अतीक अहमद को सजा सुनाई गई तो रिटायर्ड डीएसपी सुरेंद्र सिंह का जिक्र भी अपने आप आ गया. उन्हें राजू पाल की हत्याकांड में विवेचक बनाया गया था. उन्होंने अतीक पर दबाव बनाया तो उन पर सत्ता से दबाव बना दिया गया. यहां तक स्थानांतरण और कैरेक्टर रोल पर रेड मार्क भी उन्हें झेलना पड़ गया. इस चक्कर में उनका प्रमोशन भी प्रभावित हो गया था.


प्रयागराज ब्यूरो । उस समय सुरेन्द्र सिंह इंस्पेक्टर कर्नलगंज के पद पर तैनात थे। उन्होंने राजू पाल की विवेचना शुरू किया। उस समय की तत्कालीन सरकार और कुछ अधिकारी अतीक अहमद को बचाने में जुटे हुए थे। उन्होंने दबाव बनाया लेकिन सुरेंद्र सिंह डिगे नहीं। उन्होंने नैनी जेल में अतीक अहमद से पूछताछ किया अतीक अहमद के अकड़ दिखाने पर उन्होंने जेल में ही अतीक अहमद को टाइट कर दिया। इससे अतीक अहमद सकते में आ गया। वह सरकार पर विवेचक बदलने का दबाव बनाने लगा। अतीक अहमद के दबाव में सुरेंद्र सिंह को झांसी भेज दिया गया। लखनऊ से बड़े अफसरों के दखल पर उन्हें 21 दिन बाद जौनपुर कोतवाल बनाया गया। उस समय इलाहाबाद में तैनात एक बड़े अफसर ने अतीक अहमद की मदद नहीं करने पर नाराज होकर सुरेंद्र सिंह को दस बैड इंट्री दिया। लेकिन सुरेंद्र सिंह ने अतीक अहमद अशरफ को कोई राहत नहीं दी। फिर विवेचक बदल कर कुछ लोगो के नाम निकाले गए, हल्ला गुल्ला होने पर फिर सीबीसीआईडी जांच दी गई।सीबीआई ने भी माना सही थे
2007में बीएसपी की सरकार आई। मुख्यमंत्री मायावती के सीधे दखल पर सुरेंद्र सिंह को वापस इलाहाबाद खुल्दाबाद तैनात किया गया। विवेचना सीबीसीआईडी से वापस कोर्ट के निर्देश पर सुरेंद्र सिंह और नारायण सिंह परिहार को दिया गया। सीबीआई जांच शुरू कोर्ट के निर्देश पर तब भी सुरेंद्र सिंह के विवेचना को सीबीआई ने सही माना और अपनी विवेचना में इसका जिक्र भी किया। आपरेशन अतीक अहमद के दौरान 2008 से 2011तक अतीक अहमद के करोड़ो की अवैध संपति भी सुरेंद्र सिंह की अगुवाई में जब्त किया गया था।

Posted By: Inextlive