टीजीटी पीजीटी और बीएड कोर्सेज में दाखिल की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाना बड़ा चैलेंज नब गया है. प्राब्लम यह है कि इस डाक्यूमेंट के बिना वे काउंसिलिंग में एपीयर नहीं हो पाएंगे और इसे बनवाने के लिए उन्हें पूरा दिन इंवेस्ट करना पड़ रहा है. आने वाले दिनों में यह प्रेशर और बढऩा तय है क्योंकि एडमिशन की प्रक्रिया फुल स्ट्रीम में शुरू हो चुकी होगी. बुधवार को सीएमओ ऑफिस में यह सीन लाइव था. दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट ने इस प्राब्लम को नजदीक से समझने की कोशिश की.

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। तमाम कोर्सेज में एडमिशन, काउंसिलिंग, आवेदन, नौकरी में इंटरव्यृ आदि के लिए आजकल मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट की मांग की जाती है.मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने का पावर सिर्फ सीएमओ को होता हैसीएमओ मेडिकल पैनल गठित करते हैं जो जांच के बाद सर्टिफिकेट इश्यू करता हैयही कारण है कि इस सीजन में रोजाना कार्यालय में भारी भीड़ हो रही हैएक दिन में 150 सर्टिफिकेट बनाए जा रहे हैं.इससे कार्यालय पर लोड बढ़ गया है और अभ्यर्थियों को सुबह से शाम तक इंतजार करना पड़ रहा है।

आसान नही है जांच कराना

मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने में दो तरह की जांच की जाती है।

एक आंखों की और दूसरी जांच ब्लड की होती है। जिसके लिए अभ्यर्थियों को बेली अस्पताल भेजा जा रहा है।

पहले से मरीजों का लोड झेल रहे बेली अस्प्ताल को सर्टिफिकेट बनवाने वाले अभ्यर्थियों की ब्लड जांच करने में दिक्कतें पेश आ रही हैं।

बुधवार को कई अभ्यर्थियों को बिना जांच किए ही वापस भेज दिया गया।

आंखों की जांच पर दिया सर्टिफिकेट

बेली से वापस किए जाने के बाद सीएमओ कार्यालय में बड़ी संख्या में अभ्यर्थी एकत्र होने लगे। उनका कहना था कि ब्लड जांच नही होने पर उनका सर्टिफिकेट नही बनेगा। चूंकि महज एक से दो दिन का टाइम है उनके पास लिहाजा उनकी समस्या का हल निकाला जाए। अभ्यर्थियों की समस्या सूनने के बाद सीएमओ कार्यालय ने केवल आंखों की जांच कर मजबूरी में सर्टिफिकेट जारी किया।

नहीं निकल पा रहा है स्थायी समाधान

यह काफी पुरानी समस्या है। इस सीजन में अक्सर मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने वालों की भीड़ बढऩे पर बेली अस्पताल के आम मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यहां के प्रबंधन का कहना है कि हमारे पास रोजाना 2 हजार नए मरीज आ रहे हैं। डेंगू की जांच के लिए बड़ी संख्या में सैंपल आते हैं। खून अन्य जांच भी की जाती है। ऐसे में मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने वालों की भीड़ बढ़ जाने से रोजाना 400 के आसपास ब्लड जांच हो रही है। न तो मशीन की इतनी कैपेसिटी है और न ही स्टाफ है। प्रबंधन का कहना है कि खून की जांच करने में टाइम लगता है। सैंपल को मशीन में लगाकर रिपोर्ट का इंतजार भी करना पड़ता है। इसलिए एक निश्चित समय अंतराल के बाद किसी का ब्लड सैंपल नही लिया जाता है। इस समस्या का प्रशासन को परमानेंट हाल खोजना चाहिए।

हमारी ओर से रोजाना सौ से अधिक मेडिकल सर्टिफिकेट बनाए जा रहे हैं। अभ्यर्थियों को जांच के लिए बेली भेजा जाता है। उनको वहां से वापस करने की बात की जानकारी मुझे नही है। इसको पता करना होगा।

डॉ। नानक सरन, सीएमओ

इस समय अस्पताल पर ब्लड जांच का अधिक लोड पड़ रहा है। हमने तय किया है कि निश्चित समय के बाद किसी का सैंपल नही ििलया जाएगा। क्यों कि हमे खून की जांच के लिए सैंपल लगाने के लिए भी समय चाहिए होता है।

डॉ। किरण मलिक, सीएमएस बेली अस्पताल

Posted By: Inextlive