तेलों में मिलावट के चलते ट्रांस फैट की बढ़ी मात्रा शरीर को नुकसान पहुंचा रही है. ट्रांस फैट को अनसैच्युरेटेड फैटी एसिड कहते हैं और खाद्य तेल में इसकी अधिक मात्रा होने पर हार्ट लीवर और किडनी सहित शरीर के कई अंग सीधे प्रभावित होते हैं. इससे बढ़ते नुकसान पर रोक लगाने के लिए वर्तमान में शासन की ओर से अभियान भी चलाया जा रहा है.

प्रयागराज (ब्यूरो)। डॉक्टर्स का कहना है कि ट्रांस फैट एक धीमे जहर की तरह है।
यह लीवर, किडनी और हार्ट को प्रभावित करने के साथ डायबिटीज, मोटापा और कैंसर का भी कारण बनता है।
इससे हर साल देश में 60 हजार से अधिक लोगों की मौत हो जाती है।
खुद डब्ल्यूएचओ ने 2022 के अंत तक पूरी दुनिया को ट्रांस फैट से मुक्त रखने का लक्ष्य बनाया है।
ट्रांस फैट की वजह से शरीर में खून का प्रवाह भी प्रभावित होता है।
यह एक तरह की वसा है जो वनस्पति तेलों में हाइड्रोजन मिलाकर तैयार किया जाता है।
इस बीच अगर वनस्पति तेल में घटिया क्वालिटी के तेल की मिलावट कर दी जाए तो ट्रांस फैट का मानक बढ़ जाता है जो जीवन के लिए घातक है।
एक जनवरी 2022 को लागू किए गए नियम के तहत इंडस्ट्रियल ट्रांस फैट एसिड की मात्रा दो फीसदी से अधिक नही होगी।
इससे अधिक मात्रा होने पर संबंधित विक्रेता के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

खाद्य तेलों में ट्रांस फैट की अधिक मात्रा सेहत के लिए हानिकारक है। तेलों की जांच के लिए दौरान इस पर अधिक फोकस किया जा रहा है। सैंपल की जांच भी दूसरे प्रदेशों में कराई जा रही है।
ममता चौधरी
अभिहित अधिकारी, खाद्य सुरक्षा विभाग

मिलावटी खाद्य तेलों से लोगों को होशियार रहना होगा। यह सेहत के लिए ठीक नही है। इसकी वजह से गंभीर रोगियों की संख्या बढ़ रही है। खुले तेलों में मिलावट की अधिक संभावना होती है।
डॉ। राजीव सिंह
निदेशक, नारायण स्वरूप हॉस्पिटल

Posted By: Inextlive