बच्चों में भी बढ़ रहे हैं हार्ट अटैक के मामले फास्ट फूड का चलन और फिजिकल एक्टिविटी नहीं होना बड़ा कारण

प्रयागराज ब्यूरो । पिछले कुछ दिनों में देशभर में ऐसी कई घटनाएं हुई जिनमें कम उम्र बच्चों की हार्ट अटैक से मौत हो गई। नाचते समय, तैराकी के दौरान या खेलते समय हुई ऐसी घटनाओं ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया। इसलिए बच्चों का कल सुरक्षित रहे इसके लिए उनका आज संवारना होगा। डॉक्टर्स का कहना है कि बच्चों में भी हार्ट डिजीज के लक्षण देखे जा रहे हैं। इसका कारण उनका अनियमित खानपान और फिजिकल एक्टिविटी का खत्म हो जाना है।
हर साल बढ़ रहे दो फीसदी मामले
आंकड़े बताते हैं कि पिछले दस साल में हर साल दो फीसदी हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं। पहले हार्ट डिजीज को बढ़ती उम्र से जोड़ा जाता था लेकिन अब यह बच्चों में भी देखा जा रहा है। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के के आंकड़े इसकी पुष्टि भी करते हैं। हार्ट के कुछ मामले जन्मजात होते है और उनमें इलाज की जरूरत नही होती तो कुछ मामलों में आपरेशन की आवश्यकता होती है। कॉग्नेटिव हार्ट डिजीज (सीएचडी) के कारण कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं। जैसे वाल्व संबंधी विकार, हाइपोप्लास्टिक लेफ्ट हार्ट सिंड्रोम या दिल में छेद से जुड़े विकार।
गर्भावस्था के दौरान हो सकती है समस्या
गर्भावस्था के पहले छह हफ्तों के दौरान, बच्चे का दिल और मुख्य रक्त वाहिकाएं बनती हैं और दिल की धड़कन आ जाती है। जीन में बदलाव या दवाओं के इफेक्ट से भी बच्चें में हहृदय संबंधी विकास हो सकते हैं। इसके अलाव गर्भावस्था के दौरान रूबेला संक्रमण, गर्भावस्था से पहले और उसके दौरान ब्लड शुगर कंट्रोल न रहना और गर्भावस्था के दौरान शराब पीने या धूम्रपान करने से भी बच्चे का हार्ट प्रभावित होता है।
इन लक्षणों पर रखिए ध्यान
- अन्य बच्चों के साथ शारीरिक रूप से तालमेल नहीं बिठा पाना।
- खेलने या अन्य शारीरिक गतिविधि के कारण जल्दी सांस फूलने लगना।
- शारीरिक गतिविधि के कारण जल्दी पसीना आना।
- हार्ट बीट में अनियमितता, अक्सर बेहोशी होना।
बचाना है जीवन को इसकी डालें आदत
- बच्चों का मोबाइल, टेबलेट, लैपटाप या टीवी देखने का समय निर्धारित करना चाहिए। जरूरत से गैजेट्स का यूज उसकी बॉडी को लॉक कर सकता है।
- बच्चों को पिज्जा, बर्गर और चिप्स जैसे जंक फूड से दूर रखना चाहिए। इनमें आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होती है। बच्चों को हेल्दी खाने के बारे में बताएं।
- बच्चों को फाइबर से भरपूर, लो फैट वाली बैलेंस डाइट और प्लांट बेस्ड डाइट के बारे में बताएं। उनको फल, सब्जियां, साबुत अनाज और लो फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट दें।
- कोशिश करें कि बच्चे हर दिन कम से कम 30 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी करे। आउटडोर गेम्स की आदत भी डालें।
- बच्चों को दस और किशोरों को 8 घंटे की नींद लेने दें।
- बच्चों को तनाव से बचाना जरूरी है। खेलने और पढऩे का समय निर्धारित करें।


आजकल युवा और बुजुर्ग ही नहीं
बल्कि बच्चों में भी हार्ट संबंधी समस्याएं देखने में आ रही है। इनमें कुछ समस्याए जन्मजात हैं तो कुछ अनियमित लाइफ स्टाइल और खानपान की वजह से होती हैं। इसलिए पैरेंट््स को चाहिए कि अपने बच्चों को दिल की बीमारियों से दूर रखने वाली आदतों के बारे में बताएं।
डॉ। मो शाहिद, कार्डियोलाजिस्ट

लोगों को चाहिए कि अपने बच्चों को मोबाइल से दूर रखें और आउट डोर गेम खेलने के लिए प्रेरित करें। मैं भी ऐसा ही करता हूं और साथियों को भी यही सीख देता हूं। बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास तभी होगा जब वह पूरी तरह से स्वस्थ रहेंगे।
हेमंत शुक्ला, पैरेंट

अक्सर देखने में आता है कि पैरेंट बच्चों को व्यस्त रखने के लिए मोबाइल पकड़ा देते हैं। यह बिल्कुल भी सही नही है। जितना हो सके बच्चों को आउटडोर गेम्स खेलने दें। जंक फूड बिल्कुल मत दें। क्योंकि आसानी से उपलब्ध जंकफूड दिल की बीमारियों को जल्दी दावत देता है।
बालकृष्ण त्रिपाठी, पैरेंट

Posted By: Inextlive