ओपीडी में आने वाले मरीजों को एक मिनट भी नहीं देखने में दे पा रहे डॉक्टर्स डॉक्टरों के खाली पद और बढ़ती मरीजों की संख्या के चलते बन नही है स्थितिसभी अस्पतालों में 75 फीसदी डॉक्टरों के भरोसे चल रही ओपीडी

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। डॉक्टर उन्हे ओपीडी में भरपूर समय नही दे पा रहे हैं। एग्जाम्पल के तौर पर मैगी के दो मिनट में तैयार होने का दावा किया जाता है, लेकिन एक मरीज को डेढ़ मिनट का समय देना भी मुश्किल हो जाता है। कई बार मरीज अपने लक्षण भी ठीक से नही बता पाते और डॉक्टर का दवाई का पर्चा तैयार हो जाता है। ऐसे में कई किमी दूर से आए मरीज पर क्या बीतती है यह किसी से छिपा नही है।

फिजीशियन और आर्थो में मारामारी
अस्पतालों में सबसे ज्यादा भीड़ आर्थो और फिजीशियन की ओपीडी में होती है। इसके अलावा पीडियाट्रिक, सर्जरी और ईएनटी की ओपीडी में भी मरीज काफी संख्या में आते हैं। केवल बेली और काल्विन अस्पताल की बात की जाए तो यहां पर फिजीशियन और आर्थो की ओपीडी में औसतन डेढ़ सौ मरीज रोजाना आते हैं।

एक एक मिनट होता है कीमती
जबकि डॉक्टर नौ बजे के बाद ओपीडी पहुंचते थे। इसके पहले एक घंटे वह वार्ड में राउंड करते हैं। दो बजे तक के पहले उनके पास पांच घंटे होते हैं और इस समयांतराल में एक मरीज को बमुश्किल एक से डेढ़ मिनट ही दे पाते हैं। लगभग यही हालात डफरिन, चिल्ड्रेन और एसआरएन अस्पताल में भी देखने को मिलता है।

एक बजे के बाद नहीं लेते पर्चा
मरीज अधिक होने की वजह से तमाम अस्पतालों में एक बजे के बाद मरीजों का पर्चा लेेने में आनाकानी भी होती है। इससे लड़ाई झगड़े की स्थिति उत्पन्न होने लगती है। बता दें कि एसआरएन, बेली और काल्विन अस्पताल में रोजाना दो से तीन हजार नए-पुराने मरीज दस्तक देते हैं। यही कारण है एक बजे के बाद पर्चा जमा करने पर डॉक्टर और स्टाफ भी तनाव में आने लगते हैं।

खाली हैं एक चौथाई पद
नियमानुसार एक ओपीडी में डॉक्टर अधिकतम चालीस मरीज ही देख सकता है। लेकिन ऐसा नही है। वर्तमान में सरकारी अस्पतालों में एक-एक ओपीडी में तीन से चार गुना मरीज पहुंच रहे हैं। जबकि डॉक्टरों के एक चौथाई पद खाली पड़े हैं। अगर इन पर तैनाती हो जाए तो ओपीडी का भार काफी कम हो सकता है। खासकर हार्ट, किडनी, न्यूरो और लीवर स्पेशलिस्ट के पद खाली पड़े हैं। इनके नही होने से मरीजों की भीड़ मेडिकल कॉलेज में बढ़ जाती है। क्योंकि वहां पर भी तमाम पद खाली पड़े हैं।

कहां डॉक्टरों के कितने पर हैं खाली
अस्पताल खाली पद
काल्विन अस्पताल 19
बेली अस्पताल 11
डफरिन अस्पताल 27
चिल्ड्रेन अस्पताल 2
एसआरएन अस्पताल 22

वापस लौटाए जा रहे हैं मरीज
फिलहाल बेली अस्पताल में बेड खाली नही होने से मरीजों को आजकल वापस भी लौटना पड़ रहा है। डॉक्टर्स का कहना है कि मरीजों की संख्या अधिक होने से नए मरीजों को भर्ती करना मुश्किल हो रहा है। बता दें कि बेली अस्पताल कुल 200 बेड का है और इस सीजन में यह हाउसफुल चल रहा है। लंबे समय से अस्पताल में बेड बढ़ाए जाने की मांग चल रही है।

मरीजों की संख्या ओपीडी में काफी अधिक हो गई है। राउंड करने के बाद पांच घंटे में 130 से 140 मरीज देखने पड़ते हैं। किसी मरीज को अधिक समय दे दिया तो दूसरे के साथ दिक्कत हो जाती है। रोजाना मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
डॉ। एआर पाल बेली अस्पताल

जितने मरीज हैं उसकी अपेक्षा डॉक्टरों की संख्या काफी सीमित है। ऐसे में मरीजों को ठीक से देखना मुश्किल हो जाता है। फिर भी कोशिश रहती है कि मरीज को अधिक से अधिक समय दिया जाए। कभी कभी ओपीडी की दो की जगह ढाई बजे बंद होती है।
डॉ। मो। मंसूर बेली अस्पताल

Posted By: Inextlive