ज़ीरो रोड स्थित दिगंबर जैन मंदिर में मुनि श्री पावन सागर एवं सुभद्र सागर महाराज के सानिध्य में जैन समाज ने गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया. आचार्यश्री ने कहा कि गुरु के बगैर जीवन अधूरा है. कहा कि गुरु हमारे संस्कारों के कर्णधार होते हैं. गुरु शब्द बहुत छोटा है परंतु इसका रहस्य बहुत बड़ा है. गुरु न हो तो कुछ भी काम नहीं बनते. मंदिरों में विराजमान पत्थर की प्रतिमाएं कुछ बोलती तो नहीं परंतु गुरु बोलते हैं. हमारी कमियां हमसे दूर करके गुणों का आरोपण करते हैं. गुरु हमें इंसान ही नहीं भगवान बनाने की क्षमता का बोध कराते हैं. शास्त्रों में गुरु को भगवान से भी बड़ा बताया है क्योंकि वह आपको भगवान बनने का मार्ग बताते हैं. इसलिए गुरुओं को ही जीवन का सार समझो और आत्मकल्याण की ओर अग्रसर हो.


प्रयागराज ब्यूरो । कार्यक्रम का शुभारंभ आचार्य विद्यासागर महाराज के चित्र के सम्मुख दीपक जलाकर किया गया। इसके बाद संगीतमय पूजन में गुरु भक्ति हुई। धर्मसभा का मंगलाचरण बाला जैन ने किया। जैन समाज के विकास जैन ने आचार्यश्री के ससंघ सानिध्य को समाज का पुण्य बताया।जैन समाज के पदाधिकारियों समेत अनेक श्रद्धालुओं ने महाराज श्री को श्रीफल अर्पित किए। जैन महिला मंडल की अध्यक्ष विभा जैन ने बताया कि बगैर गुरु ज्ञान प्राप्ति संभव ही नहीं है। महाराज जी का पाद प्रक्षालन प्रदीप जैन द्वारा किया गया।धर्मशास्त्र शांति देवी जैन एवं निर्मला देवी जैन द्वारा भेंट किया गया। राजेश कुमार जैन ने कहा कि हम गुरु को तो मानते है पर गुरु की नही मानते।

गुरु की महत्ता पर डाला प्रकाश
सरस्वती विद्या मंदिर माधव ज्ञान केंद्र इंटर कॉलेज की स्थापना के आज 31 वर्ष ( स्थापित गुरु पूर्णिमा के दिन 1992 में )पूर्ण हुए। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर विद्यालय की प्रार्थना सत्र में श्री वेदव्यास के चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्जवलन प्रधानाचार्य डॉ विंध्यवासिनी प्रसाद त्रिपाठी द्वारा किया गया। उन्होंने इसकी महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गुरु दो शब्दों से मिलकर बना है। गु जिसका अर्थ अंधकार तथा रु जिसका अर्थ प्रकाश है, अर्थात गुरु जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला है। गुरु पुण्य एवं पाप में अंतर बताता है, दूसरों की सहायता करना पुण्य हैं तथा दूसरों को कष्ट पहुंचाना पाप है। इस मौके पर विद्यालय के सभी छात्र छात्राएं एवं शिक्षक- शिक्षिकाएं मौजूद रहे।--

Posted By: Inextlive