ये आपके बच्चों की जिंदगी का सवाल है
प्रयागराज ब्यूरो । ये आपके बच्चों की जिंदगी का सवाल है, संभागीय परिवहन प्राधिकरण मासूम बच्चों की सुरक्षा को लेकर अब सख्ती के मूड में है तो आप भी अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए उन्हीं वाहनों को तय करें जो मानक पर खरे उतरते हों। प्राधिकरण का कहना है कि स्कूली वाहनों को अगर चलाना है तो अब मानकों का पालन हर हाल में करना ही होगा। इसके लिए अब स्कूल प्रबंधन को भी जिम्मेदार माना जाएगा। वरना बिना मानक के चलने वाले स्कूली वाहनों को बंद कर दिया जाएगा। आरटीओ ने मानकों की व्यवस्था के लिए छह माह का समय निर्धारित किया है।
स्कूल से करना होगा कांट्रैक्ट
स्कूल अब बच्चों को लाने व ले जाने के लिए खुद अपने वाहन रखने लगे हैं। जिसमें छोटे से लेकर बड़े वाहन तक शामिल हैं। वहीं अभी भी बड़े पैमाने पर प्राइवेट वाहन स्वामी गार्जियन से कांटेक्ट करके बच्चों को स्कूल ले जाने लाने का काम करते हैं। मगर अब ये नहीं चलेगा। स्कूली बच्चों को वही वाहन ले जाए पांएगे जिनका स्कूल से कांट्रैक्ट होगा। और कांट्रैक्ट तभी पूरा माना जाएगा जब वाहन स्वामी आरटीओ के नियमों का पालन करेगा। इसके लिए स्कूल प्रबंधन को मानकों के बारे में नोटिस दी जा रही है। स्कूल प्रबंधन को बताया जा रहा है कि वे उन्हीं वाहन स्वामियों से कांट्रैक्ट करें जो मानकों का पालन करते हों।
आरटीओ की सख्ती के बावजूद अभी भी शहर में डीजल चालित स्कूली वाहन चल रहे हैं। मगर नई नीति के अनुसार अब शहरी क्षेत्र में केवल सीएनजी वाले ही स्कूली वाहन चलेंगे। स्कूली वाहन स्वामियों को मौजूदा सत्र में दिसंबर तक के लिए मौका दिया गया है। जनवरी से धरपकड़ अभियान शुरू होगा। इस दौरान परमिट होने के बाद भी डीजल चालित वाहनों पर कार्रवाई की जाएगी।
ये हैं स्कूली वैन के मानक
- वैन पीले रंग की होनी चाहिए।
- वैन पर आगे और पीछे स्कूल का नाम लिखा होना चाहिए।
- वैन में चारों ओर पीली पट्टी होनी चाहिए।
- वैन बंद बॉडी की होनी चाहिए।
- वैन में पारदर्शी फस्र्ट एड बॉक्स होना चाहिए।
- वैन में फायर इस्टिंग्यूसर होना चाहिए।
- वैन में सीएनजी किट पर सीट नहीं होनी चाहिए।
- हर सीट पर बेल्ट होनी चाहिए।
- प्रेशर हार्न और मल्टी टोन हार्न नहीं होना चाहिए।
- आपात स्थिति के लिए अलार्म घंटी और सायरन होना चाहिए।
- गति सीमा 40 से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- लोकेशन ट्रेकिंग डिवाइस होनी चाहिए।
- सीसीटीवी कैमरा लगा होना चाहिए।
-बस पीले रंग की होनी चाहिए।
- बस के आगे और पीछे स्कूली बस और स्कूल का नाम लिखा होना चाहिए।
- बस में एक आपात कालीन डोर होना चाहिए।
- आपात कालीन खिड़की होनी चाहिए।
- बस में दोनों साइड मिरर होने चाहिए।
- अगले डोर पर हेण्डरेल होना चाहिए।
- छत से जुड़ी होल्डिंग रॉड होनी चाहिए।
- प्रेशर हार्न और मल्टी टोन हार्न नहीं होना चाहिए।
- आपात स्थिति के लिए अलार्म या सायरन होना चाहिए।
- पारदर्शी फस्र्ट एड बॉक्स होना चाहिए।
- बस में फायर इस्टिंग्यूसर होना चाहिए।
-सीट के नीचे बैग रखने के लिए रैक होनी चाहिए।
- बच्चों के उतरते, चढ़ते समय रेड लाइट जलनी चाहिए।
- सभी सीटों पर बेल्ट होनी चाहिए।
- लोकेशन टै्रकिंग डिवाइस लगी होनी चाहिए।
- बस में सीसीटीवी लगी होनी चाहिए। 1500 बसों का है परमिट
280 स्कूल हैं नगर निगम सीमा क्षेत्र में
05 साल का होता है स्कूली वाहनों का परमिट
5800 रुपये है परमिट का चार्ज
260 स्कूली वाहनों पर हो चुकी है कार्रवाई
वाहन स्वामियों को स्कूलों से कांट्रैक्ट करना होगा कि वे एक ही स्कूल के बच्चों को ले जा रहे हैं। वाहनों के परमिट के लिए कांट्रैक्ट की जवाबदेही स्कूल प्रबंधन की भी रहेगी। स्कूली वाहनों को लेकर नई नीति के तहत अब नियमों का पालन नहीं करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। शहरी क्षेत्र में केवल सीएनजी वाले वाहन ही स्कूल में चल सकेंगे। दिसंबर तक नियमों पर मानकों के पालन के लिए ढील दी गई है। स्कूलों को नोटिस भेजी जा रही है।
जनवरी से सख्ती से अभियान चलाया जाएगा।
राजेश मौर्य, आरटीओ