- किस्म-किस्म के खजूर से सजे हैं शहर के बाजार

- रमजान के महीने में खजूर की है अलग अहमियत

प्रयागराज- रमजान के मुकद्दस महीने में खजूर का जिक्र न आए तो बात ही नहीं बनती। अब मुकद्दस महीना शुरू हो गया है, जो बाजार में किस्म- किस्म के खजूरों से भरे हैं। छोटे बड़े बाजारों के अलावा गली मुहल्लों की दुकानों में तरह-तरह की खजूर से सजी हुई हैं। बाजार में आने वाली खजूर में देशी के अतिरिक्त अरब, ईरान और ईराक के दर्जनों किस्म की खजूर शामिल है। इसमें झुमरा, मरियम, सलाम, बरारी, कीमिया व ईरानी प्रजातियां प्रमुख रूप से शामिल हैं।

मार्केट में खजूर की मौजूद हैं कई वैरायटी

रमजान के शुरूआत में ही इफ्तार के वक्त अरब की खजूर व इराक का जरदा से दस्तरख्वान महक रहा है। रमजान के मद्देनजर बाजार में विदेशी खजूर के साथ फलों ने भी दस्तक दे दी है। सहरी के लिए भी तरह-तरह की खानपान की चीजों से दुकानें सजी हैं। यानी दिनभर चुस्त-दुरुस्त रहने के लिए रोजेदारों के लिए बाजार में खाने-पीने का हर सामान मुहैया करा दिया गया है। रमजान के मद्देनजर विदेश की यह गिजा स्थानीय बाजार में भी मुनासिब दाम में बिक रही है। खजूरों की कीमत पर ध्यान दें तो यह 80 से 2000 रूपये किलो तक की है।

बरारी 450 रुपये किलो

झुमरा 260 रुपये किलो

मरियम 190 रुपये किलो

सलाम 210 रुपये किलो

कीमिया 240 रुपये किलो

ईरानी खजूर 80 रुपये किलो

अमेरिकन और चाइनीज सेब की भी मांग

इराक का जरदा भी दुकानों पर पहुंच चुका है। अमेरिकन सेब 170 रुपये तथा चाईनीज सेब 150 रुपये किलो के हिसाब से बिकने के लिए दुकानों पर सजे हैं। चौक, नूरउल्लारोड, नखासकोहना, स्टेशन, राजापुर आदि में रानी अन्नास भी 60 रुपये किलो बिक रहा है।

सहरी के पकवान हैं खास

यह तो इफ्तार की बात हुई, अब बात करते हैं सहरी की। ठीक इफ्तार की तरह अगर सहरी में पपड़ी ,सूतफेनी, बिस्कुट, हलवा, पराठा और डबलरोटी न हो तो बात नहीं बनती। मुकद्दस महीने के शुरू में पपड़ी 80 रुपये, सूतफेनी 75 तथा शाहीटुकड़ा 30 रूपये प्रति पीस बिक रही है। हां, डबलरोटी की कीमत अलग-अलग है।

रोजा में खजूर का महत्व

खजूर अरब देश का सबसे अफजल फल माना जाता है। खास बात यह है कि अल्लाह के आखिरी नबी पैगंबर-ए-इस्लाम हुजूर-ए-अकरम खजूर से ही रोजा इफ्तार किया करते थे। सुन्नत होने के नाते रोजा इफ्तार में खजूर से ही रोजा खोलते हैं। रोजेदार मगरिव की अजान की आवाज सुनते ही सबसे पहले खजूर को हाथ में उठाकर अल्लाह का नाम व शुक्र अदा कर रोजा इफ्तार करते हैं। रमजान के मुबारक महीने में दुकानों व ठेलों पर तरह-तरह की उम्दा व लजीज खजूरें सजी हुई दिखाई पड़ती हैं। हर मुस्लिम रोजा इफ्तार के लिए खजूर की जरूर खरीददारी करता है।

फायदेमंद है खजूर

अरब देश के फल खजूर को अल्लाह ने जो खासियत दी है वह और फलों में नहीं है। खजूर का सेवन करने से भूख कम लगती है। हमेशा खजूर खाते रहने से बीमारियां करीब नहीं आती हैं। चिकित्सक भी एकमत हैं कि खूजर में अधिकतर वह सारे तत्व होते हैं जो आदमी के भोजन के लिए आवश्यक होते हैं। जिन लोगों के परिवार के लोग सऊदी अरब में हैं उन्होंने रोजा खोलने के लिए मदीने की विशेष खजूर भी मंगाई है।

अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगे

रमजान का दूसरा अशरा शुक्रवार से शुरू हो गया है। इस अशरे में रोजेदार अल्लाह से मगफिरत (निजात) तलब करेंगे। उन्हें गुनाहों से माफी मिलेगी। आलिमे दीन मौलाना मुजीब उद्दीन कहते हैं इस अशरे में रोजेदारों को अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगनी चाहिए। रमजान में तीन अशरे होते हैं। एक अशरे में 10 दिन होते हैं। इस तरह रमजान के 30 दिनों को तीन अशरे में बांटा गया है। एक रमजान से 10 रमजान तक पहला अशरा रहमत का है। इस अशरे में अल्लाह पाक अपने बंदों पर रहमत नाजिल करता है। दूसरा अशरा मगफिरत का है। यानि गुनाहों से माफी का। ये अशरा 10 रमजान से शुरू होकर 20 रमजान तक है। रमजान के महीने में रहमत के दरवाजे खुल जाते हैं। इस अशरे में गुनाहगारों की तौबा कुबूल की जाती है। इसलिए इस अशरे में रोजेदारों को गुनाहों के लिए माफी तलब करनी चाहिए।

Posted By: Inextlive