स्व. गोपी कृष्ण गोपेश की जन्मशती पर आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। हिंदी के पुरा छात्र, साहित्यकर्मी, कवि, अनुवादक एवं रूसी भाषा के अध्यापक स्वर्गीय गोपी कृष्ण गोपेश के जन्मशती के अवसर पर 19 नवंबर को हिंदी विभाग के डॉ धीरेंद्र वर्मा सभागार में एक गोष्ठी का आयोजन हुआ। गोपेश जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से चर्चा प्रो। प्रणय कृष्णाय तथा प्रो। संतोष भदौरिया ने की। स्वागत विभाग अध्यक्ष प्रो। लालसा यादव ने किया। अध्यक्षता संस्कृत के प्राचार्य प्रो हरि दत्त शर्मा ने की। अंग्रेजी की प्राचार्य तथा साहित्य अकादमी पुरस्कार सम्मानित प्राचार्य प्रो। नीलम शरण गौड़ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थीं।

कविता पाठ से शुरुआत
प्रारम्भ विभाग के डॉ लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता द्वारा गोपेश की कविता के पाठ के साथ हुआ। प्रो संतोष भदौरिया ने गोपेश की कृतियों से उजागर गोपेश के जीवन, संघर्ष और साहित्य पर उत्तरोत्तर आगे की यात्रा का भावपूर्ण वर्णन किया। उनकी कविताओं पर उत्तर छायावाद के कवियों को रेखांकित करते हुए प्रो भदौरिया ने अनुवाद के क्षेत्र में उनके योगदान के बारे में चर्चा की। प्रो। प्रणय कृष्ण ने विशेष रूप से गोपेश की राजनीतिक कविताओं तथा अनुवाद पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि आजादी की प्राप्ति के बाद गोपेश की पीढ़ी किस तरह नेहरू से प्रभावित रही और कैसे कालांतर में गोपेश कविताओं में उस दौर की राजनीति से मोहभंग दिखाई देता है। प्रो। नीलम शरण गौड़ ने गोपेश की एक ही अनुवादित कृति विदेश के महाकाव्य तक अपनी बात को सीमित रखते हुए गोपेश के उच्च स्तरीय अनुवाद और अनुवादों के माध्यम से दूसरी भाषा देश और संस्कृति के बीच सेतु बनने की उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अन्य देशों की पौराणिक कथाओं के चरित्र किस तरह से यहां से भी समानता रखते हैं, इस पर यह किताब प्रकाश डालती है।

व्यक्तिगत अनुभव बताये
प्रो हरिदत्त शर्मा ने गोपेश जी के साथ अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा किया। प्रो अनीता गोपेश जी ने वक्ताओं अतिथियों और हिंदी विभाग के समस्त शिक्षकों तथा उपस्थित छात्र छात्राओं को धन्यवाद ज्ञापित किया। प्रो श्याम किशोर सेठ, डॉ आशा सेठ, प्रो एआर सिद्धिकी, प्रो अनामिका राय, कवि हरिश्चंद्र पांडे, नीलम शंकर, आनंद मालवीय, अनिल रंजन कौशिक, प्रवीण शेखर, विभु गुप्ता, सुरेंद्र राही, प्रोफेसर शबनम हमीद प्रो शिव प्रसाद शुक्ला, प्रो योगेंद्र प्रताप सिंह, प्रो बसंत त्रिपाठी, डॉ जनार्दन, डॉ गाजुला राजू, डॉ संतोष कुमार सिंह, डॉ दीनानाथ मौर्य, डॉ अमृता, डॉ कुमारी, डॉ प्रेम शंकर सिंह एवं अन्य छात्र छात्राएं तथा शोध छात्र मौजूद थे।

Posted By: Inextlive