महामंडलेश्वर महेन्द्र नंद गिरी को जगतगुरु की पदवी
प्रयागराज ब्यूरो ।मतांतरण रोकने और सनातन धर्म का प्रभाव बढ़ाने के लिए जूना अखाड़े ने सोमवार को एक और मजबूत पहल की है। अखाड़े की तरफ से नए लोगों को नई जिम्मेदारी सौंपी गयी है। दानो अनुसूचित जाति के सदस्य हैं। इन्हें पहली बार किसी अखाड़े ने इस तरह की पदवी ऑफर की है। अखाड़े की तरफ से सोमवार को आयोजित भव्य समारोह में इसकी प्रक्रिया पूरी की गयी। प्रोग्राम में अखाड़े के बड़े पदवीधारक मौजूद रहे।राम गिरी को श्री महंत की पदवी
बता दें कि देश भर में कुल 13 अखाड़ों को मान्यता है। इन्हें अखाड़ा परिषद मान्यता देता है। इसमें जूना अखाड़ा लगातार अपना दायरा बड़ा करता जा रहा है। पिछले अद्र्धकुंभ के दौरान इसी अखाड़े ने किन्नर अखाड़े को मान्यता प्रदान की थी। सोमवार को इसमें एक और नया अध्याय जुड़ गया। अखाड़े ने महेंद्रानंद के शिष्य कैलाशानंद गिरि को जूना अखाड़े ने महामंडलेश्वर की पदवी दी है। रामगिरी को श्री महंत की पदवी प्रदान की गयी है। यह दोनों महात्मा भी अनुसूचित जाति के हैं। सभी अनुसूचित जाति के महात्माओं का पट्टाभिषेक जूना अखाड़े के सिद्ध बाबा मौज गिरी आश्रम में मंत्रोच्चार के बीच किया गया। जूना अखाड़े ने दलित संत स्वामी कन्हैया प्रभु नंदन गिरी को 25 अप्रैल 2018 को पहला दलित महामंडलेश्वर बनाया था। सनातन के 13 अखाड़े में जूना अखाड़ा ही ऐसा अखाड़ा है, जो लगातार दलित संतो को जगतगुरु और महामंडलेश्वर के साथ ही श्री महंत की पदवी प्रदान कर रहा है।