बुखार है तो स्क्रब टाइफस और लेप्टो स्पाइरोसिस की भी कराइए जांच
प्रयागराज ब्यूरो । शहर में चारों ओर डेंगू का शोर मचा हुआ है। बुखार आने पर डॉक्टर्स मरीजों का डेंगू का इलाज कर रहे हैं। लेकिन असलियत इससे काफी दूर है। हाल ही में फाफामऊ के रंगपुरा गांव में बुखार से दर्जनों मरीज पीडि़त हो गए थे। बताया गया कि यहां पर डेंगू का प्रकोप बढ़ रहा है। जब स्वास्थ्य विभाग द्वारा सैंपल की जांच की गई तो दो डेंगू के मामले सामने आए और 4 मामले लेप्टो स्पाइरोसिस के थे। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि महज बुखार आना ही डेंगू नही है, अन्य बीमारियों में भी मरीज को तेज बुखार की शिकायत हो सकती है। चूहे फैला रहे संक्रामक बीमारियां
डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया मच्छर के काटने से होते हैं तो स्क्रब टाइफस और लेप्टो स्पाइरोसिस चूहे की वजह से होते हैं। स्क्रब टाइफस में चूहे के शरीर में पाए जाने वाले पिस्सू से संक्रमण फैलता है तो लेप्टो स्पाइरोसिस चूहे के मल की वजह से संक्रमित होता है। वर्तमान में स्क्रब टाइफस के कुल 18 मामले सामने आ चुके हैं जबकि लेप्टो स्पाइरोसिस के 4 मामले पहचाने गए हैं। इन दोनों बीमारियों में मरीजों को तेज बुखार के साथ बदन दर्द होता है, जो एकदम डेंगू से मिलते जुलते लक्षण हैं।
चिकन गुनिया के एक भी मरीज नहीडेंगू की तरह चिकन गुनिया भी एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। लेकिन इस साल अभी तक इस बीमारी का एक भी केस सामने नही आया है। चिकन गुनिया में मरीज को तेज बुखार होता है और बदन दर्द से वह लंबे समय तक परेशान रहता है। पिछले साल चिकन गुनिया के प्रयागराज में 200 से अधिक मरीज सामने आए थे। हालांकि इस साल एक भी मरीज नही मिला है।मेडिकल कॉलेज में हो रही एलाइजा जांचइस समय मेडिकल कॉलेज के माइक्रो बायलाजी लैब में डेंगू के अलावा स्क्रब टाइफस, चिकन गुनिया और लेप्टो स्पाइरोसिस की जाचं भी शुरू हो गई है। यह सभी एलाइजा जांच हैं और यह सरकार से मान्यता प्राप्त हैं। इससे मरीजों को काफी फायदा है। अगर उन्हें लगातार फीवर आ रहा है तो वह चारों जांच करा सकत हैं। ताकि उनका इलाज सही रास्ते पर कराया जा सके। डेंगू के दस नए मामलों ने दी दस्तक
इस बीच गुरुवार को डेंगू के दस नए मामले सामने आए हैं। इस तरह से जिले में कुल मरीजों की संख्या 145 हो गई और इसमें से 110 मरीज शहरी एरिया के बताए जा रहे हैं। सात मरीज अस्पताल में भर्ती कराए गए हैं। 13 मरीजों का घर पर इलाज किया जा रहा है। जो मरीज मिले हैं उनमें पांच मेल और पांच फीमेल हैं। इनमें से दो मरीज नैनी और करछना, मेजा, अल्लापुर, मोती महल, दारागंज, राजापुर, मुंडेरा और शांतिपुरम के एक एक मामले हैं। यह चार बीमारियां ऐसी हैं जिनके लक्षण लगभग एक जैसे हैं। आमतौर पर मरीज डेंगू का ही इलाज कराते हैं और आराम नही मिलने पर घबरा जाते हैं। अगर सही दिशा में जांच हो जाए तो मर्ज पकड़ में आ जाता है। इसके बाद इलाज कराना अधिक आसान होता है। डॉ। डीके मिश्रा, फिजीशियन