5 रुपए के चक्कर में लाखों बने घनचक्कर
प्रयागराज (ब्यूरो)। सरकार की घोषणा के मुताबिक 5 फरवरी 2019 से लेखपालों को 5 रुपए प्रति प्रमाण पत्र दिया जाना था। यह खर्च प्रमाण पत्र निकालने में आने वाले प्रिंटिंग के खर्च को मैनेज करने के लिए दिया जाना था।
लेखपालों का कहना है कि दो साल बीत जाने के बाद भी खर्च की फाइल टेबल टेबल घूम रही है।
इस संबंध में आला प्रशासनिक अधिकारियों से बात की गई लेकिन कोई हल नही निकल सका है।
जिससे ऊबकर उन्हेांने एक नवंबर से आख्या लगाना बंद कर दिया है।
कई जगह लगते हैं सर्टिफिकेट
आय, जाति और निवास प्रमाण पत्र का लगभग सभी जगह यूज होता है।
छात्रवृत्ति, लोन अप्लाई, भर्तियों सहित तमाम आवेदनों में यह प्रमाण पत्र लगाए जाते हैं।
लेकिन फिलहाल इनका पेंडेंसी बढऩे से अभ्यर्थियों की दिल की धड़कन बढ़ती जा रही है।
अधिक समय तक लेखपालों का यह हठ चला तो अभ्यर्थियों का लंबा नुकसान हो सकता है।
उधर लेखपालों का कहना है कि जब तक हमारा भुगतान नही होगा, हम अपनी मांग पर अड़े रहेंगे।
प्रयागराज में क्यों लेखपालों का भुगतान रोका गया है यह समझ नही आ रहा। कौशांबी और प्रताप गढ़ में पूर्व में पांच रुपए प्रति प्रमाण पत्र की दर से भुगतान किया गया है। हमलोग प्रशासनिक अधिकारियों से इसकी मांग करते चले आ रहे हैं।
राजकुमार सागर,
जिलाध्यक्ष, उप्र लेखपाल संघ प्रयागराज
अवनीश पांडे
उप मंत्री, उप्र लेखपाल संघ प्रयागराज एक नवंबर से लगी है रोक
लेखपालों ने एक नवंबर से तीनों प्रमाण पत्रों पर आख्या लगाना बंद कर दिया है।
इससे हाहाकार मचा हुआ है। हजारों की संख्या में प्रमाण पत्र लंबित हो जाने से अभ्यर्थी तहसीलों का चक्कर काट रहे हैं।
अधिकारी भी उन्हे माकूल जवाब नही दे पा रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक जिले में 600 लेखपाल हैं और यह सभी एक दिन में औसतन 1000 प्रमाण पत्र जारी करते हैं।
एक नवंबर से अब तक दीवाली का अवकाश हटाने के बाद भी कम से कम 6000 आय, जाति और निवास प्रमाण पत्र पेंडिंग हो गए हैं।
इनको लेखपालों की आख्या का इंतजार है।