- बोर्ड एग्जाम करीब आने पर तनाव का शिकार हो रहे हैं स्टूडेंट- सोशल मीडिया से नजदीकियां बन रही हैं परेशानी का अहम कारण

प्रयागराज ब्यूरो । प्रयागराज- बोर्ड एग्जाम का समय नजदीक आ रहा है। यूपी बोर्ड से लेकर सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के एग्जाम एकदम नजदीक हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स में प्रेशर सिर चढ़कर बोल रहा है। एक तरफ एग्जाम है तो दूसरी ओर सोशल मीडिया से नजदीकियां। यह फैक्टर आपस में मैच नहीं
करते हैं। क्योंकि अगर एग्जाम देना है तो किताबों से दोस्ती करनी होगी। मोबाइल फोन पर एक चीज काम की मिलेगी तो बाकी चीजें बहकाने वाली। इससे न केवल स्टूडेंट परेशान हैं बल्कि पैरेंट्स भी तनाव का सामना कर रहे हैं। ऐसे ही कुछ सवाल पैरेंट्स ने हमसे पूछे हैं। इसके अलावा सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के पैरेंट्स भी परेशान है। उनका कहना है कि उचित प्रकार से पठन पाठन नहीं होने से वह तनाव का शिकार हो रहे हैं। इतना पैसा भी नहीं है कि बच्चों को अलग से बोर्ड एग्जाम की कोचिंग पढ़ाई जा सके। बोर्ड एग्जाम के प्रेशर से जुड़े ऐसे ही कई सवालों का जवाब दिया हमारे एक्सपर्ट मनोचिकित्सक डॉ। राकेश पासवान ने। उन्होंने कहा कि हर समस्या का साल्यूशन हमारे पास मौजूद है, बस हमे उसे जस्टिफाई कर अप्लाई करने जरूरत है।

सवाल- हमारी दो पुत्रियां सरकारी स्कूल में हाईस्कूल और इंटर में पढ़ती हैं। जहां ढंग से पढ़ाई नहीं होती है। यदि कोई अधिकारी आता है तो बच्चों पर दबाव बनाया जाता है कि ऐसा बोलो कि अधिकारी संतुष्ट होकर चले जाएं। इनकी वजह से असमर्थ होते हुए भी कोचिंग लगाना पडता है। दो बेटियों का कोचिंग का खर्च और कोचिंग में भी पढ़ाई ना होना हमारे और बच्चों के तनाव का कारण हैं। इसे दूर करने का विकल्प बताइए।
- आलोक

जवाब- पहली बात तो यह जान लीजिए कि मैं भी सरकारी स्कूल का पढ़ा हुआ हूं। इसलिए अपने बच्चों को बता दीजिए वह टीचर के सहारे न रहकर खुद किताबों से पढ़ाई करने की आदत डालें। अच्छे से रिवीजन करें। बहुत से ऊंचे पदों पर बैठे अधिकारी सरकारी स्कूलों से पढ़कर आए हैं। खुद पढ़ाई करें और कोचिंग के सहारे मत रहें। किताबों से बड़ा कोई टीचर नहीं होता है।

सवाल- मेरा बेटा अगर तीन घंटे पढ़ता है तो छह घंटे दिनभर मोबाइल पर बिताता है। इस बार उसका हाईस्कूल का बोर्ड एग्जाम है। उसकी इस आदत से मैं बहुत परेशान हूं। लगता है जैसे कि वह फेल न हो जाए। क्योंकि मोबाइल पर वह बहुत अनाप शनाप चीजें भी देखता रहता है?
- प्रेम किशोर

जवाब- आजकल यह एक आम समस्या हो गई है। अगर एक बारगी उससे मोबाइल फोन लेंगे तो वह ज्यादा खराब बिहेव करेगा। इसलिए उससे बात करिए और उसे बताइए कि मोबाइल अधिक यूज करने से वह फेल हो सकता है। इससे उसकी दोस्तों और परिवार के बीच इमेज भी खराब होगी। अगर तब भी नहीं माने तो उसक काउंसिलिंग कराइए। इससे उस पर अधिक असर पड़ेगा। उसका पढ़ाई का टाइम टेबल बना दीजिए।


सवाल- मेरी बेटी इस बार बारहवीं का एग्जाम देने जा रही है। वह पढ़ाई में बहुत ब्रिलिएंट है, लेकिन पिछले एक माह से उसे अजीब सा डर सताने लगा है। उसे लगता है जैसे वह फेल हो जाएगी। यह बात वह मुझसे भी कह चुकी है। समझ नही आ रहा है कि कैसे उसे समझाऊं?
जया दुबे

जवाब- यह भी एक प्रकार का एग्जाम फोबिया है। जब बच्चा पढ़ाई में अधिक मशगूल हो जाता है तो उसे अचानक से लगता है कि कहीं वह फेल न हो जाए। कहीं ऐसा सवाल न आ जाए कि जिसका उत्तर मेरे पास न हो। इसलिए अपनी बच्ची से बातें कीजिए। उसे बताइए कि इस फोबिया से दूरी बनाए। जितना उसने पढ लिया है वह बेकार नहीं जाएगा। जो लोग निगेटिव मानसिकता है के हैं उनसे दूर रहे। उसकी संगत पर भी नजर रखिए। जल्द ही उसकी सोच के पीछे का फैक्टर सामने आ जाएगा।


सवाल- मेरा बेटा इस बार हाईस्कूल का एग्जाम देगा। यह उसका पहला मौका है जब वह बोर्ड परीक्षा देने जा रहा है। इसको लेकर वह काफी तनाव ले रहा है। वह काफी चिड़चिड़ा भी होता जा रहा है। बात बात मुझसे और अपनी मां लड़ता है। किसी से बात भी नही करता है। यह प्रेशर कही उसे बीमार न बना दे?
- विपिन कुमार


जवाब- जिस उम्र में आपका बेटा है, उस एज में बोर्ड एग्जाम से पहले ऐसा होना आम बात है। यह केवल एग्जाम का प्रेशर है। हमारे चारों ओर बोर्ड एग्जाम को लेकर ऐसा माहौल बनाया जाता है कि वह बहुत बड़ा हौव्वा है। इससे बच्चे की मानसिकता पर निगेटिव इफेक्ट होने लगता है। इसलिए बच्चे के साथ समय बिताइए। उसकी काउंसिलिंग कराइए। उसे बताइए कि एग्जाम का प्रेशर लेना अच्छी बात नही है।

Posted By: Inextlive