लोगों को स्वस्थ रहना है तो साइकिल चलाने की आदत डालनी ही होगी. इससे दो फायदे हैं. पहला यह कि शरीर पूरी तरह से स्वस्थ रहेगा और दूसरा कि वातावरण को स्वच्छ रखने में सहायता मिलेगी.


प्रयागराज (ब्‍यूरो)। मैं खुद एक एजूकेशनिस्ट हूं। हमारे कई स्कूल चलते हैं। हमारे यहां पढऩे वाले बच्चों को मैं साइकिल चलाने की प्रेरणा देता हूं। अगर कोई छात्र अक्षम है तो उसे साइकिल खरीदकर उपलब्ध कराता हूं। मेरा मानना है कि विद्यार्थी जीवन में साइकिल से चलना चाहिए। इससे तन और मन दोनों स्वस्थ बना रहता है।

कक्षा चार में मिली थी साइकिल


हम लोग प्रतापगढ़ के रहने वाले हैं। जब मैं कक्षा चार में था तब पिताजी ने मुझे साइकिल भेंट की थी। वह एक व्यापारी हैं। माता हाउस वाइफ हैं। साइकिल मिलने के बाद मेरी खुशी का ठिकाना नही था। मोहल्ले में साइकिल लेकर इतराना मेरी आदत थी। बाकी दोस्त ललचाई हुई नजरों से मुझसे साइकिल मांगते थे। मैं भी उन्हे चलाने को दे देता था। कभी टूट फूट हुई तो खुद बनवाता था। यह सिलसिला लंबे समय तक चला। कॉलेज जाने के समय तक मैं साइकिल से चलता रहा। इसका काफी फायदा हुआ। इसकी वजह से मैं आज भी फिट और फाइन हूं।अच्छा इनीशिएटिव है, सबकी चाहिए भागीदारी

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट साइकिलिंग को प्रमोट करने के लिए हर साल बाइकाथन का आयोजन करता है। इसमें हजारों लोग भागीदारी करते हैं। यह लोग समूह में साइकिल चलाकर समाज को फन और फिटनेस का मैसेज देते हैं। ऐसे इनीशिएटिव हमेशा होते रहने चाहिए। इससे समाज को नई दशा और दिशा मिलती है। मैं भी इस आयोजन से जुड़ा हूं। अधिक से अधिक लोगों को इसमें पंजीकरण कराने के लिए प्रेरित करना है। मेरे परिवार में भी लोगों को मैं साइकिलिंग के लिए प्रेरित करता हूं। आज भी मेरे पास साइकिल है और मौका मिलते ही सड़क पर लेकर निकल जाता हूं। मेरी फिटनेस के पीछे यह भी एक बड़ा कारण है।

Posted By: Inextlive