नसीब का अच्छा था कि सुनील की जान बच गई. यदि वह घर पर शुक्रवार को दिन भर और रुक गया होता तो उसकी भी मौत सुनिश्चित थी. वह गुरुवार को ही अपने परिवार से मिलने थरवई के खेवराजपुर स्थित घर गया था. रात भर रहा सब कुछ ठीक था. शुक्रवार की सुबह वह खाना पीना खाने के बाद शहर के लिए निकल आया. उसे क्या था कि आज की रात उसके परिवार के लिए आखिरी होगी और यह मुलाकात आखिरी. शहर आया और प्रयाग स्टेशन स्थित पान की दुकान खोलकर बैठ गया. शाम को उसकी अपनी पत्नी व मां एवं बच्चों से बात भी हुई थी. सब कुछ घर में तब तक ठीक था. शनिवार की भोर उसके मोबाइल की बेल बजी तो रिसीव करते ही मनहूस खबर सुनकर उसकर वह सिहर उठा.


प्रयागराज ब्‍यूरो। पिता, पत्नी व बहन और बेटी संग मां की हत्या से सुबक रहे गमजदा सुनील आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। गम के मारे थरथराते होठ से मौत के घाट उतारी गई पत्नी और बहन से रेप की बात कहकर सुनील फफक कर रो पड़ा। कहना था कि काश ईश्वर मुझे भी एक दिन और रोक दिया होता तो शायद वह कातिलों से लड़कर परिवार बचा ही लेता। परिवार के पांच लोगों की हत्या से बावरा सरीखे सुनील कभी मां के लिए तो कभी बेटी, बहन और पिता व पत्नी को याद करके रोता रहा। मुसीबत के पहाड़ तले दबे सुनील की नजर जब कातिलों यमदूतों के चंगल से बची फूल सी बेटी के चेहरे पर पड़ती तो मानों कलेजा मुंह को आ जाता। कभी बेटी के पास जाकर कहता कि बेटा मम्मी, दादी, बाबा बुआ व दीदी अब कोई रहीं बचा। कैसे जिएंगे हम तुम। तो कभी सलोरी निवासी मामा राजेश के सीने से लग कर रोने लगता। उसकी हालत देखकर वहां मौजूद सैकड़ों आंखें नम नजर आईं। सुनील के सलोरी निवासी राजेश यादव उसे सीने से लगाकर शांत कराते रहे। राजेश ने कहा कि सुनील बचपन से ही उनके साथ रहता था। पूरा परिवार काफी सीधा और उनकी किसी से कोई रंजिश नहीं थी।

मेरे जीजा निहायत सीधे थे। भांजा सुनील उनसे भी ज्यादा सीधा है। सुनील ननिहाल में मेरे घर रहकर प्रयाग स्टेशन पर पान की दुकान चलाता है। वहीं पर मेरी भी दुकान है। पांचों की हत्या के पीछे का कारण कोई रंजिश नहीं, रेप टू मर्डर का है। राजेश यादव, मारे गए राज कुमार के साले

Posted By: Inextlive