'जिस दिन होगा दिमाग खराब उस दिन करूंगा सबका हिसाबÓ.

प्रयागराज ब्यूरो । 23 को शाम पांच बजे पुलिस को प्रतापगढ़ जेल में दाखिल कराना है अतीक-अशरफ के हत्यारों को
24 घंटे से अधिक समय तक हो चुकी है पूछताछ, अभी तक कुछ ठोस हाथ लगने के संकेत नहीं
48 घंटे से अधिक का समय बीत चुका है। एसआईटी की टीम लगभग हर हथकंडा आजमाकर पूछताछ में जुटे है। सवालों के जाल में उन्हें फंसाने की कोशिश फिलहाल तो नाकाम ही नजर आ रही है। सूत्र बताते हैं कि वे अब भी घूम फिरकर वही तथ्य दोहरा रहे हैं जो उन्होंने सरेंडर करते वक्त बताया था। एसआईटी के सामने फिलहाल तो लिमिटेड टाइम बचा है। इसमें वह कितना कुछ कबुलवा लेने में कामयाब होगी? यह तो वक्त बतायेगा। लेकिन, अब तक की स्थितियों से जो संकेत मिल रहे हैं उसके मुताबिक तीनो बेहद शातिर हैं। इनसे कुछ भी उगलवा लेना आसान नहीं है। इस स्थिति में एसआईटी तीनों का लाई डिटेक्टर टेस्ट कराने का सहारा भी ले सकती है। पुलिस का अगला कदम क्या होगा? यह रविवार को ही सामने आने की संभावना है जब इन्हें प्रतापगढ़ ले जाने का वक्त आयेगा। फिलहाल एसआईटी टीम या किसी भी जिम्मेदार पुलिस ऑफिसर की तरफ से ऐसा कुछ भी मीडिया से शेयर नहीं किया गया है जिससे संकेत मिले कि उनके हाथ पर्दे के पीछे से घटना की पटकथा लिखने वालों के बारे में कोई संकेत मिले।
19 से पुलिस कर रही है पूछताछ
माफिया अतीक-अशरफ को मौत के घाट उतारने वाले तीनो आरोपित लवकेश तिवारी, मोहित उर्फ सनी पुराने और अरुण मौर्या को घटना की जांच करने के लिए गठित एसआईटी ने 19 अप्रैल को कस्टडी रिमांड पर लिया था। इस दिन तीनों को पेशी के लिए प्रतापगढ़ से यहां लाया गया था। सीजेएम कोर्ट ने पुलिस की तरफ से तर्कों को सुनने के आद एसआईटी को तीनो से पूछताछ की अनुमति दे दी थी। सीजेएम कोर्ट के आदेश के अनुसार पुलिस टीम तीनो से 23 तारीख तक पूछताछ कर सकती है। कोर्ट ने तीनो केा 23 अप्रैल को शाम पांच बजे प्रतापगढ़ जिला जेल में सीधे दाखिल करने का आदेश दिया है। पुलिस के पास फिलहाल रिमांड बढ़ाने के लिए अर्जी देने का भी टाइम नहीं है। शनिवार 22 अप्रैल को ईद का अवकाश घोषित है तो 23 को संडे है। यानी पुलिस को रिमांड की अवधि बढ़ाने के लिए अर्जी देने का मौका भी सोमवार को ही मिलने की संभावना है। इससे पहले तीनो को प्रतापगढ़ जेल में दाखिल करना पड़ सकता है।

मास्टर माइंड पर बात ही नहीं कर रहे
अतीक अशरफ की पुलिस कस्टडी में हत्या करके प्रदेश की कानून व्यवस्था को सीधे चुनौती देने वाले तीनो हत्यारे यूपी के ही रहने वाले हैं। एक बांदा का रहने वाला है तो दूसरा हमीरपुर का। तीसरा कासगंज का रहने वाला है। तीनों पहले दिन से एक कहानी सुना रहे हैं। इसके अनुसार उन्हें माफिया अतीक जैसा ही बड़ा बनना था, इसलिए उन्होंने इस घटना को अंजाम दिया। इस तरह की सोच के साथ उन्होंने इस घटना को अंजाम अकेले दे दिया है। यह किसी के गले के नीचे नहीं उतर रहा है। सबसे बड़ा रहस्य है इनके द्वारा घटना में इस्तेमाल की गयी पिस्तौल तो दूसरी कंट्री की है। एक पिस्तौल की कीमत ही पांच से सात लाख रुपये तक है। इसके बाद इसकी गोलियां जो भारत में तस्करी के जरिए ही उपलब्ध होती हैं। इन तीनो का प्रोफाइल बताता है कि यह सब अरेंज करना इनके अकेले के बस का नहीं है। कोई है तो जिसने पर्दे के पीछे से इनकी मदद की है। हथियार मुहैया कराने से लिए हत्याकांड की पूरी स्क्रिप्ट लिखने तक में। इसे लेकर तरह तरह की चर्चा है। लेकिन इन तीनो की तरफ से अभी तक किसी का भी नाम नहीं उगला गया है। न किसी सफेदपोश का और न ही किसी बड़े कारोबारी का, जिनका नाम अतीक और अशरफ से पूछताछ में सामने आना उनके लिए बड़ा खतरा बन जाता। पुलिस के लोग भी इस तथ्य को मानने के लिए तैयार नहीं हैं।

फिर तो तैयार हो गया है नया माफिया!
इस हत्याकांड के कारण का सच यदि वही है जो तीनो 15 अप्रैल को पुलिस को खुलेआम चुनौती देते हुए अतीक अशरफ को गोली से उड़ाने वाले बता रहे हैं, तब तो पुलिस के लिए और बड़ी चुनौती खड़ी होने जा रही है। चर्चा है कि इन तीनो ने तो भविष्य में माफिया अतीक जैसा बनने की दिशा में कदम आगे बढ़ा दिया है। पूरे देश में नाम हो चुका है। लगभग हर घर तक इनकी तस्वीर पहुंच चुकी है। यानी पृष्ठभूमि तैयार हो चुकी है कि वे आने वाले दस सालों के भीतर प्रदेश की कानून व्यवस्था को चुनौती देने वाले नया चेहरा बन जाएं।

कई राउंड में हुई पूछताछ
पुलिस भी तीनों से हत्याकांड का पूरा सच उगलवाने के लिए अपने स्तर से प्रयास में कोई कमी नहीं छोड़ी है। सवालों की लिस्ट कुछ इस तरह से तैयार की गयी है कि जवाब में हत्यारों से कोई न कोई गलती हो जाए और वे उस कड़ी के बारे में कुछ बता दें जिसने पूरी साजिश रची है। पुलिस तीनों को साथ बैठाकर और फिर अलग अलग भी पूछताछ कर रही है।

घुमा फिराकर पूछे जा रहे सवाल
सवालों में सबसे ऊपर यही है कि तीनों की मुलाकात आखिर हुई कैसे?
तीनों का मोटिव कैसे एक हो गया?
पुलिस कस्टडी में हत्या करने जैसा बड़ा रिस्क उन्होंने कैसे ले लिया जबकि जान जाने का खतरा भी था?
उन्हें असलहा और गोलियां उपलब्ध कराने वाला कौन था?
खुद खरीदी तो भी पिस्तौल कहां से खरीदी और किससे खरीदी?
पिस्तौल और गोलियों का भुगतान करने के लिए इतना बड़ा एमाउंट उनके पास आया कहां से?
क्या घर परिवार के किसी सदस्य ने उनकी मदद की है?
होटल का बंदोबस्त किसने किया और उन्हें मीडिया का कैमरा व आईडी किसने उपलब्ध करायी?
अतीक और अशरफ को पुलिस ने 13 अप्रैल की शाम पांच बजे रिमांड पर लिया था। इसके पहले कोई सूचना नहीं थी। इतने शार्ट नोटिस पर उन्होंने सब कुछ कैसे मैनेज कर लिया?

Posted By: Inextlive