पीडीए की अनदेखी से हाथी पार्क में बढ़ गया अतिक्रमणएक चौथाई पार्क में हो गया कब्जा दुर्लभ चिडिय़ों का पिंजरा हुआ खाली बच्चों का मनपसंद हाथी पार्क सुमित्रा नंदन पंत बाल उद्यान अतिक्रमण शिकार हो गया है. पार्क के अंदर के दुकानदारों की मनमानी इतनी अधिक हो गई है कि पार्क का हाथी ही अब नजर नही आता है. सड़क से देखने पर केवल कैनोपी ही नजर आती है. इसके अलावा पार्क के रखरखाव में भी लापरवाही बरती जा रही है. पार्क से दुर्लभ पक्षी भी गायब हो गए हैं. बावजूद इसके अधिकारी इस ओर ध्यान नही दे रहे हैं.


प्रयागराज (ब्यूरो)। पार्क के अंदर छह साल पहले तीन दुकानों का एलाटमेंट पीडीए की ओर से किया गया था। इसका मकसद पार्क में आने वालों को नाश्ता, पानी, फास्ट फूड आदि उपलब्ध कराना था। इस पार्क में सबसे ज्यादा कपल्स और बच्चे आते हैं, जिनको ध्यान में रखते हुए इन दुकानों का एलॉटमेंट किया गया था। लेकिन समय बीतते दुकान संचालकों ने चबूतरे के आगे तक अतिक्रमण कर लिया है। इसकी वजह से पार्क में बना विशालकाय हाथी दिखना बंद हो गया है। पार्क के बाहर तो क्या भीतर से देखने पर भी इसकी झलक नही मिलती है।फिक्स नही रेट, लेते हैं अधिक दाम


पार्क के भीतर बनी दुकानों में खाने के तमाम आइटम उपलब्ध हैं लेकिन इनका रेट फिक्स नही है। बाहर से अधिक इनके दाम लगाए गए हैं। इससे आए दिन ग्राहकों और दुकान संचालकों में बहस होती है। पूछताछ में दिलीप कुमार और भोला गुप्ता ने बताया कि वह दुकान के नौकर हैं। उन्हें नही पता कि सामान का रेट कैसे तय होता है। जब अतिक्रमण के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह अभी हटा लेते हैं। नदारद हैं राजहंस और फैंसी बटर

इस पार्क में अधिकतर लोग दुर्लभ पक्षियों को देखने आते हैं लेकिन वर्तमान में तीन पिंजरे पूरी तरह से खाली पड़े हैं। इन पक्षियों का नाम राजहंस बत्तख, फैंसी बटर और गिंदी फाल है। यह तीनों पक्षी अब पार्क के भीतर मौजूद नही हैं। ऐसे में जब लोग यहां आते हैं तो उन्हें खाली पिंजरे देखकर निराशा हाथ लगती है। इसी तरह से पार्क के भीतर लोहे के खंभों पर प्रयागराज अंग्रेजी में लिखा था। अब इसमें से कई मेटल के अक्षर गायब है। यह कहां गए, किसी को नही पता है। लोगों की शिकायत है कि पार्क के भीतर नाले की साफ सफाई भी प्रॉपरली नही की जाती है।होती है भीड़, लगता है टिकटपार्क के रखरखाव के लिए यहां से जरूरत के मुताबिक कमाई होती है। एक व्यक्ति की एंट्री फीस यहां पर पांच रुपए है। वीकेंड पर रोजाना दो से ढाई हजार लोग दस्तक देते हैं। बाकी दिनों में इसका 70 फीसदी लोग आते हैं। ऐसे में पार्क से होने वाली आमदनी से आसानी से पार्क रखरखाव हो सकता है जो नही किया जा रहा है। बता दें कि छह साल पहले लगभग 4 करोड़ की लागत से पार्क का सौंदर्यीकरण भी किया गया था। नोट- अभी वर्जन दिया जा रहा है।

Posted By: Inextlive