न जमीन बढ़ी, न हुआ निर्माण तो कैसे बढ़ गया टैक्स?
प्रयागराज ब्यूरो । नगर निगम द्वारा कराए गए आईजीआरएस सर्वे में ऐसा खेल हो गया है कि हर कोई टेंशन में आ गया है। कई गुना सिर्फ हाउस टैक्स ही नहीं लोगों के मकान का एरिया भी बढ़ा दिया गया है। कई गुना बढ़े हुए बिल की मिली नोटिस में मकान का बढ़ा हुआ एरिया देखकर लोगों काफी परेशान हैं। लोगों को यह बात समझ में ही नहीं
आ रही है कि जब उनकी जमीन और मकान उतना ही लंबा चौड़ा है तो मकान का क्षेत्रफल कैसे बढ़ गया। बढ़े हुए मकान के एरिया पर कई गुना बढ़े हाउस टैक्स का बिल लोगों को मिल चुका है। इस समस्या से जूझने वाले मकान मालिकों की संख्या एक दो या दर्जनों में नहीं बल्कि पूरे 93 हजार है। इस सर्वे के दायरे में आने वाले यह 93 हजार लोग अब नगर निगम का चक्कर काट रहे हैं। परेशान पब्लिक को देखते हुए नगर निगम के द्वारा ऐसे लोगों से आपत्तियां मांगी गई। कहा जा रहा कि पब्लिक के द्वारा दी गई आपत्तियों के बावजूद सर्वे रिपोर्ट की इस गड़बड़ी में सुधारात्मक रवैया नहीं दिख रहा है। हालांकि नगर निगम के जिम्मेदार इस सर्वे के आधार पर प्राप्त बिल पर लोगों से आपत्ति देने की बात कही गई है। दावा है कि प्राप्त आपत्तियों का निस्तारण किए बगैर सर्वे के दायरे में आने वालों से बिल की वसूली नहीं की जाएगी। खैर परेशान पब्लिक को नगर निगम से राहत कैसे मिलेगी? मिलेगी भी या नहीं यह बात अब आने वाला वक्त ही बताएगा।
दो लाख 34 हजार हैं कर दाता
शहरी क्षेत्र यानी नगर निगम एरिया में स्थित मकानों के दो लाख 34 हजार भवन स्वामी गृह कर के दायरे में हैं। इन कर दाताओं से विभाग के द्वारा बराबर टैक्स लिया जा रहा है। नगर निगम के द्वारा अपनी आमदनी बढ़ाने के इरादे से शासन के आदेश पर आईजीआरएस सर्वे किया गया। जानकार बताते हैं कि यह सर्वे मकानों की भौगोलिक स्थिति का सेटेलाइट विधि से सर्वे किया गया। विभागीय सूत्र बताते हैं कि इस सर्वे के बाद करीब 93 हजार लोग के मकान का क्षेत्रफल ही बढ़ा दिया गया। बताते हैं कि जब मकान का क्षेत्रफल बढ़ा तो उसका हाउस टैक्स भी कई गुना ज्यादा बढ गया। इसी आईजीआरएस सर्वे के आधार पर दायरे में आए 93 हजार लोगों को हाउस टैक्स का बिल बढ़े हुए दर से भेजा गया। इसमें अपने मकान का दायरा और कई गुना हजारों में बढ़े हुए बिल को देखकर लोगों का माथा ठनक गया।
मांगी गई आपत्तियां
सर्वे का विरोध देखते हुए नगर निगम के जरिए सर्वे दायरे में आए परेशान लोगों से आपत्तियां मांगी गई। विभागीय लोगों की मानें तो इस सर्वे रिपोर्ट के आधार पर बढ़े हुए बिल और मकान के क्षेत्र फल पर छह हजार 250 लोगों ने नगर निगम में आपत्ति। लोगों का कहना है कि विभाग इन आपत्तियों का निस्तारण किए बगैर बिल वसूल कर रहा है। हालांकि नगर निगम के जिम्मेदारों का दावा है कि प्राप्त आपत्तियों का निस्तारण होने के बाद ही भेजा गया बिल वसूल किया जाएगा। अब भी जिसे इस सर्वे से भेजे गए बिल पर आपत्ति है वे आपत्ति कर सकते हैं।
सर्वे पर लोग उठा रहे गंभीर सवाल
आईजीआरएस सर्वे रिपोर्ट से मिले हाउस टैक्स के बिल को लेकर हजारों लोगों की परेशानी सबसे बड़ी वजह है। लोगों की समझ में यह नहीं आ रहा कि उनके मकान का क्षेत्र फल उतना ही है। उन्होंने न तो जमीन बढ़ाई और न ही मकान बढ़ा। फिर आईजीआरएस सर्वे के आधार पर भेजे गए बिल में उनके मकान का क्षेत्र फल बढ़ कैसे गया। कहना है कि जमीन या मकान अपने से तो बढ़ेगा नहीं? फिर रिपोर्ट में यह मकान का दायरा कैसे बढ़ा दिया गया है। परेशान लोगों का कहना है कि इस सर्वे में एक बड़ा खेल और घोर लापरवाही बरती गई है। आरोप है कि शिकायत के बावजूद उनकी समस्याओं का निस्तारण विभाग नहीं कर रहा है। आपत्ति देने वाले कुछ लोगों की मानें तो नगर निगम के लोग इस सर्वे का स्थलीय निरीक्षण नहीं कर रहे। वह मकान के बाहर से फोटो खीच लिए या फिर सेटेलाइट के जरिए ऊपर से मकानों की तस्वीर लेकर सर्वे कर लिया गया।
केस-1
शहर के टैगोरटाउन स्थित 25/27 एलआईजी कॉलोनी निवासी सावित्री देवी कहती हैं कि उनकी उनका मकान 4165 वर्ग फिट में है। आईजीआरएस सर्वे के बाद नगर निगम द्वारा भेजे गए बिल में मकान को 9000 वर्ग फिट कैसे कर दिया गया? यह बात उन्हें समझ नहीं आ रहा। बताती हैं कि पहले हाउस टैक्स 4280 रुपये आता था। मगर सर्वे के बाद भेजे गए बिल में हाउस टैक्स 4280 रुपये से बढ़ाकर 23 हजार 228 रुपये मांगा जा रहा है। कहती हैं कि जब मकान वही है, जमीन उतनी ही है कुछ नया कंट्रक्शन किया नहीं तो क्षेत्रफल और टैक्स इतना कैसे बढ़ गया। इस बात को लेकर उनका पूरा परिवार परेशान है।
केस-2
बंधना घोष बताती हैं कि उनका मकान अलोपी बाग में है। जिसका नंबर 112/2/181-ए फ्लैट है। इसका हाउस टैक्स पहले 820 रुपये आता था। बताते हैं कि आईजीआरएस सर्वे के आधार पर उन्हें नगर निगम से जो बिल मिला है कि पर हाउस टैक्स 8343 रुपये वार्षिक की दर से बताया गया है। जिसे जमा करने के लिए कहा गया है। कहती हैं कि इस पर करीब सात हजार बकाया भी बताया जा रहा है। जबकि उनका मकान फ्लैट है और फ्लैट एरिया वह कैसे बढ़ा सकती हैं। प्राप्त बिल में बढ़े हुए हाउस टैक्स को लेकर वह भी काफी परेशान हैं।
केस-3
भीम यादव भी इसी समस्या से परेशान होकर नगर निगम का चक्कर काट रहे हैं। बताते हैं कि अलोपीबाग मटियारा रोड स्थित उनका मकान 152-ए/124 करीब 404 वर्ग फिट में है। मगर नगर निगम द्वारा भेजे गए बिल पर अब मकान का क्षेत्र फल 650 वर्ग फिट बताया जा रहा है। जबकि न तो उनके मकान की जमीन बढ़ी और न ही निर्मित मकान का एरिया। कहती हैं कि पहले हाउस टैक्स 1148 रुपये आता था। मगर अब उसी उतने मकान का 1502-1502 रुपये यानी कुल तीन हजार का हाउस टैक्स बताया जा रहा है। आईजीआरएस सर्वे के इस चक्रव्यूह में वह भी उलझे हुए हैं।
सर्वे के दायरे में आने वाले मकानों के मालिकों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। यदि उन्हें कुछ गलत लग रहा तो वह आपत्तियां दें। उसकी जांच कराकर जो स्थिति होगी हाउस टैक्स वही लिया जाएगा। बेहतर है कि लोगों को दिक्कत है तो वह आपत्ति दें। प्राप्त आपत्तियों में करीब एक हजार का निस्तारण किया जा चुका है।
पीके द्विवेदी, मुख्य कर अधिकारी नगर निगम