03नंबर जोन में होली व हालात की स्थिति80सफाई वार्ड हैं शहर के जोन नंबर तीन में170के करीब स्थानों पर लगाई जाती है होली900करीब सफाईकर्मियों की कुल है तैनाती49वार्डों में होता है घर-घर कूड़ा कलेक्शन02पुरानी कंपनिया करती है कूड़ा कलेक्शन500मीट्रिक टन रोजाना यहां निकलता है कूड़ा शहर के जोन थ्री में कई जगह रखी गई होलिका में कूड़ा और कचरा डाल दिए हैं कुछ लोगहोलिका में जले यदि कूड़ा करकट तो पर्यावरण और सेहत को हो सकता है बड़ा नुकसान

प्रयागराज (ब्यूरो)।वक्त के साथ लोग और सोच दोनों चेंज होती चली गई। भाई चारे और प्रेम भाव के रस से भरी होली के मायने भी बदल गए। अब न तो होली लगाने वाले वाली वह टोली रही और न ही सोच। आपसी सौहार्द की सीख देने वाली रंग बिरंगी होली फर्जअदायगी में सिमट कर रह गई है। शहर के कई हिस्सों में लगाई गई होली में डाला गया कूड़ाकरकट, इन बातों के पुख्ता सुबूत हैं। लगाई गई होली में कूड़ा करकट डाले गए हैं तो जाहिर सी बात है कि वह पर्व के दिन जलाए भी जाएंगे। होलिका जलाने से पहले विधि विधान से उसकी पूजा का
प्रावधान है। ऐसे में चिंतनीय विषय यह है कि जब होली में कूड़ा करकट जलाएंगे तो उसकी पूजा कैसे करेंगे? पूजा के लिए स्वच्छ व पवित्र स्थान चाहिए होता है। मगर, यहां तो कई जगह कचरे के ढेर और नाले के आसपास होली लगाई गई है। सवाल यह है कि क्या होलिका की पूजा गंदगी और कचरे के ढेर पर बैठकर की जाएगी। फिर होली में जलाए गए कचरे से होने वाले पाल्यूशन का जिम्मेदार कौन होगा?

फर्जअदायगी में सिमटती होली
शहर के नगर निगम जोन तीन में कुल वार्डों की संख्या 80 है। इन वार्डों में 170 के करीब होलिका जलाई जाती है। जगह-जगह इन वार्डों में लगाई गई होलिका में कई जगह कूड़ा करकट डाले गए हैं। यह कंडीशन सलोरी शुक्ला मार्केट से लेकर गोविंदपुर चौराहे पर लगाई गई होलिका की देखी जा सकती है। गोविंदपुर चौराहे पर लगाई गई होलिका में सिर्फ कूड़ा ही नहीं फटी पुरानी प्लास्टिक की बोरियां भी डाल दी गई हैं। शुक्ला मार्केट रोड पर नाले के पास गंदगी के ढेर पर होलिका लगाई है। इसी रोड पर कुछ आगे लगाई गई होलिका में टूटी हुई झाड़ू व कुछ कपड़े भी दिखाई दिए। कई स्थानों पर पालीथिन में कचरा भर कर लोग होलिका में फेंक आए हैं। रखी गई होलिका में के साथ जाहिर सी बात है कि उसमें फेके गए कचरे भी जलेंगे। होलिका में जलने वाले कचरे से पाल्यूशन का खतरा तो बढ़ेगा ही बीमारियां भी जन्म ले सकती हैं। जिसका सीधा असर लोगों की सेहत पर पड़ेगा। यह हालात ऐसी स्थिति है जब इस जोन के वार्डों में करीब 900 सफाई कर्मचारी तैनात किए गए हैं। फिर भी होलिका में डाले गए कूड़े की तरफ न तो सफाई कर्मचारी ध्यान दे रहे और न ही उनके जिम्मेदार। विभाग आंख पर पट्टी बांधे हुए शांत बैठा है, लिहाजा होली लगाने व उसमें कूड़ा फेकने वाले मन की बहुरी चबा रहे हैं। ऐसे लोगों को सिर्फ होली जलाने की फर्जदायगी करनी है, फिर उसमें कूड़ा जले या करकट उनकी बला से।

ऐसे होली से शुद्ध हो जाती थी फिजां
जानकार कहते हैं कि लगाई गई होलिका में कचरा डालने पर सख्त मनाही है। पुरोहितों की मानें तो होलिका लकड़ी और कंडे व फूल आदि डालने के प्रावधान हैं।
पूजा वाले दिन मोहल्ले के लोगों द्वारा उसमें हवन सामग्री और अनाज के साथ हल्दी, मूंग, बताशे, गूगल, रंग, सात प्रकार के अनाज, गेहूं की बालियां, गन्ना आदि डालने का रिवाज है।
कहते हैं कि होलिका के साथ इन सामग्रियों के जलने से होने वाला धुआं हवा में मिक्स हो जाता है।
इससे वायु में शुद्धता आती है। जिसका सेहत पर सकारात्मक असर पड़ता था। आज से दस पांच साल पूर्व इसी रिवाज के साथ होली लगाई और जलाई जाती रही है।
कहते हैं कि इन बातों के प्रमाण शास्त्रों में भी मिलते हैं। हिन्दू समाज में होलिका को होलिका मां कहा जाता है।
मान्यता है कि पुरोहितों द्वारा मंत्रोच्चार के साथ पूजा और होलिका की पांच या सात परिक्रमा करने वालों को विशेष लाभ अर्जित होते हैं।

पब्लिक कोट
अब वह लोग ही नहीं रहे जो होलिका की पवित्रता व महत्ता को समझ सकें। दु:ख इस बात का है कि हमारे पर्व भी फर्ज अदायगी में सिमटते जा रहे हैं। आज की पीढ़ी को इनकी परंपराएं और उसके सरोकार मालूम ही नहीं है। वह टोली व लोग भी नहीं रहे जो प्रेम भाव से होली लगाए। वक्त के साथ लोग और सोच दोनों बदलती जा रही है। इस तरफ समाज खासकर युवाओं को सोचना होगा। मोहल्ले में सफाईकर्मी आते तो हैं, मगर होली का कचरा उन्हें कहां दिखाई देगा।
संतोष गुप्ता, सलोरी

हमारी दादी और बाबा हम लोगों को होली लगाने की छूट दिया करते थे। हमें याद है घर में हफ्ते भर पहले से होली की तैयारियां हुआ करती थी। पूरा गांव और मोहल्ला मिलकर होली मनाता था। युवा और बुजुर्गों एवं महिलाओं की अलग-अलग टोलियां होती थीं। जब वही सारी रीतियां धीरे-धीरे खत्म होती जा रही हैं। होली में कचरा डालने वालों को मना करो तो विवाद कौन झेलेगा।
संजय गुप्ता, सलोरी

होली में कचरा बिल्कुल नहीं डालना चाहिए। होलिका की हमारा समाज पूजा अर्चन किया करता है। सफाई कर्मचारी तो रोज आते हैं। हमारे यहां घर-घर कचरा वाली गाड़ी भी आती है। फिर भी लोग कूड़ा-करकट होली में डाल दे रहे हैं। जब ऐसा करने वालों को ही नहीं समझ में आ रहा तो उन्हें मना कौन करेगा? आज कल तो सही बात भी लोगों को खराब लगने लगती है। कूड़ा सफाई कर्मी होली में थोड़ी डालते हैं जो उनकी जिम्मेदारी है।
विमलेश यादव, गोविंदपुर

हमारे बचपन में होली पर प्रेम का रंग काफी गाढ़ा होता था। उस दौर में पूरा गांव एक साथ प्रेम भाव से होली मनाया करता था। तमाम रंजिश होली पर खत्म हो जाया करती थीं। युवाओं, बुजुर्गों व महिलाओं की टोलियां घर-घर जाया करती थीं। दरवाजे पर लोग गोबर कीचड़ तक फेंकते थ और कोई बुरा नहीं मानता था। होलिका पवित्र स्थान पर लगाई जाती थी। अब वह सब कहां देखने को मिलेगा।
मोती लाल, गोविंदपुर चौराहा


हमारे एरिया में लगाई गई होलिका में कूड़ा करकट नहीं मिलेगा। कोई डालता भी है तो उसे देखने वाले लोग टोक देते हैं। त्योहार का दिन होता है किसी को कुछ कहा भी नहीं जा सकता। रही बात होली में कचरा डालने की तो ऐसा करना गलत है। हम अपने ही त्योहार के साथ ऐसी हरकत नहीं करें, यह बात हमें ही सोचना होगा।
हिमांशु खन्ना, रसूलाबाद

होलिका में कूड़ा तो डालना ही नहीं चाहिए। यदि कोई उसमें कंडे और लकड़ी नहीं डाल सकते तो कूड़ा क्यों डालेगा। यह बात तो सामाजिक चेतना वाली है। इसे लोगों को खुद सोचना चाहिए। पर्व हमारे हैं इसी पवित्रता व रीतियों और विधियों को संजोए रखना भी हमारी जिम्मेदारी है। हमारे मोहल्ले में सफाई की व्यवस्था ठीक है।
विनोद कुशवाहा, मेहदौरी रसूलाबाद


हमारे एरिया में सफाई की कोई दिक्कत नहीं है। करीब 80 वार्ड हैं इनमें से 49 वार्ड ऐसे हैं जहां डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन का काम हो रहा। शेष वार्डों में सफाई कर्मी बराबर जाते हैं और कूड़ा कलेक्ट भी करते हैं। होलिका में कोई कूड़ा फेका है और दिखाई देगा तो उसे हटाने के निर्देश सफाई कर्मियों को दिए जाएंगे।
रविंद्र कुमार, जोन अधिकारी जोन-थ्री

Posted By: Inextlive