'पापा की याद आती है, मैं मरने जा रहा हूं...
प्रयागराज ब्यूरो । मुझे हर पल पापा की याद आती है, मैं मरने जा रहा हूं। मम्मी अपना ध्यान रखना। खुशी से जिंदगी जीना। मेरी मौत से दुखी मत होना। मेरे पास और कोई रास्ता नहीं है। ये सुसाइड नोट अनिरुद्ध का है। अनिरुद्ध अपने पापा की मौत भुला नहीं पाया और उसने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। छह साल से वह पिता की मौत के सदमे को बर्दाश्त कर रहा था। आखिर में उसका धैर्य टूट गया और वह फांसी के फंदे पर लटक गया।
हार्ट अटैक से हुई थी पिता की मौत
सिविल लाइंस में पत्रिका चौराहा के पास सरोज भवन में रहने वाले छात्र अनिरुद्ध ने मंगलवार रात फांसी लगा ली। मां अर्चना को रात में उसने मोबाइल दिया। बोला, मां बिग बास देखो। दरअसल, अनिरुद्ध के पिता अजय जयसवाल की 2017 में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। तब से पत्नी अर्चना अपने दो बेटों अरिंदम और अनिरुद्ध राज के साथ फ्लैट में रह रही थीं। मंगलवार रात बड़ा बेटा अरिंदम पीवीआर गया था। घर में अर्चना और अनिरुद्ध दोनों थे। रात में मां बेटे ने खाना खाया। इसके बाद बैठकर बात करने लगे।
मां भी नहीं भांप पाई मौत का इरादा
अर्चना को एक बार भी महसूस नहीं हुआ कि कुछ देर बाद उसका बेटा अनिरुद्ध उससे दूर हो जाएगा। मां बेटे काफी देर तक बैठे बात करते रहे। करीब 11 बजे अनिरुद्ध ने मां से कहा कि लो आप मोबाइल, बिग बॉस देखो। इसके बाद अनिरुद्ध अपने कमरे में चला गया। रात में अरिंदम लौटा। अर्चना ने दरवाजा खोला। अरिंदम छोटे भाई के कमरे में गया। दरवाजा अंदर से बंद नहीं था। जैसे ही अरिंदम ने दरवाजा खोला उसकी चीख निकल गई। अंदर पंखे के चुल्ले से बंधे दुपट्टे के फंदे में अनिरुद्ध लटक रहा था। बेटे की आवाज सुन अर्चना भी दौड़ी। अर्चना आवाक रह गई। अभी कुछ देर पहले तो अनिरुद्ध बात कर रहा था। अर्चन चीखने चिल्लाने लगी। शोर सुनकर पड़ोसी इक_ा हो गए। पुलिस पहुंच गई। पुलिस ने शव कब्जे में ले लिया।
हाई स्कूल में आए 94 परसेंट
सेंट जोसेफ कॉलेज में 11 वीं के छात्र अनिरुद्ध ने इसी साल हाई स्कूल पास किया था। उसके हाई स्कूल में 94 परसेंट नंबर आए थे। अनिरुद्ध पढऩे में बहुत तेज था। घरवालों के मुताबिक वह पिता की मौत के बाद गुमशुम रहता था। दोस्तों से भी बहुत कम बात करता था। घर पर टीवी वक्त जरुरत ही देखता था। हमेशा अपने कमरे में किताब लिए बैठा रहता था। बुधवार सुबह जब घटना की जानकारी सेंट जोसेफ कॉलेज प्रबंधन को मिली तो वहां पर सीनियर सेक्शन की दस बजे छुट्टी कर दी गई। मां अर्चना का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। पहले पति और अब बेटे की मौत के बाद उनका हाल बेहाल है। बुधवार दोपहर में जब अनिरुद्ध का शव घर पहुंचा तो मां अर्चना का बेहाल हो गया। अनिरुद्ध की बॉडी पकड़कर मां बहुत देर तक रोती रहीं। उनकों महिलाएं संभालती रहीं।