प्रयागराज आगमन पर शंकराचार्य का हुआ भव्य स्वागत


प्रयागराज (ब्यूरो)।भारत के दक्षिण व उत्तर भाग का आत्मीय जुड़ाव है। धार्मिक व पौराणिक ²ष्टि से दोनों का महत्व है। भारत को अखंड ङ्क्षहदू राष्ट्र बनाने की संकल्पना दक्षिण की बुद्धि और उत्तर की शक्ति के मेल से साकार होगी। इसे सबको समझकर उसी के अनुरूप काम करना होगा। उक्त विचार कांची कामकोटि पीठाधिपति जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी शंकर विजयेंद्र सरस्वती ने व्यक्त किए। सप्ताहभर के प्रवास पर बुधवार की रात प्रयागराज पहुंचे शंकराचार्य ने भक्तों से कहा कि जब दुनिया मचानों पर सोती थी तब हम महलों में रहते थे। इसके पीछे हमारी आध्यात्मिक शक्ति थी। इस शक्ति को खत्म करने के लिए सनातन धर्म को लेकर तमाम भ्रांतियां फैलाई गई। इन्हें दूर करके भारत को उसका गौरव दिलाने का प्रयत्न किया जा रहा है। चाक घाट से शुरू हुआ स्वागत
शंकराचार्य प्रवास के संयोजक राकेश कुमार शुक्ल के नेतृत्व में चाकघाट रीवा रोड पर भक्तों ने पुष्पवर्षा करके स्वागत किया। इसके बाद शंकराचार्य का नारीबारी बाजार में सत्यम शुक्ला ने स्वागत किया। नए यमुना पुल पर 101 वैदिक ब्राह्मणों के मंत्रोच्चार के बीच उनका स्वागत हुआ। शंकराचार्य बांध स्थित शंकरविमान मंडपम में प्रवास करेंगे। गुरुवार को आक्लैंड रोड अशोक नगर स्थित राकेश शुक्ल के निवास पर उनकी पादुका का पूजन होगा। साथ ही प्रयाग संवाद श्रृंखला का शुभारंभ होगा। इसमें शंकराचार्य सनातन धर्म एवं आध्यात्मिकता पर प्रकाश डालेंगे। शंकराचार्य का काशीमणि, रमणी शास्त्री, मनीष तिवारी, संजीव पांडेय, संजीव जायसवाल, अभिषेक तिवारी, लक्ष्मी शंकर तिवारी, मुन्ना पार्षद, बृजेश पाठक, श्यामदास, सोनू पाठक, सागर पांडेय, सर्वेश कपूरिहा आदि ने स्वागत किया।

Posted By: Inextlive