बचाने के चक्कर में बीमार पड़े तो हजारों देने पड़ जाएंगे, एसी बस से ही जाएंगे
प्रयागराज (ब्यूरो)। प्रयागराज से बड़ी संख्या में पैसेंजर्स लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, मिर्जापुर, सोनभद्र जिलों के लिए सफर करते हैं। मध्य प्रदेश और दिल्ली को कनेक्ट करने के लिए भी बसें चलती हैं। स्थिति यह है कि रोडवेज पर पैसेंजर्स बसों के इंतजार में खड़े रहते हैं। यात्रियों के बीच बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए अब विभाग एसी बसों के फेरे बढ़ाने पर जोर देने लगा है। परिवहन निगम से मिले डाटा के अनुसार हर रोज एसी बसों में सफर करने वाले पैसेंजर्स विभाग को करीब छह लाख रुपये पे कर रहे हैं। यही बसें नार्मल डेज में साढ़े तीन लाख रुपये का कलेक्शन भी नहीं कर पाती थीं। सभी रूटों पर बसें फुल पैक होकर चल रही हैं।
प्रयागराज मंडल में कुल एसी और नॉन एसी मिलाकर 602 बसें है।
इसमें से 44 बसें एसी हैं।
558 बसें नॉन एसी है।
23 बसें फॉल्ट के चलते वर्कशॉप में खड़ी है।
बढ़ गयी है बसों की डिमांड
रोडवेज के असफरों की मानें तो गर्मी के सीजन से पहले पर डे एक-दो एसी बसों को छोड़कर अन्य बसों से कलेक्शन आठ हजार भी बमुश्किल ही पहुंचता था। अब आलम है कि पर डे हर बस 13 हजार से अधिक की कमाई कर रही है। विभाग के एकाउंट में 44 एसी बसों से ही 594000 रुपये तक जमा कराये जा रहे हैं। गर्मी से पहले इन्हीं बसों से 354000 रुपये तक ही जमा हो पाता था।
मनीष यादव
पैसेंजर प्रयागराज से वाराणसी रूट पर एसी बस का किराया 265 और नॉन एसी का 163 रुपये है। 102 रुपये का अंतर है। नॉन एसी ज्यादातर बसों का खिड़की ही बंद नहीं होती। गर्म हवा खाते हुये जाओ। गलती से आदमी बीमार पड़ गया तो दवा में उससे ज्यादा चला जाएगा।
शांतनु तिवारी
पैसेंजर
एसी का किराया 440 और नॉन एसी का 331 रुपये है। मात्र 109 रुपये का अंतर है। दो-तीन सौ का अंतर हो तो आदमी इस भीषण गर्मी में नॉन एसी बस में सफर करें। रेट में कोई खासा अंदर नहीं है। सफर भी लंबा है। पांच घंटे से अधिक का समय लगता है। साथ में लेडीज होने पर और ज्यादा दिक्कत होती है।
गौतम बनर्जी, पैसेंजर
टीके एस बिसेन
आरएम प्रयागराज