जुग-जुग रखिहा हे छठी मइया
प्रयागराज ब्यूरो, खरना पर शनिवार को डाला छठ का निर्जला व्रत आरंभ हुआ। रविवार की सुबह स्नान करके महिलाएं ठेकुआ बनाने के साथ पूजन की तैयारी में जुट गई। दोपहर से मइया का पूजन करने व डूबते सूर्य को अघ्र्य देने के लिए संगम, नींवा, दारागंज, मीरापुर, कीडगंज, गऊघाट, बलुआघाट, अरैल, फाफामऊ, झूंसी, रसूलाबाद, तेलियरगंज के घाटों पर व्रती महिलाएं व परिवार के लोगों की भारी भीड़ रही। घाट पर आने वाली व्रतियों के साथ अन्य श्रद्धालुओं ने छठ मइया को रिझाने के लिए
'जोड़ा कल सुपवा लिहले वरती पुकारे, कोपि-कोपि बोलेली छठीय माई, सुपली में नरियर नीमुवा सेउवा, छठी माई दिहले बाड़ी गोदी में लालनवा, बाटै जै पूछेले बटोहिया ई भार केकरै घरै जाय छठ मईया बड़ी पुण्यात्मा ई भार छठी घाटे जायÓ जैसे गीत गाते हुये पहुंचे। हाथ में गन्ना और प्रसाद की थाली थी। जबकि पुरुष सिर पर बांस की टोकरी में सूप, फल, सब्जी व पूजन की अन्य सामग्री लेकर साथ चल रहे थे।
बजे ढोल-नगाड़े जमकर हुई आतिशबाजी
घाट पहुंचने पर व्रती महिलाएं स्वयं की बनाई वेदी के पास बैठकर उसके चारों ओर गन्ने का मंडप तैयार किया। मंडप के अंदर बैठकर छठ मइया का विधिवत पूजन किया। सूर्य के अस्त होते समय हाथ में लोटा व प्रसाद लेकर महिलाएं पानी में खड़ी होकर 'ओम घृणि सूर्य देवाय नम: ओम दिवाकराय नम:Ó व गायत्री मंत्र का जाप करते हुए अघ्र्य दिया। बेटे, पति व परिवार के अन्य सदस्यों ने क्रम से अघ्र्य दिया। परिवार की बड़ी महिलाओं ने उम्र से छोटी स्त्रियों को सिंदूर लगाकर सदा सुहागन रहने का आर्शीवाद दिया। घाट पर ढोल-नगाड़े की थाप पर युवाओं के साथ बुजुर्ग भी थिरके। बच्चों ने पटाखे जलाकर खुशी मनाई।
वैदिक मान्यताओं के अनुसार उगते सूर्य को अघ्र्य देने से आयु, आरोग्यता, यश, संपदा का आशीष प्राप्त होता है। आचार्यों के अनुसार भगवान भास्कर को जल और दूध से अघ्र्य देने से जीवन में उन्नति होती है। लाल चंदन, फूल के साथ अघ्र्य देने से यश की प्राप्ति होती है जबकि प्रात:कालीन सूर्य को अघ्र्य देने से आरोग्य, आयु, विद्या, यश और बल की प्राप्ति होती है। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार सूर्य को अघ्र्य देने से पापों से मु1ित मिलती है।
लेटकर पहुंचीं घाट तक
कई महिलाओं ने छठ मइया को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की। घर से घाट तक का सफर लेटकर पूरा किया। महिलाएं हाथ जोड़कर सड़क पर लेट जाती। फिर उठती और छठ मइया की जय बोलकर थोड़ा आगे बढ़कर पुन: लेट जाती। मान्यता है कि ऐसा करने से छठ मइया प्रसन्न होती हैं और भक्त की हर मुराद पूरी करती हैं।
घाट पर पूजन करने के बाद काफी महिलाएं मांगलिक गीत गाते हुए घर लौट आयीं। घर आकर रातभर जागरण में व्यतीत किया। पूजा घर में कोसी भरी। मिट्टी के बने चार खाने वाले बर्तन के ऊपर चार दीपक जलाकर पूजन किया। इसी दीपक को लेकर सोमवार की सुबह पुन: घाट तक जाएंगी। पूजन के बाद उसे नदी में अर्पित करेंगी। -------- सेल्फी लेने का रहा क्रेज
डाला छठ पूजन में सेल्फी लेने का क्रेज रहा। पूजन को यादगार बनाने के लिए व्रती महिलाओं के साथ आए लोगों ने सेल्फी लिया। जिनके परिजन दूसरे शहरों में थे उन्हें वीडियो काल व फेसबुक लाइव के जरिए पूजन दिखाया। पूजा की फोटो इंटरनेट मीडिया में लगातार डाली जाती रही।
-----------
कीचड़ से हुई परेशानी
घाट पर कीचड़ से श्रद्धालुओं को काफी समस्या हुई। घाट के दल-दल को खत्म करने के लिए उचित प्रबंध नहीं किया गया। स्नान के लिए घाट भी ठीक से नहीं बनाया गया। इसके चलते लोगों को संगम, गऊघाट, रामघाट पर गांठभर कीचड़ में प्रवेश करके जल में पहुंचना पड़ा। कीचड़ के कारण जल भी गंदा हो गया था। इससे मिट्टी युक्त जल में स्नान करना पड़ा।
----------
भीड़ व अव्यवस्था से बचने के लिए घर में सूर्यदेव को अघ्र्य दिया। घर में पानी की टंकी, स्वीमिंग पूल, प्लास्टिक के टब में प्रवेश करके अघ्र्य दिया।
संगीता, महिला व्रती महिला
कार्तिक शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि पर सोमवार की सुबह डाला छठ व्रत का विधिवत पारण होगा। भोर में ही हाथों में कोसी लेकर ढोल-ताशा के साथ घाट फिर पहुंचना होगा। वहां अपनी बेदी में पूजन करने के बाद कमरभर जल के अंदर जाकर उगते सूर्य को अघ्र्य देंगी।
प्रियंका गुप्ता, व्रती महिला
घर पर मां छठ का व्रत रहा करतीं थीं, ससुराल आने के बाद सास की आरे से यह जिम्मेदारी हमको मिल गई। तब से पूरी आस्था के साथ छठ मइया की अराधना कर रहीं हूं। इसके साथ ही मैं एक टीचर हूं, छुट्टी के लिए पहले से लीव अप्लाई कर रखी थी। ताकि दिक्कत न हो।
छाया सिंह, व्रती महिला
-------------
ससुराल में कई पीढिय़ों से छठ व्रत की परंपरा चली आ रही है। जब तक शरीर में प्राण है, छठ मइया के प्रति आस्था की डोर कमजोर नहीं होने दूंगी। 36 घंटे का यह व्रत सूर्य की आराधना में कैसे निकल जाता है। पता ही नहीं चलता है।
स्मृति श्रीवास्ताव, व्रती महिला
-------------
अंजुला गुप्ता, व्रती महिला परिवार सदस्य -------------------
करीब दस सालों से अनवरत छठ मइया की अराधना करती आ रहीं हूं। इनकी अराधना की वजह से परिवार की बड़ी से बड़ी बाधा दूर हो गई है। छठ मइया के व्रत से कई मनोकामनाएं पूरी हुई हैं। इसके बाद से सुख और परिवार की उन्नति के लिए पिछले पांच वर्ष से व्रत रखकर विधि-विधान से पूजन कर रहीं हूं।
वर्जन - लीलावती