बेसिक माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा संस्थानों में शिक्षक भर्ती के लिए बनाए गए तमाम भर्ती बोर्ड अब तक असफल साबित होते आ रहे हैं. कई सालों से हजारों पदों पर भर्ती का इंतजार किया जा रहा है. शायद यही कारण है कि उप्र सरकार ने एकीकृत एजेंसी यानी उप्र शिक्षा सेवा चयन आयोग बनाने का निर्णय लिया है. इससे चयन का इंतजार कर रहे हजारों अभ्यर्थियों को भी राहत मिल सकती है.

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। सबसे पहले बात करते हैं माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की। यहां पर हजारों की संख्या में सहायक अध्यापक, प्रवक्ता और प्रधानाचार्य के पद खाली हैं। बोर्ड की ओर से वर्ष 2021 में सहायक अध्यापक और प्रवक्ता के 6 हजार पदों का विज्ञापन निकाला जा चुका है लेकिन परीक्षा पेंडिंग है। अभ्यर्थी लंबे समय से इन पदों पर भर्ती की राह देख रहे हैं। इसी तरह स्कूलों में दो हजार प्रधानाचार्य भर्ती के पदों का विज्ञापन निकाला जाना बाकी है। कुल मिलाकर बोर्ड ने 2013 के बाद से प्रधानाचार्यों की भर्ती नहीं की है। उप्र के एडेड विद्यालयों के 9000 पदों प्रधानाचार्य भर्ती किया जाना शेष है। इतना ही नही 2011 की जीव विज्ञान टीजीटी का रिजल्ट अभी तक नही आया है। इसके 80 पदों पर भर्ती प्रक्रिया रुकी हुई है। उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग की ओर से असिस्टेंट प्रोफेसर के कुछ पदों का विज्ञापन निकाला गया है लेकिन अभी इनकी परीक्षा नही कराई जा सकी है।

2018 के बाद से नही हुई है भर्ती
सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के हालात बेहतर नहीं कहे जा सकते हैं। यहां पर वर्ष 2018 के बाद से भर्ती पक्रिया रुकी हुई है। प्रदेश के स्कूलों में 1894 प्रधानाचार्यों के पद खाली पड़े हुए हैं। इन पदों पर भर्ती का मामला फिलहाल लंबित है। जानकारों का कहना है कि इससे स्कूलों की शिक्षा की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है।

यूपीपीएससी का परफार्मेंस भी ढीला
शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में उप्र लोक सेवा आयोग भी काफी पीछे चल रहा है। देखा जाए तो कुछ साल पहले 1272 प्रवक्ता और 2020 में 123 एएलटी पदों पर भर्ती की गई थी लेकिन उसके बाद से प्रक्रिया को जैसे विराम लग गया। प्रदेश भर के जीआईसी और जीजीआईसी में सहायक अध्यापक के हजारों पदों पर भर्ती होना बाकी है। जिसमें सहायक अध्यापक पुरुष संवर्ग में 3982 पद और महिला संवर्ग में 3024 पद खाली पड़े हैं। जबकि 2146 पद पुरुष प्रवक्ता और 604 पद महिला प्रवक्ता सीधी भर्ती के रिक्त हैं। जिसको भरे जाने का इंतजार प्रदेश के हजारों अभ्यर्थी कर रहे हैं। इसी क्रम में वर्ष 2009 के आठ विषयों के 1013 पदों पर शिक्षकों को पदोन्नति नही मिल सकी है।

हजारों बेरोजगार सड़कों पर घूम रहे हैं। अगर समय रहते इन भर्तियों को पूरा करा दिया तो विद्यालयों की हालत में सुधार भी होगा। साथ ही सभी को समय से रोजगार भी मुहैया कराया जा सकेगा। समय आने पर सरकार के इस कदम का महत्व भी समझा जा सकेगा।
डॉ। हरिप्रकाश यादव संरक्षक उप्र माध्यमिक शिक्षा संघ एकजुट

तमाम राजकीय इंटर कॉलेजों में हजारों पद खाली पड़े हुए हैं। इनमें पहले ही भर्ती हो जानी चाहिए थी। किन्ही कारणों से आयोग इस प्रक्रिया को पूरा नही करा पा रहा है। एकीकृत आयोग बनने के बाद हो सकता है स्थिति में सुधार हो जाए।
डॉ। रविभूषण महामंत्री, राज्य शिक्षक संघ

Posted By: Inextlive