आईटीसी क्लेम अब भी बच्चों का खेल नहीं
प्रयागराज (ब्यूरो)। व्यापारियों के लिए वर्तमान में आईटीसी यानी इनपुट टैक्स क्रेडिट लेना आसान नही है। छह साल में इसको लेकर कई संशोधन हो चुकी हैं इसके बाद भी हर माह हजारों व्यापारियों का करोड़ों रुपए की आईटीसी फंस जाती है। इससे उनको भारी नुकसान होता है। व्यापारियों के द्वारा सरकार से आईटीसी के नियमों को सरल करने की अपील लंबे समय से की जा रही है। हालांकि अभी तक इस मामले में कोई खास निर्णय नही हो सका है।
चार बार हुआ बदलाव
आईटीसी को लेकर जीएसटी एक्ट में चार बार बदलाव हो चुका है। पहले कोई भी व्यापारी आईटीसी ले सकता था। लेकिन सरकार ने इसमें बदलाव कर दिया। बताया गया कि कैंपिंग की वजह से 20 परसेंट तक आईटीसी क्लेम की जा सकती है। फिर इसे दस और अंत में घटाकर पांच फीसदी कर दिया गया। हाल ही में सरकार ने निर्णय किया कि जितना पोर्टल पर नजर आएगा, उतनी ही आईटीसी दी जाएगी। इस बदलाव के बाद यह हाल हुआ कि कई व्यापारी आईटीसी के लिए तरस रहे हैं लेकिन फायदा नही हो रहा है।
पहले वाला रिटर्न फाइल करेगा तभी मिलेगी आईटीसी
नियमानुसार किसी भी व्यापारी को आईटीसी तभी मिलेगी जब पीछे वाला व्यापारी रिटर्न दाखिल करेगा। अगर उसने जीएसटी नही दिखाई तो दूसरे व्यापारी को आईटीसी नहीं मिलेगी। उदाहरण के तौर पर अगर किसी ने दस लाख का सामान खरीदा और इसमें 28 फीसदी जीएसटी देना है, तो उसने जिससे माल खरीदा है उसका रिटर्न पोर्टल पर दिखना जरूरी होगा। वरना दूसरे व्यापारी को 2.80 लाख रुपए पूरा टैक्स देना होगा। नए नियमों की वजह से यह वर्तमान की सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है।
छह साल में 1285 संशोधन
ठीक छह साल पहले एक जुलाई 2017 को देश में जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) लागू किया गया था। तब से आज के बीच काफी अंतर आ गया है। देखा जाए तो जीएसटी एक्ट पूरी तरह से बदल गया है। छह साल में अब तक 1285 संशोधन हो चुके हैं, यानी प्रत्येक दो दिन में नियमों एक बदलाव हो रहा है। इससे व्यापारी चकराएं हुए हैं। फिर चाहे मामला आईटीसी का हो या रिटर्न का। एक्सपट्र्स का कहना है कि जीएसटी की जो मूल अवधारणा थी वह नजर नही आ रही है। लगातार हो रहे बदलाव से व्यापारी का नुकसान होता जा रहा है।
90 हजार व्यापारी पंजीकृत
जीएसटी में पंजीकृत होने वाले व्यापारियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। वर्तमान में 90 हजार व्यापारी जीएसटी धारक हैं।
इनमें कुछ कंपोजिशन में है लेकिन बड़ी संख्या में व्यापारी रेगुलर में व्यापार कर रहे हैं।
उनको आईटीसी क्लेम करना जरूरी होता है। अगर आईटीसी नहीं मिली तो उनकी पूंजी फंस जाती है। इससे व्यापार को नुकसान होता है।
हालांकि वह अगले माह फिर से क्लेम कर सकते हैं लेकिन इस बीच के ब्याज का नुकसान उन्हें होता है।
महेंद्र गोयल प्रदेश अध्यक्ष कैट और मेंबर जीएसटी काउंसिल व्यापारियों को आईटीसी क्लेम करने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। हर माह कई व्यापारियों के लिए यह समस्या होती है। अब पहले की तरह नही है कि कोई भी क्लेम कर सकता है। इसलिए खरीदार को विक्रेता व्यापारी से कहना पडता है कि आप अपना रिटर्न दाखिल कर दीजिए, ्रवरना मेरी आईटीसी फंस जाएगी।
नितिन मेहरोत्रा, सीए