न्यायिक आयोग की जांच में खुलेंगे कई राज
प्रयागराज ब्यूरो । आईएस 227 गैंग के सरगना रहे अतीक अहमद व उसके भाई की हत्या में न्यायिक आयोग की तफ्तीश से कई नई स्टोरी के सामने आने की उम्मीद है। ऐसा अभी तक की गई जांच में मिले तथ्यों को देखते हुए माना जा रहा है। यही वजह है कि लोग जांच के आगे बढऩे पर नयी कहानी के सामने आने का अनुमान लगा रहे हैं। पिछले दिनों जांच के लिए गठित एसआइटी के जरिए दी गई नोटिस के बावजूद कई लोग बयान दर्ज कराना मुनासिब नहीं समझ रहे। अब न्यायिक आयोग की ओर से भेजी गई नोटिस लेकर उनमें खलबली मच गई है। क्योंकि न्यायिक आयोग की नोटिस पर बयान नहीं देने की दशा में बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
पंद्रह अप्रैल को हुई थी हत्या
शहर में काल्विन हॉस्पिटल गेट पर 15 अप्रैल की देर शाम पुलिस की अभिरक्षा में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या हुई थी। इस सनसनीखेज वारदात को तीन शूटर सनी ङ्क्षसह, लवलेश तिवारी और अरुण मौर्या ने अंजाम दिया था। इस घटना की विवेचना के लिए सूबे की सरकार द्वारा एसआईटी का गठन किया गया। एडीसीपी क्राइम की अध्यक्षता में गठित एसआइटी हर एंगल पर मामले की तलाश की जा रही है। साथ ही एसआइटी का पर्यवेक्षण करने के लिए एडीजी जोन की अध्यक्षता में एक दूसरी एसआइटी बनाई गई। बावजूद इसके पुलिस अभिरक्षा में अतीक ब्रदर्स की हत्या को लेकर सवाल उठते रहे। इसी बीच मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया गया। सूत्रों कहते हैं कि न्यायिक आयोग के अध्यक्ष इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दिलीप बाबा साहेब भोसले की अगुवाई में टीम हत्याकांड की हर ङ्क्षबदु पर छानबीन कर रही है। ऐसे में माना यह जा रहा है कि वारदात के वक्त मौजूद रहे मीडियाकर्मियों और स्वास्थ्यकर्मियों का भी बयान इस मर्डर केस में काफी अहम हैं। क्योंकि कत्ल के वक्त कुछ मीडिया कर्मी मौके पर ही थे और वह अतीक और अशरफ से सवाल पूछत रहे थे। यही वजह है कि लोग यह मान रहे हैं कि न्यायिक आयोग द्वारा की जा रही जांच में कत्ल से जुड़े कुछ नए पहलू सामने आ सकते हैं।