गुरु-शिष्य के बीच आ गयी 'वसीयत'
2014 के पहले खुद को नरेन्द्र गिरी का उत्तराधिकारी बताते थे आनंद गिरी
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष, बड़े हनुमान मंदिर व श्री मठ बाघम्बरी गद्दी के पीठाधीश्वर महंत नरेंद्र गिरि से उनके शिष्य आनंद गिरि की तल्खी बढ़ने का कारण उत्तराधिकारी की घोषणा नहीं किया जाना भी है। आनंद गिरि का दावा है कि 2005 में उन्हें उत्तराधिकारी बनाया गया था और 2012 में वसीयत की गई। फिर उसे निरस्त कर दिया गया। वसीयत कब निरस्त हुई? उनकी जगह किसी उत्तराधिकारी बनाया गया? इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। इधर नरेंद्र गिरि कहते हैं कि उन्होंने किसी को उत्तराधिकारी बनाने की वसीयत नहीं की है। ऐसी बातें मनगढंत व बेबुनियाद हैं। कुछ समय पहले तक थे सबसे चहेते शिष्यकुछ ही समय पहले तक नरेंद्र गिरि के सबसे चहेते और करीबी शिष्य आनंद गिरि ही रहे हैं। उन्हें 'छोटे महाराज' कहकर पुकारा जाता था। नरेंद्र गिरि भी उन्हें छोटे महाराज ही कहते थे। मठ व मंदिर में गुरु के बाद आनंद गिरि का आदेश सर्वोपरि होता था। धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रमों में नरेंद्र गिरि स्वयं न जाकर आनंद गिरि को भेजते थे। इससे हर वर्ग में उनकी स्वीकार्यता बढ़ने लगी। आनंद गिरि चाहते थे कि गुरु उत्तराधिकारी की वसीयत कर दें, ताकि दूसरे शिष्य कभी गद्दी पर दावा न कर सकें लेकिन, नरेंद्र गिरि तैयार नहीं हुए। आनंद गिरि ने 2014 में खुद को नरेंद्र गिरि के उत्तराधिकारी के रूप में प्रचारित करना शुरू कर दिया था। इस पर नरेंद्र गिरि ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा था कि उन्होंने किसी को उत्तराधिकारी नहीं बनाया है। इससे खटास बढ़ने लगी। आनंद गिरि ने गंगा सेना नामक खुद की संस्था बना ली। माघ मेला व कुंभ में शिविर भी लगवाने लगे। नरेंद्र गिरि ने इस पर आपत्ति नहीं की। वह भी गंगा सेना के शिविर में होने वाले कार्यक्रमों में हिस्सा लेते रहे। कुछ साल पहले आनंद गिरि देश-विदेश का दौरा करने लगे। इससे दूसरे शिष्य सक्रिय हो गए। वह नरेंद्र गिरि की सेवा में लग गए, यह भी आनंद गिरि को अच्छा नहीं लगता था।
बाज नहीं आए आनंद गिरि तो होंगे बहिष्कृत : हरि गिरिअखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि पर उनके शिष्य योगगुरु स्वामी आनंद गिरि द्वारा लगाए जा रहे आरोपों पर परिषद महामंत्री महंत हरि गिरि ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कहा है कि आनंद गिरि गुरु पर अनर्गल आरोप लगाना बंद करें, अन्यथा उन्हें संत समाज से बहिष्कृत किया जाएगा। विवाद से संन्यास व गुरु-शिष्य परंपरा प्रभावित हो रही है। हरि गिरि के अनुसार आनंद गिरी ने जो आरोप लगाए हैं उसका कोई प्रमाण नहीं है उनके पास। हरि गिरि 23 अथवा 24 मई को प्रयागराज पहुंचेंगे और अखाड़ों के महात्माओं के साथ बैठक करेंगे।
मेरा नार्को टेस्ट करा लें : आनंद गिरि उधर, योगगुरु स्वामी आनंद गिरि ने कहा कि वह धर्म की लड़ाई लड़ रहे हैं, नार्को टेस्ट कराने को भी तैयार हैं। बोले, मैं आदिगुरु शंकराचार्य के दिखाए मार्ग पर चलते हुए सनातन धर्म के शत्रुओं के खिलाफ आवाज उठा रहा हूं। कहा कि प्रयागराज में भरद्वाज आश्रम, दुर्वासा ऋषि आश्रम, नागवासुकी मंदिर जैसे तमाम धार्मिक व पौराणिक स्थलों का अस्तित्व खत्म हो रहा है। बड़े हनुमान मंदिर भी शहर की विरासत हैं, जिन्हें बचाने की जिम्मेदारी सबकी है। संगमनगरी के 10 प्रबुद्धजन जाजिम बिछाकर बैठें, मुझे और मेरे गुरु को बुलाकर सुनें। मेरा और मेरे गुरु का नार्को टेस्ट कराया जाय, जो दोषी मिले उसके खिलाफ कार्रवाई हो।