वकालत व वकीलों से केशरीनाथ का था गहरा नाता
प्रयागराज (ब्यूरो)। अधिवक्ता के रूप में पं। केशरीनाथ त्रिपाठी 1956 में हाईकोर्ट में रजिस्ट्रेशन कराए थे। रजिस्ट्रेशन के बाद बाबू जगदीश स्वरूप के संरक्षण में करीब एक वर्ष तक का प्रशिक्षण लिए यानी प्रैक्टिस किए। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद के महासचिव सत्यधीर सिंह जादौन कहते हैं कि पं। केशरीनाथ त्रिपाठी वर्ष 1965 में इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पुस्तकालय सचिव चुने गए थे। इस पद पर रहते हुए वह अधिवक्ता समाज के साथ आम लोगों के हितों की आवाज प्रमुखता से उठाते रहे। अपनी तर्क क्षमता व जुझारूपन के बूते अधिवक्ता समाज में उनकी एक अलग पहचान बनी। इसके बाद दो बार वह वर्ष 1987-88 एवं 1988-89 में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद के अध्यक्ष रहे। बताते हैं कि वर्ष 1980 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायाधीश पद के लिए उनके नाम का प्रस्ताव आया था। इस प्रस्ताव को उन्होंने अस्वीकार दिया था। इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में वर्ष 1989 में उनका नाम वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में दर्ज हुआ। उन्हें संविधान संबंधी मामलों में अधिवक्ता व अदालत ही नहीं लोग भी बतौर विशेषज्ञ के रूप में जानते और मानते हैं। लोकसभा अध्यक्ष द्वारा वर्ष 1992-93 में उन्हेें विधायिका, न्यायपालिका में सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने वाली समिति का सदस्य भी नामित किया गया था। हाईकोर्ट व अधिवक्ताओं के प्रति उनका समर्पण तन्मयता के साथ रहा। ज्यादातर मुकदमों की पैरवी उनके द्वारा हिन्दी में की गई।
जवाब से खामोश हो गए थे अधिवक्ता
बताते हैं कि राज्यपाल पद से हटने के बाद पं। केशरीनाथ त्रिपाठी वकालत शुरू कर दिए थे।
उस वक्त इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं ने उनसे कहा था कि आप राज्यपाल रह चुके हैं।
ऐसे में कोर्ट में आप का खड़े होना उचित नहीं रहेगा। इस पर उनका जवाब अधिवक्ता समाज के दिल को छू गया था।
उन्होंने कहा था कि वकालत मेरी पहचान और पेशा है। यह वह तो जिसके बूते ह यहां तक पहुंचे हैं फिर भला हमे वकालत और अधिवक्ताओं के बीच से दूर कैसे रह सकते हैं?
पं। केशरीनाथ त्रिपाठी शिक्षा सेवा अधिकरण को जिले से लखनऊ ले जाने का खुलकर विरोध किए थे।
हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल के साथ वह सीएम योगी आदित्यनाथ से भी मिले थे। उनके तर्क को सुनने के बाद सरकार को अपना निर्णय बदलना पड़ा था।
हाई कोर्ट की बेंच के विभाजन का भी उन्होंने विरोध किया करते थे। इतना ही नहीं 16 दिसंबर 2020 को केपी कॉलेज में आयोजित एक कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से वकीलों के लिए आवास व चैंबर की के लिए निवेदन किए थे।
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद की ओर से रविवार को एक शोक सभा हुई। इसकी अध्यक्षता वरिष्ठ अधिवक्ता व राधाकांत ओझा ने की। जबकि संचालन महासचिव सत्यधीर सिंह जादौन ने किया। अध्यक्ष ने कहा कि हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता व पूर्व राज्यपाल पश्चिमबंगाल एवं पूर्व विधान सभा अध्यक्ष उत्तर प्रदेश पं। केशरीनाथ त्रिपाठी की कमी कभी पूरी नहीं हो पाएगी। शोक सभा में मौजूद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद के सभी पदाधिकारियों व अधिवक्ताओं ने कहा कि उनका निधन समूचे अधिवक्ता समाज की अपूर्णनीय क्षति है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। वह अत्यंत मृदुभाषी एवं मिलनसार और विशाल व्यक्तित्व के धनी थे। उनके निधन से हपने अपना मजबूत नेतृत्व व अभिभावक खो दिया है। शोक सभा में एनसी राजवंशी, वरिष्ठ अधिवक्ता वीपी श्रीवास्तव, अमरेंद्र नाथ सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश पांडेय, अनिल तिवारी, राकेश पांडेय, संयुक्त सचिव प्रेस आशुतोष त्रिपाठी, अरुण कुमार सिंह, कोषाध्यक्ष सहित कई अधिवक्ता मौजूद रहे।
पं। केशरीनाथ त्रिपाठी जी का जीवन राजनीतिक होने के साथ वकालत को भी समर्पित रहा। उनके पंचतत्व में विलीन होने से समाज और अधिवक्ता समाज की अपूर्णनीय क्षति हुई है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद में वह अध्यक्ष पद के साथ अन्य पदों पर भी आसीन रहे और अधिवक्ता समाज के लिए उनके द्वारा किए गए कार्य कभी भुलाए नहीं जा सकते।
सत्यधीर सिंह जादौन, महासचिव हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद
पंकज त्रिपाठी, अधिवक्ता हाईकोर्ट इलाहाबाद पं। केशरीनाथ त्रिपाठी का जीवन समूचे समाज को समर्पित रहा है। वह अधिवक्ता समाज को हमेशा एक नई दिशा और ताकत देने का काम किए। वह एक जिम्मेदार अगुवा और मार्गदर्शक की तरह हमेशा हम अधिवक्ताओं के साथ खड़े रहे। वकालत पेशा से उनका लगाव और उनसे मिलने वाली सीख हमेशा समूचे अधिवक्ता समाज के लिए के लिए अनुकरणीय रहेगा।
गौरव मिश्रा, अधिवक्ता हाईकोर्ट इलाहाबाद
जनपद न्यायालय के अधिवक्ताओं के सुख-दु:ख में भी पूर्व राज्यपाल पश्चिमबंगाल पं। केशरीनाथ त्रिपाठी हमेशा खड़े रहे। जबकि जनपद न्यायालय के अधिवक्ताओं पर कोई समस्या आई है वह बगैर निवेदन किए खड़े रहते थे। जिला कचहरी में काम करने वाले अधिवक्ताओं के हित में उनके द्वारा हमेशा चैंबर आदि की मांग की जाती रही। वह कभी हाईकोर्ट और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के अधिवक्ताओं में भेदभाव नहीं किए।
गुलाबचंद्र अग्रहरि, जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी