने एक साथ सुसाइड कर लिया था। इसमें लड़का रामबाग में सब्जी विक्रेता था और लड़की बेकरी में कम करती थी। परिवार वाले इस रिश्ते को राजी नही हुए तो दोनों ने चलती ट्रेन के सामने कूदकर जान दे दी। जब इसकी जानकारी परिजनों को हुई तो वह बहुत पछताए। लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।

छात्रों में मृत्यु की दर अधिक
हर साल एक लाख से अधिक मृत्यु की संख्या आत्महत्या की वजह से होती है।
37 फीसदी आत्महत्या के मामलों में विक्टिम की आयु 30 साल कम होती है।
प्रयागराज में आत्महत्या के तरीकों के एक बड़ा कारण नए यमुना पुल से छलांग लगाना बना है।
देश में 13 हजार से अधिक छात्रों की मौत 2021 में हुई थी।

नेशनल और इंटरनेशनल आंकड़े भी इस बात का गवाह हैं कि पुरुष महिलाओं की अपेक्षा अधिक सुसाइड करते हैं। इसका एक सबसे बड़ा कारण परिवारिक, आर्थिक दबाव है। कई बार नौकरी चले जाने, पार्टनर से रिश्ते टूट जाने, पढ़ाई और करियर का प्रेशर भी इसका कारण बन जाता है। इसलिए कोई अवसाद में नजर आए तो उसकी काउंसिलिंग जरूर करें।
डॉ। अभिनव टंडन, मनोचिकित्सक

हमारे समाज और परिवार में पुरुषों को महिलाओं से अधिक संयमी और ताकतवर माना जाता है। उनके कंधों पर काफी बोझ भी होता है। लेकिन, जब वह तनाव या दबाव में होते हैं तो अपनी बात नही कह पाते। धीरे धीरे वह नशे की लत के आदी होकर डिप्रेशन का शिकार होने लगते हैं। यह सभी लक्षण उन्हें सुसाइड की ओर लेकर चल देते हैं।
डॉ। राकेश पासवान, मनोचिकित्सक

Posted By: Inextlive