दौड़ लगाते हुए पहुंचकर कर चुकी है सीएम योगी से मुलाकातउसकी उम्र कुल 11 साल भी अभी नहीं हुई है. संसाधन बेहद कम उपलब्ध हैं. इसके बाद भी इरादा और संकल्प बड़ा है. मैराथन जीतने की जिद है. मैराथन की दूरी को देखते हुए नियम ही ऐसे नहीं बने कि कम उम्र वालों को इसमें इंट्री दी जाय. इसके बाद भी उसने मैराथन की पूरी दूरी तय कर डाली. कोई स्थान नहीं मिला लेकिन चेहरे पर सुकून का भाव था. उसके इस प्रयास को रिकग्नाइज नहीं किया गया क्योंकि मसला उम्र का था. इसके बाद भी उसने जिद नहीं छोड़ी है.


प्रयागराज (ब्यूरो)। उम्र महज दस साल और हौसलों की उड़ान आसमां से भी ऊंची। यहां बात हो रही है काजल की। मांडा की रहने वाली यह बालिका एथलीट है और इतनी कम उम्र में अधिक सम्मान पाने की जिद ने इसे प्रयागराज से लखनऊ पहुंचा दिया। वह भी दौड़कर। 200 किमी की दूरी तय करने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलने में उसे तीन दिन लग गए। अप्रैल की तपती गर्मी से भी इस मासूम के हौसले नही डिगे। इस सफर में साथ में उसके कोच रजनीकांत और तेज बहादुर निषाद थे। खुद सीएम भी दस बच्ची के अदम्य उत्साह और साहस को देखकर चकित रह गए। उन्होंने भविष्य में हर संभव मदद करने का काजल को आश्वासन भी दिया है।किसलिए लगा दी दौड़
इसी साल दस अप्रैल को काजल ने प्रयागराज के सिविल लाइंस चौराहे से लखनऊ के लिए दौड़ लगाई थी। कारण साफ था कि इसके पहले वह प्रयागराज से इंडिया गेट तक 720 किमी की दूरी तय कर चुकी है। इसके अलावा पिछले साल वह भारतीय इंदिरा मैराथन में 42 किमी की दूरी 4 घंटे 22 मिनट 25 सेकंड में तय कर चुकी है। बावजूद इसके इस प्रतिभावान को एथलीट को न तो उचित सम्मान मिला और न ही उसे आगे बढऩे के लिए प्रशासन से कोई मदद। इससे वह काफी आहत हुई और उसने फैसला कर लिया कि वह हाथ में भारत का झंडा लेकर दौड़ लगाएगी। रास्ते में उसने कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया से मुलाकात की। इसके बाद भाजपा नेत्री निर्मला पासवान ने काजल से मुलाकात कर उसका हौसला बढ़ाया। सीएम से बोली, नहीं मिला सम्मानबता दें कि 42 किमी की मैराथन पूरी करने के बावजूद प्रशासन ने काजल को अंडर एज बताकर डिस क्वालिफाई कर दिया था। उसे किट, प्राइज वगैरह कुछ नही दिया गया था। जबकि अच्छे अच्छे धावक भी इस मैराथन को पूरा नही कर सके थे। इससे आहत होकर वह दौड़ लगाकर सीएम के पास पहुंची और अपनी बात बताई। इस पर सीएम ने कहा कि उसका एडमिशन प्रयागराज के स्पोट्र्स स्टेडियम में कराया जाएगा। उसे ट्रेनिंग दिलाई जाएगी। उसे सीएम ने भेंट स्वरूप ट्रैक सूट भी दिया था। काजल के पिता ललित निषाद रेलवे में नौकरी करते हैं। वह घर में सबसे छोटी जरूरत है लेकिन उसके हौसले इससे कहीं बड़े हैं।

Posted By: Inextlive