मंडी शुल्क के विरोध में हड़ताल पर रहे व्यापारीबोले मंडी शुल्क की आड़ में होता है भ्रष्टाचार नही सहेंगे व्यापारीआखिर व्यापारी क्यों मंडी शुल्क के विरोध में आ गए हैं. क्यों वह इसकी मुखालफत कर रहे हैं? जबकि कई सालों से वह इसका भुगतान करते आ रहे थे. दरअसल व्यापारियों का कहना है कि वह जीएसटी अदा कर रहे हैं तो वह मंडी शुल्क क्यों दें? इसकी आड़ में जमकर भ्रष्टाचार किया जाता है. व्यापारियों से अवैध वसूली की जाती है. अपनी मांगों को लेकर व्यापारियों ने शुक्रवार को अपने प्रतिष्ठान बंद रखकर विरोध दर्ज कराया.

प्रयागराज (ब्यूरो)। व्यापारियों का कहना है कि जून 2020 से मंडी शुल्क को बंद कर दिया गया था। इस दौरान व्यापारी सुकून में थे, क्योंकि प्रत्येक वस्तु पर अलग अलग जीएसटी उनसे वसूला जा रहा था। पिछले साल एक दिसंबर से फिर से मंडी शुल्क लागू कर दिया गया है। राहत यहकि इस बार यह शुल्क 2.5 की जगह महज 1.5 फीसदी किया गया है। बावजूद इसके व्यापारी इसे स्वीकार करने को तैयार नही हैं। उनका कहना है कि लाइसेंस की फीस इतनी अधिक नहीं है जितना वसूली इसकी आड़ में की जाती है। हाल ही में मंडी लाइसेंस ऑनलाइन किया गया है। आनलाइन आवेदन करने के बाद भी हार्डकापी जमा करना अनिवार्य है। उनका कहना है कि हार्डकापी लेने के बाद इसमें कमियां निकाल दी जाती हैं। फिर शुरू हो जाता है लाइसेंस के नाम पर वसूली का खेल। व्यापारियों का कहना है कि जो लोग मंडी में रहकर व्यापार कर रहे हैं उनका मंडी लाइसेंस बनवाया जाए, लेकिन जो मंडी परिसर के बाहर व्यापार कर रहे हैं उनको इसके लिए बाध्य न किया जाए।

500 से अधिक प्रतिष्ठान रहे बंद
प्रयागराज में तिलहन, किराना, मेंथा और लकड़ी के 500 से अधिक व्यापारियों ने मंडी शुल्क के विरोध में शुक्रवार को अपने प्रतिष्ठान बंद रखे। मंडी शुल्क वर्तमान में मुट्ठीगंज, बहादुरगंज, नखास कोहना, बासमंडी से वसूला जा रहा है। व्यापारियों का कहना था कि अभी जनवरी में लोग लाइसेंस बनवाएंगे और फिर मार्च में रिन्यूअल होगा। यानि तीन महीने में उन्हें दो बार फीस भरनी होगी। व्यापारियों की मांग है कि मंडी शुल्क लेने की जगह 0.5 फीसदी यूजर चार्ज लिया जाए। इसके लिए व्यापारी तैयार हैं। उनका यह भी कहना है कि मंडियों में जो व्यापारी लीज पर हैं उनको परमानेंट कर देना चाहिए।
व्यापारियों ने निकाला जुलूस
शुक्रवार को उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के आवाहन पर मंडी शुल्क के विरोध में प्रयागराज जिला उद्योग व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष सुशांत केसरवानी और इलाहाबाद गल्ला तिलहन व्यापार मंडल के अध्यक्ष सतीश चंद्र केसरवानी के नेतृत्व में व्यापारियों ने जुलूस निकाला। इस दौरान गल्ला तिलहर और टिंबर की दुकानें बंद रहीं। जुलूस मु_ीगंज बहादुरगंज, बंशीधर मार्केट, बांस मंडी आदि क्षेत्रों में गया। प्रयाग किराना एसोसिएशन के अध्यक्ष गिरधारी लाल अग्रवाल और महामंत्री आलोक केसरवानी के नेतृत्व में चौक और बहादुरगंज में व्यापारियों ने पुतला दहन किया। सुशांत केसरवानी ने कहा कि व्यापारी समाज सरकार से यह मांग करता है कि 0.5 परसेंट का यूजर चार्ज लगाकर मंडी के रखरखाव के लिए राजस्व की व्यवस्था किया जाए। जितना राजस्व मंडी शुल्क से सरकार को नहीं मिलता उससे ज्यादा भ्रष्टाचारियों की जेब में जाता है। बंदी को सफल कराने में जिला प्रभारी राजकुमार केसरवानी, अरुण केसरवानी, राजकुमार सभानी, प्रशांत पांडे, मनजोत सिंह, रोल सरदार, अनु केसरवानी, देव डायमंड आदि का योगदान रहा।

सरकार को मंडी शुल्क वापस लेना चाहिए। इससे व्यापारियों को नुकसान होगा। जीएसटी दे रहे हैं और अब इसके साथ मंडी शुल्क देने का कोई औचित्य नहीं है।
अन्नू केसरवानी
हम लोगों की मांग थी कि मंडी शुल्क को जीएसटी में समाहित कर दिया जाए। हम अलग से देंगे तो इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा मिलेगा। इसकी आड़ में अवैध वसूली का सामना करना पड़ता है।
राजेश केसरवानी
जून 2020 में मंडी शुल्क को खत्म कर दिया गया। अब सरकार ने एक दिसंबर से फिर से लागू कर दिया है। इसका कारण समझ नहीं आया। पहले से हम जीएसटी अदा कर रहे हैं।
प्रशांत पांडेय
चुनाव को देखते हुए मंडियों का अधिग्रहण किया जा रहा है। इससे व्यापार चौपट हो जाएगा। इसका कोई मुआवजा व्यापारियों को नही दिया जाता। ऊपर से मंडी शुल्क लगाया जा रहा है।
उज्जवल टंडन

Posted By: Inextlive